नई दिल्‍ली : हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों से सतर्क भारतीय नौसेना अंडमान-निकोबार में एक नया एयरबेस शुरू करने जा रही है. 24 जनवरी को उत्तरी अंडमान के दिगलीपुर में नौसेनाध्यक्ष एडमिरल सुनील लांबा  आईएनएस कोहासा (INS KOHAASA) को नौसेना में शामिल करेंगे. अभी तक अंडमान निकोबार में कुल तीन एयरबेस हैं.


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आईएनएस कोहासा की प्रशासनिक मुख्यालय पोर्ट ब्लेयर से दूरी लगभग 180 किलोमीटर है. फ़िलहाल इससे हेलीकॉप्टर्स और डोर्नियर विमानों के उड़ान भरने और उतरने की सुविधा होगी, लेकिन भविष्य में इसकी हवाई पट्टी को और बड़ा किया जाएगा. ताकि बड़े एयरक्राफ्ट्स को भी यहां उतारा जा सके. अंडमान निकोबार द्वीप समूह में ये सबसे उत्तर में बना पहला एयरबेस होगा.


अभी तक अंडमान-निकोबार में पोर्ट ब्लेयर में बड़ा एयरपोर्ट है जिसका इस्तेमाल नौसेना और वायुसेना के अतिरिक्त सिविल फ्लाइट्स के लिए भी किया जाता है. पोर्ट ब्लेयर के दक्षिण में कार निकोबार में वायुसेना का एयरबेस है और इस द्वीप समूह के बिल्कुल दक्षिण में कैम्पबेल बे में नौसेना का एयरबेस आईएनएस बाज़ है. आईएनएस कोहासा के शुरू हो जाने से द्वीपसमूह के उत्तर में एक मज़बूत एयरबेस हो जाएगा.


750 किलोमीटर लंबे अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह में कुल 572 द्वीप हैं. यहां से भारत के मुख्य भूमि की दूर 1200 कि‍मी है इसलिए इसे हिंद महासागर में भारत की सबसे दूरस्थ निगरानी चौकी कहा जाता है. लेकिन इसकी स्थिति रणनैतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है, यहां से इंडोनेशिया केवल 90 किमी, म्यांमार 45 किमी और थाईलैंड 550 किमी है. ये मलक्का स्ट्रेट के बहुत पास है, जहां से चीन को जाने वाला 80 फीसदी माल जाता है. यहां चीनी जंगी जहाज़ों के अलावा सबमरीनों की लगातार गतिविधियां जारी रहती हैं. इसलिए यहां तीनों सेनाओं की मज़बूत तैनाती होती है और जिन्हें एक अलग कमान अंडमान-निकोबार कमान के तहत रखा जाता है.


यहां भारतीय सेना की एक ब्रिगेड के अलावा वायुसेना के एयरक्राफ्ट भी होते हैं, लेकिन सबसे बड़ी तैनाती नौसेना की होती है.