Indian Navy: भारतीय नौसेना ने बंगाल की खाड़ी, अरब सागर और हिंद महासागर के लिए ऐसा कौन सा सुपरपावर प्लान बनाया है, जिससे भारत की 7500 किलोमीटर लंबी समुद्री सीमा हमेशा के लिए सुरक्षित हो जाएगी और जिसमें फंसकर चीन और पाकिस्तान दोनों की मुसीबतें बढ़ने वाली हैं. इस वक्त भारत के पड़ोसी बड़ी चिंता में होंगे.


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इसकी वजह है भारतीय नौसेना की बढ़ती ताकत. अगर सिर्फ इस हफ्ते की बात की जाए तो भारतीय नौसेना ने 6 एडवांस पनडुब्बियों के लिए ट्रायल शुरू किए हैं. इससे पहले डीआरडीओ ने स्वदेशी मिसाइल से टॉरपीडो लॉन्च करने की सफल टेस्टिंग की. कुल मिलाकर भारत से आई खबरों को सुनकर देश के दुश्मनों की चिंता जरूर बढ़ गई होगी. अब आप आसान भाषा में सवाल और जवाबों के जरिए महासागर में भारत की ताकत बढ़ने की खबर को समझिए.


अब नेवी की ताकत बढ़ाने की तैयारी


हिंद महासागर में चीन के युद्धपोत और पनडुब्बियों की घुसपैठ के बाद भारतीय नौसेना के लिए चुनौतियां खड़ी हो रही हैं. क्या आप जानते हैं कि भारतीय नौसेना की सबमरीन ताकत को बढ़ाने के लिए क्या फैसला लिया गया है?


भारतीय नौसेना ने एडवांस क्लास की 6 पनडुब्बियों का निर्माण देश में ही करने के लिए ट्रायल शुरु किया है. ट्रायल का मतलब है कि पनडुब्बियों की क्षमता और ताकत का टेस्ट लिया जा रहा है. देखा जा रहा है कि कौन सी पनडुब्बी भारतीय नौसेना की जरूरतों पर खरी उतरेगी. 


इसके अलावा ये भी देखा जाएगा कि हमारे बजट के हिसाब से क्या बेहतर होगा? नेवी अपनी पारंपरिक पनडुब्बियों के बेड़े को आधुनिक बनाना चाहती है. इसके लिए भारतीय कंपनियों को विदेशी पार्टनर के साथ मिलकर 6 पनडुब्बियों को बनाना होगा. इसके लिए नौसेना ने 60 हजार करोड़ रुपये का टेंडर निकाला है. 


शुरू हुआ पनडुब्बियों का ट्रायल


खबरों के मुताबिक मार्च 2024 से पनडुब्बियों का ट्रायल शुरू हो चुका है और जब इन सबमरीन को देश में ही बनाया जाएगा तो इनका 60 फीसदी से ज्यादा हिस्सा मेड इन इंडिया होगा.


आपके मन में सवाल होगा कि पनडुब्बियों का ट्रायल तो चल रहा है..लेकिन भारतीय नौसेना ने अपनी सबसे महत्वपूर्ण शर्त क्या रखी है? वो कौन की तकनीक है जिसपर हम सबसे ज्यादा जोर डाल रहे हैं? भारतीय नौसेना अपनी पनडुब्बियों में AIP यानी Air-Independent propulsion तकनीक चाहती है. 


  • इसकी मदद से पारंपरिक पनडुब्बियां लंबे समय तक बिना ऑक्सीजन लिये पानी के नीचे रह सकती हैं. 

  • पारंपरिक डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों को लगातार ऑक्सीजन की जरूरत होती है

  • पर ऐसा माना जाता है कि AIP से लैस पनडुब्बियां ज्यादा बेहतर होती हैं.


भारतीय नौसेना ने इसे अपनी सबसे प्रमुख मांग बनाया है. यानी इस ट्रायल में वो पनडुब्बियां आगे रहेंगी जो AIP तकनीक से काम करेंगी. सीधे-सीधे कहें तो AIP तकनीक वाली पनडुब्बी ज्यादा समय तक पानी के नीचे छिपी रह सकती हैं. और किसी भी पनडुब्बी के लिए लहरों के नीचे छिपे रहना सुरक्षा की सबसे बड़ी गारंटी है. 


भारतीय नौसेना खुद के लिए पारंपरिक डीजल अटैक पनडुब्बियां प्रोजेक्ट 75 (आई) के तहत खरीदना चाहती है. और ये सबमरीन नौसेना के पास मौजूद पनडुब्बियों के मुकाबले साइज में बड़ी और पहले के मुकाबले आधुनिक क्षमताओं वाली होगी. हथियारों के मामले में फॉर्मूला एकदम क्लियर है जो हथियार बेहतर होंगे वही जंग के मैदान में देर तक टिकेंगे और दुश्मन को खत्म भी करेंगे.


कितनी तरह की होती हैं पनडुब्बियां


लेटेस्ट खबर जानने के बाद अब आपको बताते हैं कि पनडुब्बियां कितनी तरह की होती हैं और ये क्या-क्या काम कर सकती हैं? आखिर दुनिया का हर देश इन्हें बनाने की कोशिश क्यों कर रहा है?


आसान भाषा में कहें तो पनडुब्बी वो वाटर टाइट बोट है जो पानी के नीचे वैसे ही सफर कर सकती है जैसे युद्धपोत पानी की सतह पर चलते हैं. 


पनडुब्बियां दो तरह की होती हैं. पहली वो जो समंदर में निगरानी कर सकती हैं. दूसरी तरह की सबमरीन हमला कर सकती हैं. इसके अलावा ऊर्जा के हिसाब से दो तरह की पनडुब्बी होती है. 


ज्यादा बेहतर हैं परमाणु पनडुब्बियां


पहली पारंपरिक यानी डीजल इलेक्ट्रिक और दूसरी परमाणु ऊर्जा से चलनेवाली. ऐसा माना जाता है कि परमाणु पनडुब्बियां ज्यादा बेहतर होती हैं. वो एक बार में कई महीनों समंदर में गश्त कर सकती हैं. जबकि 
भारत की तीन दिशाओं में बंगाल की खाड़ी, हिंद महासागर और अरब सागर है. इतने बड़े समुद्री इलाके पर नजर रखने के लिए हमें युद्धपोत और पनडुब्बियों की बड़ी संख्या चाहिए. तो अगला सवाल है कि भारतीय नौसेना के पास कितनी पनडुब्बियां हैं?


भारत की समुद्री सीमा लगभग 7500 किलोमीटर लंबी है. भारतीय नेवी वर्तमान में 16 पारंपरिक रूप से संचालित डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों और 2 परमाणु-संचालित पनडुब्बियों का संचालन करती है, जो 2023 तक 18 नावों की कुल परिचालन पनडुब्बी शक्ति को जोड़ती है.


भारत ने तैयार किया SMART हथियार


सिर्फ भारत ही नहीं हमारे पड़ोसियों के पास भी सबमरीन्स हैं तो आप जानना चाहेंगे कि भारत के पास दुश्मन की पनडुब्बियों और युद्धपोत को निशाना बनाने के लिए क्या-क्या हथियार हैं?


इसी हफ्ते भारत ने एक खास हथियार का परीक्षण किया, जिसका नाम है SMART. इसमें एक मिसाइल होती है, जो समंदर में 600 किलोमीटर दूर तक टॉरपीडो ले जा सकती है. ये हमारी नौसेना के लिए कितना मददगार है ये समझिए.


अब देश के दुश्मनों के लिए एक बुरी खबर आई है. आज भारत ने एक ऐसे हथियार का सफल परीक्षण किया है जिससे चीन और पाकिस्तान की नौसेना पर बड़ा खतरा मंडराने लगा है. दुनिया में अपनी तरह का ये अनोखा वेपन है जो समंदर में भारतीय सेना को 'सुपरसोनिक स्ट्राइक' की क्षमता देगा.


कैसे काम करेगा SMART हथियार


नेवी के पास एक मिसाइल है, जो असल में टू इन वन हथियार है. इसका नाम है स्मार्ट. ये आधी मिसाइल और बाकी टॉरपीडो है. मिसाइल इसे तेज रफ्तार से समंदर के किसी भी इलाके में पहुंचा देगीऔर इसमें मौजूद टॉरपीडो समंदर की लहरों के नीचे मौजूद दुश्मन पनडुब्बी को निशाना बना देगा.सीधे-सीधे कहें तो अब महासागर का बड़ा इलाका भी भारत से बचने की गारंटी नहीं है क्योंकि शत्रु चाहे कितना भी दूर हो. ये मिसाइल उसे समंदर में छिपने नहीं देगी. ढूंढकर उसे खत्म कर देगी.


पाक ने चीन से की डील


पाकिस्तान की कोशिश भारतीय नौसेना को चैलेंज करने की है. इसलिए पाकिस्तान ने चीन से 8 सबमरीन खरीदने का समझौता किया है. पर मेड इन चाइना पनडुब्बियां भारत के स्मार्ट हथियार के आसान शिकार बनेंगे.


समंदर में चीन-पाकिस्तान की नौसेना में ऐसे ही धमाके होने वाले हैं. भारत ने सुपरसोनिक मिसाइल से तेज रफ्तार में टॉरपीडो डिलीवरी सिस्टम का सफल परीक्षण किया है. ओडिशा में डीआरडीओ की टीम ने इस हथियार को लॉन्च किया. इसे भारतीय नौसेना के लिए डिजाइन और डेवलप किया गया है, जिससे समंदर में भारत की ताकत और मजबूत होगी. इसका नाम है SMART.


आसान शब्दों में कहें तो एक मिसाइल की मदद से टॉरपीडो को 650 किलोमीटर दूर समंदर में तेजी से पहुंचाया जा सकता है. फिर मिसाइल में से एक टॉरपीडो पैराशूट की मदद से समंदर में पहुंचेगा. वो टॉरपीडो उस इलाके में मौजूद दुश्मन के जहाज या पनडुब्बी का पता लगाकर उसको निशाना बनाएगा.


टॉरपीडो को अक्सर हेलीकॉप्टर, युद्धपोत, पनडुब्बी या फिर एयरक्राफ्ट से लॉन्च किया जाता है और सामान्यत: टॉरपीडो की रेंज और स्पीड इतनी ज्यादा नहीं होती है. 


दुश्मन के जहाज होंगे SMART की जद में


स्मार्ट की मदद से समंदर में काफी दूर मौजूद किसी पनडुब्बी को टारगेट करना आसान होगा. इसके निशाने पर दुश्मन नौसेना के सभी युद्धपोत और पनडुब्बियां होंगी. पाकिस्तान को इस टॉरपीडो की खबर से जरूर शॉक लगा होगा.


क्योंकि पाकिस्तान के लिए चीन में हंगोर क्लास की 8 सबमरीन बनने जा रही हैं. 26 अप्रैल को वुहान के एक शिपयार्ड में पनडुब्बी पर काम शुरू हो गया है. और 2028 तक पाकिस्तान ने इस पनडुब्बी को अपनी नौसेना में शामिल करने का लक्ष्य रखा है. इन पनडुब्बियां की तुलना भारत की स्कॉर्पीन क्लास से की जाती है. बड़ा अंतर ये है कि चाइनीज पनडुब्बियों में लगे हथियारों को कभी किसी युद्ध में टेस्ट नहीं किया गया है. यानी वो कितने कारगर हैं ये खुद पाकिस्तान भी नहीं जानता. 


जब तक पाकिस्तान की पनडुब्बियां बनेंगी. तब तक भारत में स्मार्ट तैयार और तैनात हो जाएगा.यानी समंदर में पाकिस्तानी पनडुब्बियों के लिए छिपने की जगह नहीं बचेगी. चीन से आई अगली खबर भी इसी टॉरपीडो से कनेक्टेड है.


चीन ने आज अपने तीसरे एयरक्राफ्ट करियर फूजियान का शंघाई में पहला समुद्री ट्रायल शुरू किया है. नई पीढ़ी के एयरक्राफ्ट करियर फूजियान को चीन में ही तैयार किया गया है. 80 हजार टन वजनी इस करियर को अमेरिका के विमानवाहक जहाजों की टक्कर का बताया जा रहा है. 


  • इससे पहले चीन ने अपना पहला विमानवाहक सोवियत संघ के एक पुराने शिप को बनाया था

  • दूसरा एयरक्राफ्ट करियर सोवियत संघ के डिजाइन पर आधारित था. 

  • और तीसरे करियर की मदद से चीन खुद को दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना बनाना चाहता है..पर ये इतना आसान नहीं होगा.

  • आजकल स्मार्ट टॉरपीडो और ब्रह्मोस मिसाइलें समंदर में किसी भी युद्धपोत और पनडुब्बियों के लिए बड़ा खतरा हैं. यानी नई तकनीक के बावजूद इनके लिए बचना मुश्किल होगा.