नई दिल्ली: भारत के पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) के जल्द ही समुद्र में उतरने की संभावना है. नौसेना के सूत्रों के मुताबिक आईएनएस विक्रांत के हार्बर ट्रायल पूरे हो चुके हैं और बेसिन ट्रायल के सितंबर में शुरू होने की संभावना है. बेसिन ट्रायल के बाद आईएनएस विक्रांत के सी ट्रायल की शुरुआत होगी. विक्रांत के 2023 तक नौसेना में शामिल होने की संभावना है. 


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262 मीटर लंबे आईएनएस विक्रांत का निर्माण फरवरी 2009 में कोचिन शिपयार्ड में शुरू हुआ था. इसमें 26 फाइटर एयरक्राफ्ट और 10 हेलीकॉप्टर रखे जा सकते हैं. नौसेना फिलहाल मिग-29 के को इस कैरियर के लिए चुन चुकी है. इसके अलावा का-31, वेस्टलैंड सी किंग और स्वदेशी एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर ध्रुव भी इस कैरियर पर तैनात किए जा सकते हैं. 


सूत्रों के मुताबिक आईएनएस विक्रांत के हार्बर ट्रायल्स पूरे हो चुके हैं लेकिन कोविड-19 की वजह से बेसिन ट्रायल्स में देरी हो रही है. बेसिन ट्रायल्स में शिप में लगे सारे सिस्टम्स का अंतिम परीक्षण करके ये जांचा जाता है कि उसे समुद्र में उतारा जा सकता है या नहीं. इन परीक्षणों में सिस्टम्स और उपकरणों के निर्माताओं की उपस्थिति होती है. कोविड की वजह से इस परीक्षण में निर्माताओं की उपस्थिति में मुश्किलें आ रही हैं. 


भारतीय नौसेना आईएनएस विक्रांत को पूर्वी समुद्र तट पर विशाखापट्टनम में रखना चाहती है. रूस से खरीदा गया एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रमादित्य पश्चिमी समुद्र तट पर कारवार में है. भारत लंबे अरसे से तीन कैरियर बैटल ग्रुप्स के साथ समुद्र की सुरक्षा करना चाहता है. कैरियर बैटल ग्रुप में एयरक्राफ्ट कैरियर के साथ कई दूसरे जंगी जहाज, हेलीकॉप्टर्स और सबमरीन का एक बेड़ा होता है. 


भारतीय नौसेना लंबी समुद्री सीमा और व्यापारिक हितों की सुरक्षा के लिए एक-एक कैरियर बैटल ग्रुप पूर्व और पश्चिम में रखना चाहती है. एक अतिरिक्त बैटल ग्रुप मरम्मत और अपग्रेड के लिए उपलब्ध रहेगा.