नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार (10 मई) को कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी और भारतीय प्रतिभा का मेल देश के भविष्य को आकार देगा. यहां उच्चतम न्यायालय की एकीकृत मामला प्रबंधन सूचना प्रणाली के उद्घाटन के मौके पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आईटी (इंफॉरमेशन टैक्नोलॉजी) जमा आईटी (इंडियन टैलेंट) बराबर आईटी (इंडिया टुमारो) का फॉर्मूला देश को अन्य से आगे रखने में मदद करेगा.


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प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का भविष्य नई तकनीकों के प्रयोग में है. उन्होंने अपनी सरकार की पसंदीदा टैगलाइन ‘देश बदल रहा है’ का भी प्रयोग किया और कार्य संस्कृति के संदर्भ में बदलती मानसिकता की बात की. उन्होंने कहा, ‘देश बदल रहा है. आज (बुद्ध पूर्णिमा की) छुट्टी है, हम लोग काम कर रहे हैं.’ इस मौके पर प्रधान न्यायाधीश जे एस खेहर, शीर्ष अदालत के वरिष्ठ न्यायाधीशों और विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रधानमंत्री के साथ मंच साझा किया.


इससे पहले प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर ने कहा कि मुकदमों के डिजिटल पंजीकरण से न्यायिक तंत्र ‘‘बेहद पारदर्शी’’ हो जाएगा और रिकॉर्ड में हेराफेरी की आशंका समाप्त हो जाएगी. न्यायमूर्ति खेहर यहां ‘‘मूविंग टुवर्ड्स, सेक्यूरिटी एंड ट्रांसपेरेन्सी फ्रॉम ए पेपर कोर्ट टु ए डिजिटल कोर्ट’’ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने इस अवसर पर शीर्ष न्यायालय में मुकदमों का पंजीकरण डिजिटल तरीके से करने के लिए ‘एकीकृत मुकदमा प्रबंधन सूचना प्रणाली’ के उद्घाटन के बाद कहा कि इसके यहां लागू होने के बाद वह सभी 24 उच्च न्यायालयों में यह प्रणाली लागू करना चाहते हैं साथ ही देशभर की निचली अदालतों में भी इसे देखना चाहते हैं.


विज्ञान भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट में ‘एकीकृत मुकदमा प्रबंधन सूचना प्रणाली’ अपलोड की. इस अवसर पर न्यायमूर्ति खेहर ने कहा कि वह इस प्रणाली को सभी उच्च न्यायालयों और इसके बाद सभी जिला अदालतों में ले जाना चाहते हैं. इसका मतलब यह हुआ कि जहांतक पेपर बुक का संबंध है तो वादकारी अपने जीवनकाल में सिर्फ एक ही मुकदमा दायर करेगा.


उन्होंने कहा,‘यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो कि बेहद पारदर्शी प्रणाली सुनिश्चित करेगी. एक ऐसी प्रणाली जिसे तोड़ा नहीं जा सकता. एक ऐसी प्रणाली है जिसमें दस्तावेजों से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती. ऐसी प्रणाली है जो रिकॉर्ड रखने के लिए हैं..और यह करने के लिए हमें किसी नियम को तोड़ने की आवश्यकता नहीं है. यह डिजिटलीकृत प्रकिया है जो लिखित अनुरोधों का स्थान लेगी.’ 


एक मामले की सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय को ‘पेपर लेस’ बनाने की अपनी टिप्पणी का जिक्र करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यह प्रक्रिया वर्तमान के ई फाइलिंग प्रक्रिया से अलग होगी क्योंकि इसमें वकीलों को उच्चतम न्यायालय में केवल अपील के आधारों को ही दर्ज करना होगा इसके बाद न्यायिक फाइलें अपने आप ही स्थानांतरित हो जाएंगी.