Khalistan Supporters: खुफिया एजेंसियों ने अमृतपाल सिंह खालसा (Amritpal Singh Khalsa) की कुंडली खंगालनी शुरू कर दी है. पता लगाया जा रहा है कि अमृतपाल के अचानक वारिस बनाए जाने के पीछे और उन्हें फंडिग करने वाला कौन है? अमृतपाल खुफिया एजेंसियों के राडार पर ऐसे ही नहीं आए बल्कि इसके पीछे पिछले दो महीने से चल रही उसकी गतिविधियां हैं. ज़ी न्यूज़ के पास खुफिया एजेंसियों द्वारा जुटाई गई जानकारी का पूरा ब्योरा मौजूद है.


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अमृतपाल ने बनाया भिंडरावाले जैसा भेष


ज़ी न्यूज़ के पास मौजूद एक्सक्लूसिव गुरूवाणी में लिखे गए पोस्टर को सुधीर सूरी की हत्या के बाद अमृतपाल सिंह संधू की तरफ से फैलाया गया. खुफिया एजेंसियों ने इसे काफी गंभीरता से लिया है. एजेंसियां इसके पहले उन ट्विटर पोस्ट की भी जांच कर रही हैं जो ट्विटर खाता के निलंबन से पहले अमृतपाल द्वारा पोस्ट किए गए थे. ज़ी न्यूज़ के पास इसकी भी एक्सक्लूसिव तस्वीरें मौजूद हैं. ये तस्वीरें अमृतपाल सिंह के ट्वीटर हैंडल की हैं. अब ये पोस्ट ट्विटर पर मौजूद नहीं है क्योंकि अमृतपाल का यह खाता 7 अक्टूबर को निलंबित कर दिया गया है. ट्विटर अकाउंट निलंबित होने से पहले अमृतपाल की सबसे लेटेस्ट Twitter पोस्ट है उसकी प्रोफाइल इमेज, जिसमें उसने भिंडरावाले जैसा भेष बनाया है और गोद में एक बच्चा है. रिप्लाई और रीट्वीट में लोगों ने इस फोटो की खूब प्रशंसा की.


अमृतपाल का विवादित पोस्ट


इसके पहले 4 अगस्त को ट्विटर पर किए गए पोस्ट में तो अमृतपाल ने हद कर दी थी. उसने लिखा था कि क्या तिरंगा हमारा झंडा है हमारा यानी कि सिखों का? तिरंगा हमारा झंडा नहीं है. अगर हमारा झंडा होता तो दरबार साहब पर हमला करके सिखों के झंडे को उतारकर तिरंगा क्यों लहराया गया? सिखों के ऊपर हमले किए गए. सिखों का कत्लेआम किया गया. इस झंडे ने हमारे ऊपर बेइंतहा जुल्म किए. हमारे 9 जवानों को मार दिया गया. 15 अगस्त को जिस तरीके से सरकार ने लोगों को लाखों तिरंगे भेजे, वैसे ही हम लोगों से आग्रह करते हैं कि वह अपने घर के ऊपर निशान साहब लगाएं.


चर्चा में क्यों है अमृतपाल सिंह खालसा?


दुबई से दो महीने पहले पंजाब पहुंचा वारिस पंजाब दे का प्रमुख बनने वाला अमृतपाल पंजाब में जाकिर नाईक की तरह जहरीले और भड़काऊ भाषण देने की वजह से चर्चा में है. सिख समुदाय को गुलाम बनाकर रखने और खलिस्तान के समर्थन में युवाओं को भड़काने की बातों ने एजेंसियों के कान खड़े कर दिए हैं.


खालिस्तानियों को यहां से मिल रहा समर्थन


एजेंसियां इसलिए भी चिंतित हैं क्योंकि आईएसआई कनाडा, अमेरिका, जर्मनी और ब्रिटेन में बैठे खलिस्तानियों को खुला समर्थन दे रही हैं. खलिस्तानी संगठनों ने सैकड़ों फर्जी ट्विटर हैंडल बनाए हैं, जिनसे खलिस्तान समर्थन वाले पोस्ट किए जाते हैं. 10 सितंबर से 10 अक्टूबर के बीच खलिस्तान रेफरेंडम के समर्थन में 29,032 ट्वीट किए गए. ये अकाउंट पाक से हैंडल किए जा रहे हैं. इसी समय अभिनेता सिंगर दीप सिद्धू की सड़क हादसे में मौत के बाद अचानक प्रकट हुए अमृतपाल सिंह को वारिस पंजाब दे का प्रमुख बनाए जाने की कार्रवाई भी जांच के घेरे में है. उनकी सभाओं में होने वाली भीड़ के वीडियो की गहनता से पड़ताल की जा रही है.


जान लें कि 25 सितंबर को आनंदपुर साहिब में अमृतपाल द्वारा लोगों को अमृत देने की कार्रवाई और उसके बाद 29 सितंबर को जरनैल सिंह भिंडरावाले के गांव रोडे में सिखों की बड़ी जनसभा में अमृतपाल के संबोधन ने एजेंसियों को चिंता में डाल दिया है. माना जा रहा है कि अमृतपाल के भाषण और पंजाब के युवाओं में उसकी तेजी से बढ़ती घुसपैठ लोन वूल्फ यानी अकेले इंसान द्वारा खतरनाक तरीके से महत्वपूर्ण लोगों पर किए जाने वाले हमले जैसे अटैक को बढ़ावा दे सकती हैं. खलिस्तान समर्थक इसी हालात की ताक में हैं.


अमृतसर में शिवसेना नेता सुधीर सूरी की हत्या के बाद खुफिया एजेंसियों और पंजाब पुलिस ने आरएसएस और हिंदी संगठन के नेताओं पर हमलों की आशंका जताई है. यही वजह है कि 15 दिनों में दो बार पंजाब पुलिस द्वारा सभी जिलों को दिशा-निर्देश यानी एडवाइजरी जारी की गई. इस एडवाइजरी में कहा गया कि सभी जिलो में जिन लोगों को सुरक्षाबल मिले हैं वो उन्हें अपने साथ लेकर चलें. सार्वजनिक जगहों पर प्रशासन द्वारा सतर्क किए गए लोग खास सावधानी बरतें. धरना प्रदर्शन से पहले ऐसे लोग पुलिस को जरूर सूचित करें और सिर्फ जान-पहचान के लोगों को ही वहां आने दें. अपने मूवमेंट की जानकारी सिर्फ जरूरी लोगों को दें.


पुलिस और खुफिया एजेंसियों का मानना है कि परिस्थितियों और अमृतपाल की गतिविधियों का फायदा खलिस्तानी समर्थक उठा सकते हैं. इसीलिए अमृतपाल को नजरबंद भी किया गया. उसे दो बार एहतियातन हिरासत में भी लिया गया. एजेंसियों के मुताबिक, अमृतपाल की गतिविधियां पंजाब को अस्थिर कर सकती हैं. अमृतसर के बाबा बाकला तहसील में जल्लूपुर खेरा गांव में 1993 में जन्मे अमृत पाल 2012 में दुबई चला गया था. वहां उसने ट्रांसपोर्ट का कारोबार किया. 12वीं तक की शिक्षा प्राप्त अमृत 2022 में अचानक वापस आया और वारिस पंजाब दे का प्रमुख बन गया.


एजेंसियों ने उसके सोशल मीडिया खातों की गहन स्टडी की है और पाया है कि वह पांच सालों से सिख मामलो में विवादित बोल पोस्ट करता रहा है. दीप सिद्धू से वह कभी मिला नहीं था मगर सोशल मीडिया पर वह दीप सिद्धू से बात करता था. अमृतपाल पंजाब में जल, ड्रग आदि के लिए यूपी-बिहार से आने वाले लोगों को जिम्मेवार ठहरा चुका है. खुफिया एजेंसियां यूट्यूब पर उसके समर्थकों द्वारा डाले गए कई वीडियो को लेकर भी चिंतित है. उनकी नजर में इस वजह से उसकी घुसपैठ बढ़ रही है. एजेंसियों के मुताबिक, अमृतपाल ने खालिस्तान, भिंडरावाले और इससे जुड़ी तमाम चीजों का इंटरनेट पर गहन अध्ययन किया है. इसी अध्ययन की बदौलत वह बड़ी संख्या में युवाओं को अपनी बातों से रेडिक्लाइज कर रहा है.


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