नई दिल्ली: सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में कहा कि आईएनएक्स मीडिया मामले में कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम से हिरासत में पूछताछ की जरूरत है. यह दलील न्यायमूर्ति सुनील गौड़ के समक्ष दी गयी. अदालत आईएनएक्स मीडिया स्कैंडल से संबंधित भ्रष्टाचार और धनशोधन के मामलों में चिदंबरम की अग्रिम जमानत की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी.


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अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया और कहा कि अग्रिम जमानत वाली याचिका पर फैसला आने तक गिरफ्तारी से मिली छूट को जारी रहेगी. सीबीआई और ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कांग्रेस नेता पूछताछ के दौरान टालमटोल कर रहे थे और लंबे जवाब दे रहे थे. उन्होंने कहा कि चिदंबरम अपनी जानकारी का खुलासा नहीं कर रहे हैं और एजेंसियों को उनसे हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता है, जो गुणात्मक रूप से भिन्न होगी.


विधि अधिकारी ने चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका का विरोध करते हुए यह भी कहा कि एजेंसियां ​​उन्हें गिरफ्तार करने, संबंधित अदालत के सामने पेश करने और पूछताछ के लिए पुलिस रिमांड पर लेने के लिए अपने वैधानिक अधिकारों का उपयोग करने की अनुमति मांग रही है.


चिदंबरम की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि पूर्व वित्त मंत्री को जून 2018 में सिर्फ एक बार सीबीआई द्वारा पूछताछ के लिए बुलाया गया था और प्राथमिकी में आरोपी के रूप में भी उनका नाम नहीं है. उन्होंने कहा कि मामले में जाहिरा तौर पर पांच आरोपी हैं और उनमें से चार जमानत पर हैं.


धनशोधन मामले के बारे में सिब्बल ने कहा कि चिदंबरम कई बार और जब भी एजेंसी द्वारा बुलाया गया है, जांच में शामिल हो चुके हैं. इससे पहले उच्च न्यायालय ने चिदंबरम की तक गिरफ्तारी से छूट 24 जनवरी तक बढ़ा दी थी. वरिष्ठ कांग्रेस नेता की भूमिका 3,500 करोड़ रुपए के एयरसेल-मैक्सिस सौदे और 305 करोड़ रुपए के आईएनएक्स मीडिया मामले में विभिन्न जांच एजेंसियों की जांच के दायरे में है.


संप्रग-एक सरकार में वित्त मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) ने दो उपक्रमों को मंजूरी दी थी. आईएनएक्स मीडिया मामले में सीबीआई ने 15 मई, 2017 को प्राथमिकी दर्ज की थी. इसमे आरोप लगाया गया है कि वित्त मंत्री के रूप में चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान 2007 में 305 करोड़ रुपए की विदेशी धनराशि प्राप्त करने के लिए मीडिया समूह को दी गयी एफआईपीबी मंजूरी में अनियमितताएं हुईं. इसके बाद ईडी ने पिछले साल इस संबंध में धनशोधन मामला दर्ज किया था.