सूर्य को भारत के आदित्य का `हेलो`, अंतरिक्ष में ISRO ने रचा इतिहास, L-1 पॉइंट पर इंडिया का सोलर मिशन
Halo Orbit: इसरो का आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान अपनी अंतिम गंतव्य कक्षा में पहुंच चुका है. यह सूर्य के एकदम नजदीक है. यह ठीक वहीं पहुंचा है जहां इसे भेजा गया है.
Aditya L1 mission: भारत का स्पेस प्रोग्राम लगातार इतिहास रच रहा है. इसी कड़ी में इसरो ने एक और बड़ी सफलता हासिल कर ली है. इसरो का आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान अपनी अंतिम गंतव्य कक्षा में पहुंच चुका है. यह सूर्य के एकदम नजदीक है. यह ठीक वहीं पहुंचा है जहां इसे भेजा गया है. इस सफलता के बाद पीएम मोदी समेत देश के नेताओं ने बधाई दी है. पीएम ने लिखा कि मैं इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करने में राष्ट्र के साथ शामिल हूं. हम मानवता की भलाई के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को पार करते रहेंगे. आदित्य की यात्रा 2 सितंबर 2023 को को शुरू हुई थी. पांच महीने बाद 6 जनवरी 2024 की शाम ये सैटेलाइट L1 प्वाइंट पर पहुंच गया.
पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर
असल में यह भारत का पहला सूर्य मिशन है जिसके जरिए शनिवार को पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर इसकी अंतिम गंतव्य कक्षा में स्थापित किया गया है. अधिकारियों ने बताया है कि इस मिशन का मुख्य उद्देश्य सौर वातावरण में गतिशीलता, सूर्य के परिमंडल की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप या ‘कोरोनल मास इजेक्शन’ (सीएमई), सूर्य के धधकने संबंधी गतिविधियों और उनकी विशेषताओं तथा पृथ्वी के करीब अंतरिक्ष में मौसम संबंधी समस्याओं को समझना है.
सिर्फ सूर्य के शोध के लिए नहीं बल्कि..
एक्सपर्ट्स का यह भी मानना है कि ये मिशन सिर्फ सूर्य के शोध के लिए नहीं है. बल्कि सौर तूफानों की सूचना भी मिलेगी. ‘एल1 प्वाइंट’ के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा में उपग्रह से सूर्य को लगातार देखा जा सकता है. इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव का अवलोकन करने में अधिक लाभ मिलेगा. आदित्य-एल1 कोरोनल हीटिंग, सौर विस्फोटों की विशेषताओं और गतिशीलता और अंतरग्रहीय माध्यम पर उनके प्रभाव के बारे में लंबे समय से चले आ रहे सवालों के समाधान के लिए महत्वपूर्ण डेटा एकत्र करेगा। यह मिशन अंतरिक्ष पर्यावरण पर सूर्य के प्रभाव का अब तक का सबसे व्यापक दृश्य प्रदान करेगा.
मिशन की सफलता के बाद अब..
मिशन की सफलता पर इसरो अधिकारियों ने कहा कि आदित्य L1 पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के ‘लैग्रेंज प्वाइंट 1’ (एल 1) पहुंच गया. ‘एल1 प्वाइंट’ पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी का लगभग एक प्रतिशत है. मिशन की सफलता के बाद अब ‘एल1 प्वाइंट’ के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा में उपग्रह से सूर्य को लगातार देखा जा सकेगा. इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव का अवलोकन करने में अधिक लाभ मिलेगा.