Jahangirpuri Violence Case: जहांगीरपुरी हिंसा पर पांच बड़े खुलासे हुए हैं. एक साथ देश के कई शहरों में अशांति की प्लानिंग थी. करौली (Karauli), खरगोन (Khargone) के बाद जहांगीरपुरी में हिंसा फिक्स थी. करौली, खरगोन और जहांगीरपुरी में पत्थरबाजी का पैटर्न एक जैसा था. शोभायात्रा पर 3 शहरों में छतों से ही पत्थर फेंके गए थे. जांच एजेंसियां PFI कनेक्शन की जांच कर रही हैं.


2020 दंगों की चार्जशीट से खुलासा


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दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने 2020 दंगों की कोर्ट में जो चार्जशीट दाखिल की, उसमें दावा किया गया था कि CAA/NRC के विरोध के दौरान जहांगीरपुरी के C Block के कुशल चौक से अवैध बांग्लादेशी महिलाओं, बच्चों और पुरुषों को शाहीन बाग प्रोटेस्ट में शामिल करने के लिए 6-7 बसों में भरकर ले जाता जाता था.


अवैध बांग्लादेशियों ने दिया था धरना


शाहीन बाग के धरने में लगभग 300 लोग जहांगीरपुरी से भेजे जाते थे, जिनमें ज्यादातर बांग्लादेशी घुसपैठिए थे, जिनके बारे में दावा किया जा रहा है कि वो कई साल से अवैध रूप से जहांगीरपुरी में रह रहे हैं. वहीं जहांगीरपुरी के C ब्लॉक में ईदगाह के पास CAA/NRC के खिलाफ धरना भी दिया जा रहा था. 2020 के दंगों की चार्जशीट में पुलिस ने ये भी लिखा था कि जहांगीरपुरी में धरना देने वाले भी ज्यादातर अवैध बांग्लादेशी ही थे, जो हिंसा भड़कने पर पथराव करने वाली भीड़ में भी शामिल हो गए थे.


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बांग्लादेशियों को शाहीन बाग ले जाता था अंसार


जहांगीरपुरी में हिंसा का मास्टरमाइंड बताए जा रहे मोहम्मद अंसार के बारे में ये दावा किया जा रहा है कि अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी लोगों को शाहीन बाग ले जाने वाला भी वही था. चौथी क्लास के बाद पढ़ाई छोड़ देने वाला अंसार जहांगीरपुरी में अपनी दबंगई की वजह से लोगों का नेता बन गया था और उसकी दबंगई भी आपराधिक छवि की वजह से ही थी.


शाहीन बाग के धरने और उसके बाद दिल्ली में भड़की हिंसा के पीछे PFI का हाथ बताया गया. ये आरोप भी लगा कि सीएए और एनआरसी के विरोध के नाम पर PFI ने दिल्ली के अलावा यूपी और देश के कई राज्यों में बड़े पैमाने पर हिंसा की साजिश रची थी. इस बार भी देश के कई शहरों का माहौल एक साथ, एक जैसे तरीके से ही बिगाड़ने की घटनाएं लगातार हो रही हैं और इससे भी जांच एजेंसियों का माथा ठनक गया है.


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पहले राजस्थान के करौली, फिर मध्य प्रदेश के खरगोन और अब दिल्ली के जहांगीरपुरी में हिंसा का पैटर्न एक जैसा ही है. तीनों जगह धार्मिक शोभायात्रा जब मुस्लिम बहुल इलाकों से गुजरीं, तो उस पर पथराव किया गया. तीनों जगह छतों से पत्थरबाजी हुई. लिहाजा अब इस बात की जांच भी की जा रही है कि कहीं जहांगीरपुरी का कोई कनेक्शन करौली या खरगोन की हिंसा से तो नहीं जुड़ा है.


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