Jammu Kashmir 370: पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर विधानसभा में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस की गठबंधन सरकार ने अनुच्छेद 370 की वापसी को लेकर प्रस्ताव पारित किया. लेकिन इन सबके बीच विधानसभा में पारित विशेष दर्जा प्रस्ताव पर मतभेद उभर कर सामने आए हैं. जैसे ही यह मामला सामने आया विपक्ष तत्काल सक्रिय हो गया. विपक्ष में बैठी हुई पीडीपी ने इसे जनता की भावनाओं से जुड़ा मामला बताते हुए उमर अब्दुल्ला की सरकार से स्थिति स्पष्ट करने की मांग कर डाली है.


प्रस्ताव पर सरकार से जवाब मांगा


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असल में हाल ही में विधानसभा द्वारा जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने के संबंध में पारित प्रस्ताव पर कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अलग-अलग बयानों को लेकर विपक्ष ने सरकार पर सवाल उठाए हैं. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने इस प्रस्ताव पर सरकार से जवाब मांगा है, खासकर अनुच्छेद 370 को लेकर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है.


जनता की भावनाओं का अपमान?


अपने बडगाम दौरे के दौरान महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की जनता ने सरकार को बड़ा जनादेश दिया है. अनुच्छेद 370 कश्मीरियों के लिए एक भावनात्मक मुद्दा है, और नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस को इस पर स्पष्ट रूप से बोलना चाहिए था. लेकिन प्रस्ताव में इसे गुपचुप तरीके से शामिल किया गया, जो जनता की भावनाओं का अपमान है.


महबूबा मुफ्ती ने आगे कहा, "पहले तो उन्हें 5 अगस्त 2019 की घटना की निंदा करनी चाहिए थी, जो उन्होंने नहीं की. कांग्रेस का यह कहना कि प्रस्ताव केवल राज्य के दर्जे के लिए था, अनुच्छेद 370 के लिए नहीं, यह लोगों में संदेह पैदा कर रहा है. सरकार को इस पर स्पष्ट जवाब देना चाहिए."


सज्जाद लोन ने भी गठबंधन से जवाबदेही की मांग की


पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन ने भी गठबंधन से जवाबदेही की मांग की है. सज्जाद लोन ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने स्पष्ट किया है कि उन्होंने अनुच्छेद 370 की बहाली की कभी बात नहीं की. क्या जम्मू-कश्मीर की जनता को नेशनल कॉन्फ्रेंस से स्पष्टीकरण नहीं मिलना चाहिए?"


इससे पहले, गुरु नानक देव जी की जयंती पर जम्मू में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष तारिक हामिद कर्रा ने कहा कि प्रस्ताव में अनुच्छेद 370 का कोई उल्लेख नहीं है. कर्रा ने कहा, "हम केवल राज्य के दर्जे की बहाली की मांग कर रहे हैं, और यह हमारा स्पष्ट रुख है."


मुद्दे को कमजोर करने की कोशिश नहीं


कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी बयान दिया कि अनुच्छेद 370 की बहाली की मांग कांग्रेस ने नहीं की है. इसके तुरंत बाद, नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद आगा सैयद रुहुल्ला मेहदी ने कांग्रेस और अन्य दलों को चेतावनी देते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 की बहाली के मुद्दे को कमजोर करने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए.


रुहुल्ला ने एक्स पर लिखा, "किसी भी कांग्रेस नेता को विधानसभा में पारित प्रस्ताव की गलत व्याख्या करने का अधिकार नहीं है. यह प्रस्ताव 1953 से 2019 के बीच जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे में किए गए सभी असंवैधानिक संशोधनों के खिलाफ है और इसका उद्देश्य अनुच्छेद 370 और 35ए सहित सभी गारंटियों को उनके मूल स्वरूप में बहाल करना है."


अनुच्छेद 370 पर एक नई बहस छिड़ गई


इन बयानों के बाद राजनीतिक गलियारों में अनुच्छेद 370 पर एक नई बहस छिड़ गई है. जहां कांग्रेस ने महाराष्ट्र और झारखंड चुनावों को ध्यान में रखते हुए बयान दिया है, वहीं विपक्ष ने नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के मतभेदों को लेकर उमर अब्दुल्ला की सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया है.