Who is Sheikh Rashid: आतंकी फंडिंग मामले में पिछले 5 साल से तिहाड़ जेल में बंद कश्मीर के अलगाववादी नेता इंजीनियर शेख रशीद अब जेल से बाहर आ जाएगा. दिल्ली की NIA कोर्ट ने उसे 2 अक्टूबर तक के लिए अंतरिम जमानत दे दी है. उसे 2 लाख रुपये के मुचलके और इतनी ही रकम जमा कराने पर जमानत दी गई है. इसके साथ ही उस पर जमानत के लिए कई शर्तें भी लगाई गई हैं, जिसमें सबसे बड़ी शर्त ये है कि उसे हर हाल में 3 अक्टूबर को कोर्ट में सरेंडर करना होगा. 


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उमर अब्दुल्ला को चुनाव में हराया


बता दें कि शेख रशीद पर आतंकी फंडिंग और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत मुकदमा दर्ज है. जेल में रहते हुए उसने अपनी अपनी अवामी इत्तेहाद पार्टी (AIP) बनाई, जिसने कुछ महीने पहले हुए लोकसभा चुनावों में बेहतरीन प्रदर्शन किया था. पुलवामा सीट पर शेख रशीद ने जेल में रहते हुए बतौर निर्दलीय इलेक्शन जीत लिया. इस लोकसभा सीट पर उसके सामने प्रदेश के पूर्व सीएम और एनसी नेता उमर अब्दुल्ला थे. 


जीत के बाद नहीं चढ़ सका संसद की देहरी


लोकसभा चुनाव में जीतने के बाद भी इंजीनियर रशीद एक दिन के लिए भी संसद का मुंह नहीं देख सका है. हालांकि कोर्ट से 4 घंटे की अंतरिम जमानत मिलने पर उसे स्पेशल वैन में बिठाकर एक दिन के लिए संसद जरूर ले जाया गया था, जहां पर उसे स्पीकर ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. इसके बाद उसे कड़ी सुरक्षा में वापस तिहाड़ जेल भेज दिया गया था.


हिदायत के साथ मिली अंतरिम जमानत


अब रशीद ने जम्मू कश्मीर में हो रहे असेंबली चुनावों पर भी नजरें गड़ा दी हैं. उसकी पार्टी ने प्रदेश की कई सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. रशीद ने इन चुनाव में अपनी पार्टी का प्रचार करने के नाम पर कोर्ट में जमानत की अर्जी दाखिल की थी. उसकी अर्जी पर विचार करते हुए दिल्ली की एनआईए कोर्ट ने उसे 2 अक्टूबर तक के लिए जमानत जरूर दी है. लेकिन साथ ही यह सख्त हिदायत भी दी है कि वह गवाहों या जांच को प्रभावित नहीं करेगा. 


एनसी को रास नहीं आया कोर्ट का फैसला


इंजीनियर रशीद को अंतरिम जमानत देने का कोर्ट का फैसला एनसी नेता उमर अब्दुल्ला को रास नहीं आया है. उमर ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह राजनीति से प्रेरित कदम है. वह लोगों के प्रतिनिधित्व के लिए नहीं बल्कि वोट लेने के लिए बाहर निकाले गए हैं. अब्दुल्ला का तर्क है कि यह निर्णय उत्तरी कश्मीर जहां के रशीद सांसद हैं, के लोगों के हितों की सेवा करने के उद्देश्य से नहीं है, बल्कि आगामी चुनावों से पहले वोट हासिल करने के लिए एक रणनीतिक कदम है.


मुझे बडगाम के लोगों के लिए दुख- उमर अब्दुल्ला


बडगाम में पत्रकारों से बात करते हुए अब्दुल्ला ने कहा, 'मुझे बारामुल्ला के लोगों के लिए दुख है. यह जमानत सार्वजनिक सेवा के लिए नहीं है, यह चुनावी लाभ के लिए है. चुनावों के बाद, इंजीनियर राशिद खुद को तिहाड़ जेल में पाएंगे.' उन्होंने कहा कि उत्तरी कश्मीर के निवासियों पर इस फैसले के प्रभाव को देखा जाना बाकी है.