Seat Sharing in INDIA Alliance: आम चुनाव 2024 के लिए विपक्ष एक तरफ नरेंद्र मोदी को हराने की बात तो करता है. लेकिन जमीन पर जब शीट शेयरिंग की बात आती है तो एका नहीं बन पाती. हालांकि I.N.D.A के घटक दल कहते हैं कि चिंता की बात नहीं. हम कर लेंगे. लेकिन सत्ता की लड़ाई जो मैजिक नंबर के चारों तरफ घूमती है उसके लिए जरूरी है कि उसे हासिल किया जाए. शीट शेयरिंग पर अगर आम सहमति नहीं बन पा रही है तो क्या उसके लिए कांग्रेस जिम्मेदार है या घटक दल उस पर बहस का दौर जारी रह सकता है. इन सबके बीच जेडीयू ने कांग्रेस को सलाह दी है.
 


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शीट शेयरिंग के नाम पर दबाव !

जेडीयू का कहना है कि अच्छा होता कि शीट शेयरिंग के मुद्दे पर कांग्रेस, क्षेत्रीय दलों से बेहतर सामंजस्य बना कर चले. जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा कहते हैं कि उनके नेता यानी नीतीश कुमार भी चाहते हैं कि इस मसले पर जल्द से जल्द कोई समझौता हो ताकि 2024 के चुनाव में हम एनडीए को हरा सकें. बेशक इंडिया गठबंधन में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है.लिहाजा यह जरूरी है कि वो उन छोटे दलों पर भी ध्यान दे जो अपने अपने राज्यों या इलाके में मजबूत हो. दरअसल हकीकत ये है कि इंडिया गठबंधन में शामिल दल यह बात तो करते हैं कि आज समय की मांग है कि हम अपने सभी मतभेदों को भुलाकर एक साथ आएं. लेकिन जब वे सीट शेयरिंग के विषय पर अपनी मजबूती की बात करते हैं तो कांग्रेस पर एक तरह से दबाव बना देते हैं.


घटक दल कहते हैं सब ठीक लेकिन..


उदाहरण के लिए पश्चिम बंगाल में टीएमसी का कहना है कि वो उन दो सीटों को देने के लिए तैयार हैं जहां कांग्रेस को जीत हासिल हुई थी. इसी तरह से यूपी में सीट शेयरिंग से पहले समाजवादी पार्टी ने अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर रही है. यहां तक कि समाजवादी पार्टी रायबरेली और अमेठी सीट से भी अपने उम्मीदवारों को उतारने की बात कर रही है जिसे वो परंपरा के तहत अपने उम्मीदवार नहीं उतारती थी. कुछ यही स्थिति बिहार की भी है जहां जेडीयू और आरजेडी अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं. हालांकि बयानों के जरिए वो एका की बात करते हैं. इस तरह की तस्वीर पर जानकार कहते हैं कि यह सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस पर दबाव बनाने की कोशिश है. कांग्रेस को पता है कि 2024 का चुनाव उसके लिए क्यों अहम है. अगर 2024 में वो एनडीए यानी नरेंद्र मोदी को सत्ता से बेदखल करने में कामयाब नहीं हुए तो आगे कि राह कितनी कठिन होगी.