JDU on Assam Namaz Break: असम में नमाज ब्रेक खत्म होने के फैसले के बाद अब कामाख्या देवी के मंदिर को लेकर नया विवाद छिड़ गया है. खास बात ये है कि हिमंता सरकार के फैसले की बीजेपी में जहां तारीफ हो रही है. वहीं बीजेपी के सहयोगी दल हिमंता सरकार से नाराज़ हैं और सवाल उठा रहे हैं. ये सवाल कामाख्या मंदिर में बलि प्रथा को बंद करने को लेकर हैं. नमाज़ ब्रेक पर छिड़े विवाद में कामाख्या मंदिर की एंट्री होने से अब साधु-संत भी भड़क गए हैं और विवाद गहराता जा रहा है.


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क्या कामाख्या मंदिर में बलि प्रथा बंद होगी?


बीजेपी की सहयोगी पार्टी जेडीयू के नेता नीरज कुमार ने सवाल उठाया है कि क्या कामाख्या मंदिर में बलि प्रथा भी बंद होगी. क्या कामाख्या मंदिर की परंपराओं और नियमों में बदलाव होगा. दरअसल असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के नमाज पर ब्रेक लगाने वाले फैसले के बाद अब राजनीति का ब्रेक फेल सा हो गया है. असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के नमाज़ पर ब्रेक के फैसले पर जेडीयू नेता नीरज कुमार नाखुश हैं.


नीरज कुमार ने कहा, 'मैं हिमंत बिस्वा सरमा जी से यह पूछना चाहता हूं कि वह उत्पादकता बढ़ाने के लिए शुक्रवार की छुट्टियां बंद कर रहे हैं. हालांकि, वह उस जगह से विधायक हैं, जहां पर कामाख्या मंदिर है. जहां बलि के बिना मंदिर के द्वार नहीं खुलते हैं तो वह उसे रोकने की हिम्मत क्यों नहीं करते?'


बलि प्रथा पर कितना सही है जेडीयू नेता का ज्ञान?


वैसे सदन में नमाज़ के लिए 2 घंटे का ब्रेक पर घमासान और कामाख्या मंदिर की बलि प्रथा पर सवाल दो अलग अलग विषय हैं. गुवाहाटी में स्थित का 52 शक्तिपीठो में से एक कामाख्या मंदिर में बलि की प्रथा सदियों से चली आ रही थी लेकिन अब यह बंद हो चुकी है. बलि के नाम पर मंदिर के बाहर लाए गए जानवरों के कान में छोटा सा चीरा लगाकर औपचारिकता पूरी कर ली जाती है.  


असम में नमाज ब्रेक बंद होने से मचा है घमासान


वहीं असम विधानसभा में 1937 में 2 घंटे नमाज ब्रेक की प्रथा शुरू हुई थी. मुस्लिम विधायकों की नमाज़ के लिए हर शुक्रवार सुबह 11 बजे सदन की कार्यवाही दो घंटे स्थगित कर दी जाती थी. इन बातों से स्पष्ट है कि कामाख्या देवी के मंदिर में बलि की प्रथा और असम की विधानसभा में नमाज ब्रेक के बीच कोई तुलना हो ही नहीं सकती. फिर भी इस राजनीति के बाद संत समाज भी अपनी आपत्ति दर्ज करा रहा है.


नमाज ब्रेक पर जेडीयू को मिला एलजेपी का साथ


फिर भी हिमंता सरकार के निर्णय को संवैधानिक मानकों से अलग बताते वाले BJP की सहयोगी जेडीयू को चिराग पासवान की पार्टी का भी साथ मिल गया है. जबकि बीजेपी खुल कर हिमंता के फैसले की पैरवी कर रही है. असम के मुख्यमंत्री हिमंता विवाद बढ़ता देख ने इस फैसले का बचाव कर रहे हैं. उनका कहना है कि हमारी विधानसभा के हिंदू और मुस्लिम विधायकों ने नियम समिति की बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया कि 2 घंटे का ब्रेक सही नहीं है. साफ है इस मामले में अभी सियासत थमने वाली नहीं है.