नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में 4G इंटरनेट सुविधा बहाल करने की मांग के मामले में उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू ने 4G इंटरनेट सेवा बहाल करने की राय व्यक्त की है. याचिकाकर्ताओं के वकील ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में यह बात कही. जिस पर केंद्र सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वह उपराज्यपाल की राय की सत्यता की पुष्टि करना चाहते हैं. जिसके बाद आज सुनवाई को टाल दी गई. अब मामले की अगली सुनवाई 7 अगस्त को होगी.


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इस मामले में जम्मू-कश्मीर में 4G इंटरनेट सेवा बहाल करने के मुद्दे पर हालात की समीक्षा के लिए विशेष कमेटी का गठन किया जा चुका है. पिछली सुनवाई में यह जानकारी सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Tushar Mehta) ने सुप्रीम कोर्ट में यह जानकारी दी थी.


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इस मामले में सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के 11 मई के आदेश का उल्लंघन करने को लेकर अवमानना की कार्रवाई करने की मांग की गई थी. जिसकी सुनवाई में सोलिसिटर जनरल ने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेश के मुताबिक विशेष कमेटी का गठन किया गया है जो कि हर जिले में स्थिति का जायजा लेगी कि कहां-कहां 4G सेवा शुरू की जा सकती है और कहां नहीं. 
बता दें कि आतंकवादी गतिविधियों और राष्ट्र की सुरक्षा का हवाला देते हुए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि जम्मू-कश्मीर में 4G सेवा देना घातक रहेगा.


गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी जिसमें कहा गया कि पढ़ाई, चिकित्सा सेवा और बिजनेस आदि के लिए 4G की सख्त जरूरत है जो कि 2G सेवा से संभव नहीं है. फिलहाल जम्मू-कश्मीर में 2G सेवा ही उपलब्ध है. याचिका की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि वह विशेष कमेटी बनाए जो राज्य में लोगों की जरूरत और देश की सुरक्षा के बीच संतुलन कायम करते हुए राज्य के हर जिले में सुरक्षा व 4G की उपलब्धता पर अपनी रिपोर्ट दे.