भारतीय महिलाओं को किसने सिखाया उल्टे पल्लू की साड़ी पहनना? PM Modi ने सुनाई रोचक कहानी
पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने कहा, `गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) के बड़े भाई और देश के पहले आईसीएस अफसर सत्येंद्रनाथ टैगोर की पत्नी ज्ञानंदिनी देवी (Jnanadanandini Devi) ने बाएं कंधे पर महिलाओं को साड़ी का पल्लू बांधना सिखाया था.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने गुरुवार को विश्व भारती विश्वविद्यालय (Visva-Bharati University) के शताब्दी कार्यक्रम में हिस्सा लिया. इस दौरान उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कार्यक्रम को संबोधित किया और कहा कि विश्वभारती, मां भारती के लिए गुरुदेव के चिंतन, दर्शन और परिश्रम का एक साकार अवतार है. अपने संबोधन में पीएम मोदी ने महिलाओं के उल्टे पल्लू की साड़ी पहनने की शुरुआत को लेकर रोचक जानकारी दी.
कैसे शुरू हुआ था बाएं साइड पल्लू का चलन
पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने कहा, 'गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) के बड़े भाई और देश के पहले आईसीएस अफसर सत्येंद्रनाथ टैगोर की पत्नी ज्ञानंदिनी देवी (Jnanadanandini Devi) ने बाएं कंधे पर महिलाओं को साड़ी का पल्लू बांधना सिखाया.
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दाएं कंधे पर पल्लू रखने से होती थी दिक्कत
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'गुरुदेव रवींद्रनाथ के बड़े भाई सत्येंद्र नाथ की आईसीएस अफसर के रूप में नियुक्ति गुजरात के अहमदाबाद में हुई थी. सत्येंद्रनाथ की पत्नी ज्ञानंदिनी जी अहमदाबाद में रहतीं थीं. स्थानीय महिलाएं दाहिने कंधे पर पल्लू रखतीं थी, जिससे महिलाओं को काम करने में दिक्कत होती थी. ज्ञानंदिनी देवी ने आइडिया निकाला- क्यों न पल्लू बाएं कंधे पर लिया जाए.
इस बात का करना चाहिए अध्ययन: पीएम
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, अब मुझे ठीक-ठीक तो नहीं पता लेकिन कहते हैं- बाएं कंधे पर साड़ी का पल्लू उन्हीं (ज्ञानंदिनी देवी) की देन है. वीमेन इंपावरमेंट से जुड़े संगठनों को इस बात का अध्ययन करना चाहिए.
पीएम ने रवींद्रनाथ टैगोर के गुजरात संबंधों का किया जिक्र
प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) और गुजरात के गहरे संबंधों का भी जिक्र किया. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'गुरुदेव के बारे में बात करता हूं तो गुरुदेव और गुजरात की आत्मीयता का स्मरण कराने के मोह से रोक नहीं पाता. ये बार-बार याद करना इसलिए जरूरी भी है कि क्योंकि ये हमें एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना से भरता है. अलग-अलग बोलियों, खानपान वाला हमारा देश एक दूसरे से कितना जुड़ा है? विविधताओं से भरा हमारा देश एक है. बहुत कुछ एक दूसरे से सीखता रहा है.'