JP Nadda: करौली हिंसा पर कांग्रेस चुप क्यों? BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा ने साधा निशाना
उन्होंने सवालिया लहजे में कांग्रेस से पूछा कि गुजरात (1969), मुरादाबाद (1980), भिवंडी (1984), मेरठ (1987), भागलपुर (1989) और हुबली (1994) में सांप्रदायिक दंगे किसके शासनकाल में हुए. कश्मीर घाटी से हिंदुओं का पलायन किसके दौर में हुआ?
नई दिल्ली: राजस्थान के करौली में हुई हिंसा और रामनवमी पर देश के विभिन्न हिस्सों में हुई सांप्रदायिक घटनाओं के बीच बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने देशवासियों के नाम एक चिट्ठी लिखी है. उन्होंने इस पत्र में कांग्रेस पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि करौली में हुई हिंसा के बाद कांग्रेस चुप क्यों है? उन्होंने कहा कि आज देश में दो तरह की राजनीति देखने को मिल रही है. एक तरफ एनडीए का प्रयास उसके कार्यों के माध्यम से देखने को मिल रहा है और दूसरी तरफ ऐसी पार्टियों का एक समूह है जो अपने सियासी फायदे के लिए ऐसी राजनीति कर रही हैं जिससे राष्ट्र की भावना को ठेस पहुंच रही है.
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, 'आप वोटबैंक पॉलिटिक्स की बात करते वक्त राजस्थान के करौली की घटना क्यों भूल जाते हैं. आपकी ऐसी क्या मजबूरियां है जिनके कारण आपने खामोशी अख्तियार कर ली है.' इसी तरह 1966 में गोहत्या बैन करने की मांग के साथ हिंदू साधु संसद के बाहर धरने पर बैठे थे तब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन पर गोलियां चलवा दी थीं और कौन राजीव गांधी के उन शब्दों को भूल सकता है जिसमें कहा गया- जब बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती कांपती है- इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हजारों सिखों के कत्लेआम को ये शब्द जस्टीफाई करते दिखते हैं.'
दंगों का दौर
उन्होंने सवालिया लहजे में कांग्रेस से पूछा कि गुजरात (1969), मुरादाबाद (1980), भिवंडी (1984), मेरठ (1987), भागलपुर (1989) और हुबली (1994) में सांप्रदायिक दंगे किसके शासनकाल में हुए. कश्मीर घाटी से हिंदुओं का पलायन किसके दौर में हुआ? कांग्रेस राज में सांप्रदायिक दंगों की लंबी फेहरिस्त है. 2012 में असम दंगे और 2013 में किसके शासनकाल में मुजफ्फरनगर दंगे हुए?
इसके साथ ही नड्डा ने कहा कि इस तरफ भी ध्यान दिलाना चाहूंगा कि यूपीए शासनकाल में सांप्रदायिक हिंसा बिल लाया गया था. यह क्षुद्र वोटबैंक पॉलिटिक्स का एक नमूना था. इसी तरह दलितों और आदिवासियों के खिलाफ भयानक नरसंहार कांग्रेस शासन में ही हुए. ये वही कांग्रेस है जिसने ये सुनिश्चित किया कि डॉ आंबेडकर संसदीय चुनाव हार जाएं.
बीजेपी कार्यकर्ताओं की टारगेट किलिंग
उन्होंने ये भी कहा कि पश्चिम बंगाल और केरल में होने वाली शर्मनाक राजनीतिक हिंसा और बीजेपी कार्यकर्ताओं की टारगेट किलिंग ये दर्शाती है कि हमारे यहां के कुछ दल लोकतंत्र को किस तरह से देखते हैं. तमिलनाडु में सत्ताधारी से जुड़े तत्वों ने संगीत की दुनिया की दिग्गज हस्ती को परेशान करने में कोई कोर-कसर इसलिए नहीं छोड़ी क्योंकि वे एक राजनीतिक दल या सहयोगी के लिए बहुत अनुकूल नहीं दिखते. क्या ये लोकतंत्र है?
महाराष्ट्र में दो कैबिनेट मंत्रियों के ऊपर भ्रष्टाचार, वसूली और गैर-सामाजिक तत्वों के साथ जुड़े होने के आरोप लगे हैं. क्या ये देश के लिए चिंता का विषय नहीं है कि जिस राज्य में देश की वित्तीय राजधानी है वहां के टॉप मंत्रियों के दामन पर इस तरह के दाग लगे हुए हैं.
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