Supreme Court Hears special Case: 'हम जज भी इंसान है, हमें न्याय के मानवीय पहलू को भी देखना है.' सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी करते हुए केंद्र सरकार को कारगिल युद्ध में हिस्सा ले चुके एक सैनिक को विकलांगता भत्ता देने पर विचार करने को कहा है. शराब की लत के चलते इस सैनिक को नौकरी से निकाल दिया गया था. सरकार का कहना था कि इसके चलते वो किसी पेंशन का हकदार नहीं है.


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'सरकार मानवीय आधार पर विचार करें'


आज ये मामला जस्टिस डी वाई चंद्रचूड और जस्टिस सुधांशु धुलिया की बेंच के सामने लगा. बेंच ने कहा कि सरकार के पास पेंशन रोकने का उचित आधार हो सकता है पर इसके बावजूद इस मामले को मानवीय आधार पर देखने की जरूरत है. खासतौर पर बात जब उस सैनिक की हो रही हो, जिसने सीमा पर देश की रक्षा की हो. बेंच ने कहा कि अगर उन्होंने पेंशन पाने के लिए सीधे सुप्रीम कोर्ट का रुख किया होता तो शायद सुप्रीम कोर्ट इससे इनकार कर देता. लेकिन यहां आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल ने पेंशन देने का फैसला दिया है. हमें ट्रिब्यूनल के फैसले में दखल देना ठीक नहीं लगता.


'हम ताबूत में शहीदों के शव को देखते आए हैं'


जस्टिस चंद्रचूड ने केंद्र सरकार की ओर से पेश ASG माधवी दीवान से कहा कि हमें इंसानियत के पहलू से इस मसले को देखना चाहिए. यहां बात उस सैनिक की हो रही है, जिसने कारगिल की लड़ाई लड़ी है. हम जज भी इंसान ही हैं. हम भी शहीदों के शव को ताबूत में रखे हुए देखते आए हैं. अगर हम उसकी पेंशन रोक देते हैं तो परिवार पर इसका बुरा असर होगा.


मामला क्या है?


बता दें कि नागेंद्र सिंह को शराब की लत के चलते सेना से निकाल दिया गया था. हालांकि आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल ने उसे विकलांगता भत्ता देने का आदेश दे दिया था. इस आदेश के खिलाफ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.


सरकार की दलील


आज सरकार की ओर से ASG माधवी दीवान ने कहा कि सेना में शराब की लत एक बेहद गंभीर मामला है. उसी के चलते अनुशासनत्मक कार्रवाई के चलते उसे सर्विस से निकाला गया है. इस लिहाज से वो किसी पेंशन का हकदार नहीं है.



SC ने ASG को सरकार से निर्देश लेने को कहा


सुप्रीम कोर्ट ने ASG माधवी दीवान से कहा कि बेहतर होगा कि सरकार इस मामले को अपवाद की तरह लेते हुए मानवीय आधार पर विचार करे. परिवार की हालत देखते हुए सरकार को फैसला लेना चहिए. कोर्ट ने ASG से कहा कि वो सरकार से उचित निर्देश लेकर कोर्ट को अवगत कराएं.


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