Kangana Ranaut: भाजपा सांसद कंगना रनौत ने तीन कृषि कानूनों की वापसी की मांग कर एक नई बहस को जन्म दे दिया है. कंगना रनौत ने वापस लिए गए तीन विवादास्पद कृषि कानून को फिर से लागू करने की बात कही है. जिसके बाद से कंगना कांग्रेस के निशाने पर आ गईं हैं. सुप्रिया श्रीनेत समेत कई विपक्षी नेताओं ने कंगना रनौत पर हमला बोला है. 


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बता दें कि किसानों के लंबे विरोध के बाद सरकार को तीन कृषि कानूनों को वापस लेना पड़ा था. अब कंगना ने कहा कि मुझे पता है कि यह बयान विवादास्पद हो सकता है, लेकिन तीन कृषि कानूनों को वापस लाना चाहिए. किसानों को खुद इसकी मांग करनी चाहिए. कंगना ने तर्क दिया कि ये कानून किसानों के लिए फायदेमंद थे, लेकिन कुछ राज्यों में किसानों के प्रदर्शनों के कारण सरकार ने इन्हें रद्द कर दिया. 



उन्होंने कहा, "किसान देश के विकास में एक मजबूत स्तंभ हैं. मैं उनसे अपील करना चाहती हूं कि वे अपने भले के लिए इन कानूनों की वापसी की मांग करें." कांग्रेस ने कंगना के इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की. पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, "750 से अधिक किसान इन तीन काले, किसान विरोधी कानूनों का विरोध करते हुए शहीद हो चुके हैं. इन्हें फिर से लाने की कोशिश की जा रही है. हम कभी ऐसा होने नहीं देंगे." उन्होंने आगामी हरियाणा विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए कहा, "हरियाणा इसका पहला जवाब देगा."


AAP सांसद मलविंदर सिंह ने कहा, "मुझे पीएम मोदी के लिए दुख होता है. उन्होंने कहा था कि वे किसानों की चिंताओं को नहीं समझ पा रहे और इसलिए कानून वापस ले रहे हैं... ऐसा लगता है कि या तो कंगना पीएम मोदी को चुनौती दे रही हैं या पीएम मोदी असहाय हो गए हैं, केवल बीजेपी ही बता सकती है."


कंगना रनौत इससे पहले भी किसान संगठनों के साथ विवाद के चलते कई बार सुर्खियां बटोर चुकी हैं. हाल ही में उन्होंने कहा था कि किसान प्रदर्शन भारत में "बांग्लादेश जैसी स्थिति" का निर्माण कर रहे हैं और दावा किया था कि प्रदर्शन स्थलों पर लाशें लटक रही थीं और बलात्कार हो रहे थे. उनके इन बयानों के बाद व्यापक विरोध हुआ. भाजपा ने भी कंगना के इन बयानों से दूरी बना ली थी.


2020 में, कंगना ने किसानों के विरोध को राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया था. इस मुद्दे पर पंजाबी गायक-एक्टर दिलजीत दोसांझ के साथ सार्वजनिक झगड़े में भी पड़ गई थीं. याद दिला दें कि ये तीन कृषि कानून 2020 में लागू किए गए थे. जिससे किसानों को सरकारी मंडियों के बाहर अपनी उपज बेचने, खरीदारों के साथ अनुबंध करने और आवश्यक वस्तुओं पर स्टॉकपाइलिंग सीमाओं को हटाने की अनुमति मिलती थी. सरकार ने तर्क दिया था कि ये कानून किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेंगे.


हालांकि किसानों ने सरकार तीन कृषि कानून को नहीं अपनाया और इसका जमकर विरोध किया. दिल्ली की सीमाओं पर एक साल से अधिक के विरोध के बाद इन कानूनों को नवंबर 2021 में रद्द कर दिया गया. सरकार ने कानूनों को खत्म करने का मुख्य कारण किसानों के साथ सहमति बनाने में विफलता को बताया.