Naxalite encounter: छत्तीसगढ़ के कांकेर में BSF और DRG यानी District Reserve Guard ने नक्सलियों के खिलाफ बड़ा ऑपरेशन किया. जिसमें 29 नक्सलियों को हमारे जवानों ने ढेर कर दिया. इनमें दो नक्सली कमांडर पर 25-25 लाख रुपये का इनाम भी घोषित था. छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षाबलों का ये अबतक का सबसे बड़ा ऑपरेशन था. ऑपरेशन में 29 नक्सलियों को ढेर करना वाकई सुरक्षाबलों का साहसिक काम है. इसके लिए हमारे जवान बधाई के पात्र हैं. लेकिन देश में कुछ लोगों की आदत सेना के शौर्य पर सवाल उठाने की है.


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नक्सलियों के एनकाउंट को बघेल ने फर्जी बताया..


पहले वो जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के मारे जाने पर सेना पर सवाल उठाते थे, और अब ये Trend नक्सलियों के खात्मे को लेकर शुरू हो गया है. जिन 29 नक्सलियों को BSF और DRG के जवानों ने अपनी जान पर खेलकर खत्म किया. उन नक्सलियों के एनकाउंटर को छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने फर्जी बताया है. पहले आपको भूपेश बघेल का बयान सुनवाते हैं. राजनीति से प्रेरित इस तरह के आरोप लगाना बहुत आसान है, लेकिन यहां हम इस तरह के आरोप लगाने वालों से सवाल करना चाहते हैं. सवाल ये कि एनकाउंटर के जिस वीडियो में सुरक्षाबल अपनी जान जोखिम में डालकर नक्सलियों का मुकाबला करते दिख रहे हैं. क्या वो वीडियो फर्जी है?


जवानों के जख्म फर्जी हैं?


एनकाउंटर में सिर्फ 29 नक्सली ही नहीं मारे गए, बल्कि BSF के दो इंस्पेक्टर और DRG का एक जवान भी घायल हुआ है. जिन्हें नक्सलियों की चलाई गोली लगी है. क्या नक्सलियों से मुकाबले के लिए अपनी जान दांव पर लगाने वाले जवानों के ज़ख्म फर्जी हैं? जहां सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई, वहां से भारी संख्या में हथियार बरामद हुए हैं. नक्सलियों के खाने पीने और बाकी जरूरी सामान भी मिला है. फर्जी एनकाउंटर का आरोप लगाने वाले भूपेश बघेल से सवाल कि क्या नक्सलियों से बरामद हुए हथियार भी फर्जी हैं?


सुरक्षाबलों की कार्रवाई इन नेताओं को फर्जी लगती है..


नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षाबलों की कार्रवाई इन नेताओं को फर्जी लगती है. लेकिन जब यही नक्सली हमारे सुरक्षाबलों को निशाना बनाकर हमला करते हैं. तब नक्सलियों से हमदर्दी रखने वाले लोग इसके पीछे सरकार की नाकामी गिनाने लगते हैं. तब नक्सलियों की क्रूरता पर इनका मुंह नहीं खुलता. नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से सैंकड़ों किलोमीटर दूर बैठकर नक्सलियों के एनकाउंटर पर सवाल उठाना बहुत आसान है, लेकिन जहां नक्सलियों का आतंक पैर पसारे हुए है. जहां के लोगों के लिए नक्सली नासूर बन चुके हैं वहां जाने की हिम्मत ऐसे नेता नहीं जुटा पाते.


Zee News छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में पहुंचा


Zee News छत्तीसगढ़ के उस नक्सल प्रभावित क्षेत्र में पहुंचा है और Zee News संवाददाता सत्यप्रकाश ने Ground Report भेजी है. इस रिपोर्ट को देश ही नहीं उन नेताओं को भी देखना चाहिए जो सुरक्षाबलों की साहसिक कार्रवाई पर सवाल उठाते हैं. छत्तीसगढ़ के जंगलों में 29 नक्सलियों के एनकाउंटर को झूठा बताने वालों को सच का आईना दिखाने के लिए ज़ी न्यूज़ की टीम एनकाउंटर Site के सफर पर निकली..



नक्सलियों की एनकाउंटर साइट पर पहुंचकर हमें अंदाजा हुआ कि जो लोग नक्सलियों के एनकाउंटर को लेकर सुरक्षाबलों पर शक जता रहे हैं. दरअसल वो ये हजम नहीं कर पा रहे हैं कि हमारे देश की सेना अब नक्सलियों को भी अब उनके घर में घुसकर मारती है. हमारी इस रिपोर्ट से आप समझ गए होंगे कि आतंकियों की तरह नक्सलियों का खात्मा क्यों जरूरी है. क्योंकि, जम्मू-कश्मीर में जिस तरह आतंकी बड़ी समस्या हुआ करते थे, उसी तरह छत्तीसगढ़ में नक्सली सरकार का सिरदर्द बने हुए हैं. जम्मू-कश्मीर में सेना ने ऑपरेशन ऑलआउट के जरिये बड़ी संख्या में आतंकियों को ख़त्म किया.


ऑपरेशन ऑलआउट की तरह कार्रवाई


अब नक्सलवाद को खत्म करने के लिए ऑपरेशन ऑलआउट की तरह कार्रवाई की जा रही है, मंगलवार को नक्सलियों का एनकाउंटर इसी कार्रवाई का हिस्सा है. जिसमें सुरक्षाबलों ने अपनी जान जोखिम में डालकर ऑपरेशन पूरा किया. इस वर्ष छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की गई है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक..


- इस वर्ष अबतक छत्तीसगढ़ में 80 नक्सलियों को सुरक्षाबलों ने ढेर किया है, 125 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया, जबकि 125 नक्सलियों ने सुरक्षाबलों के सामने सरेंडर कर दिया.


- इससे पहले वर्ष 2020 में छत्तीसगढ़ में 36 नक्सली मारे गए थे, इसके अगले वर्ष 2021 में सुरक्षाबलों ने 47 नक्सलियों को ढेर किया था


- वर्ष 2022 की बात करें तो 30 नक्सली मारे गए थे, वहीं वर्ष 2023 में 24 नक्सली सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए


नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सरकारी मदद को बढ़ावा


राज्य के जिन क्षेत्रों में नक्सलियों का प्रभाव होता है, वो क्षेत्र विकास के मामले में पिछड़े हुए हैं. स्थानीय लोग नक्सलियों के खिलाफ आवाज उठाने से घबराते हैं. नक्सलियों ने सुरक्षाबलों को निशाना बनाकर भी देश को बड़ा नुकसान पहुंचाया है. इसलिए अब आतंकवाद की तरह नक्सलियों का सफाया भी जरूरी हो गया है. जुलाई 2022 में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में नक्सल प्रभावित जिलों को लेकर जानकारी दी थी, साथ ही उन्होंने बताया था कि गृह मंत्रालय ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सरकारी मदद को बढ़ावा दिया है. लोकसभा में दी जानकारी के मुताबिक


- वर्ष 2014 में देश में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 70 थी, जो वर्ष 2021 में घटकर 46 रह गई.


- इसके अलावा वर्ष 2014 में नक्सली हिंसा के 1091 (इक्नावे) मामले दर्ज हुए थे, जो वर्ष 2021 में घटकर 509 रह गए.


नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने का अवसर..


सरकार ने नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने का अवसर दिया है, लेकिन जो नक्सली इसके लिए तैयार नहीं हैं. उनके खिलाफ सुरक्षाबलों की कार्रवाई जरूरी है. ताकि आतंकवाद की तरह नक्सलवाद की समस्या को भी खत्म किया जा सके.