Karnataka Congress: कर्नाटक के विजयनगर से कांग्रेस विधायक एचआर गवियप्पा ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से राज्य की कुछ चुनावी गारंटियों को रद्द करने की मांग की है. उन्होंने फंड की कमी का हवाला देते हुए कहा कि इन योजनाओं के चलते राज्य सरकार पर बोझ बढ़ रहा है. गवियप्पा के इस बयान ने कांग्रेस पार्टी को असहज कर दिया है.


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घरों के निर्माण में हो रही है कठिनाई


एक कार्यक्रम में बोलते हुए विधायक गवियप्पा ने कहा, "गारंटी योजनाओं के चलते घर बनवाना मुश्किल हो गया है. मैं मुख्यमंत्री से निवेदन करता हूं कि 2-3 गारंटी योजनाएं जो जरूरी नहीं हैं, उन्हें रद्द कर दिया जाए. इससे हम कम से कम घर तो बना पाएंगे." उन्होंने यह भी कहा कि अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री का होगा और वह उनके फैसले का समर्थन करेंगे.


डीके शिवकुमार ने दी कड़ी प्रतिक्रिया


विधायक के इस बयान पर कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने साफ कहा, "इस तरह की बातों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. सरकार किसी भी गारंटी योजना को रद्द करने का विचार नहीं कर रही है. हम जनता से किए गए वादों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं."


कारण बताओ नोटिस जारी होगा


डीके शिवकुमार ने कहा कि पार्टी विधायक गवियप्पा को कारण बताओ नोटिस जारी करेगी. उन्होंने कहा, "किसी भी विधायक को ऐसी बातें सार्वजनिक रूप से कहने की इजाजत नहीं है. हम किसी भी गारंटी को रद्द नहीं करेंगे, और कोई भी इस तरह की बातें नहीं कर सकता."


विधायक पर पहले भी लगे आरोप


यह पहली बार नहीं है जब विधायक गवियप्पा विवादों में आए हैं. इससे पहले उन्होंने अपनी विधानसभा क्षेत्र में फंड के साथ भेदभाव का आरोप लगाया था, जिससे पार्टी में अंदरूनी मतभेद की चर्चाएं शुरू हो गई थीं. हालांकि, कांग्रेस के जिला प्रमुख सिराज शेख ने इन आरोपों को खारिज करते हुए गवियप्पा को निष्क्रिय बताया था. उन्होंने विधायक के सहयोगियों को आरएसएस से जुड़े हुए भी कहा था.


सरकार की योजनाओं पर कोई समझौता नहीं


डीके शिवकुमार ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार सभी चुनावी गारंटी योजनाओं को लागू करेगी, चाहे इसके लिए कितनी ही चुनौतियां क्यों न आएं. उन्होंने कहा कि जनता से किए गए वादे हर हाल में पूरे होंगे.


सरकार और पार्टी के लिए चुनौती


विधायक गवियप्पा का बयान सरकार और कांग्रेस पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है. यह घटना आंतरिक मतभेदों को उजागर करती है और सरकार की योजनाओं के कार्यान्वयन पर सवाल खड़े करती है. अब देखना होगा कि पार्टी इस स्थिति को कैसे संभालती है.