Karnataka News: कर्नाटक में दलितों को मंदिर में प्रवेश करने और पूजा करने की इजाज़त देने के लिए बाद तनाव फैल गया है. बताया जा रहा है कि ऊंची जाति के लोग दलित को मंजूरी मिलने के बाद नाराज हो गए. कर्नाटक के मांड्या जिले के एक गांव में रविवार को जिला प्रशासन ने दलितों को पहली बार ‘कालभैरवेश्वर’ मंदिर में दाखिल होने और पूजा करने की इजाज़त दे दी. प्रशासन की तरफ इजाज़त दिए जाने से गुस्साए लोग वहां से मूर्ति ही उठाकर ले गए. 


अपने साथ ले गए मूर्ति:


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हनाकेरे गांव में रहने वाले ऊंची जाति के लोग दलितों के मंदिर में एंट्री मिलने से नाराज होकर मंदिर में स्थापित धातु वाली 'उत्सव मूर्ति' को कथित तौर पर अपने साथ ले गये. गांव में उच्च जाति के ज्यादातर लोग वोक्कालिगा जाति से ताल्लुक रखते हैं. मौजूदा तनाव को देखते हुए हनाकेरे में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया. 


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पहले कभी नहीं मिला मंदिर प्रवेश


सूत्रों के मुताबिक गांव में एक पुराना कालभैरवेश्वर स्वामी मंदिर है और दलितों को कभी भी उसमें प्रवेश की अनुमति नहीं थी. लगभग तीन साल पहले मंदिर के पुराने ढांचे को ध्वस्त कर एक नया मंदिर बनाया गया. हाल ही में, यह मंदिर राज्य सरकार के धार्मिक बंदोबस्ती विभाग के नियंत्रण में आ गया. इसके तुरंत बाद दलितों ने मंदिर में प्रवेश करने का फैसला किया लेकिन यह इतना आसान नहीं था. क्योंकि ऊंची के समुदाय के लोग इस बात पर सहमत नहीं थे. 


हम मूर्ति ले जा रहे हैं, मंदर तुम रख लो:


ऊंची जाति के लोगों की तरफ से किए गए भेदभाव की शिकायत दलितों ने जिला प्रशासन से की. शिकायत कराने के बाद प्रशासन की तरफ से दो शांति बैठकें आयोजित की गईं लेकिन दोनों ही बैठक में कोई नतीजा निकला. जिसके बाद रविवार को दलितों ने पुलिस सुरक्षा के बीच मंदिर में एंट्री की. दलितों को मंदिर में एंट्री मिल जाने से नाराज ऊंची जाति के लोग 'उत्सव मूर्ति' को अपने साथ ले गये.  दावा किया जा रहा है कि उनमें से एक शख्स यह कह रहा था कि  उन्हें (दलितों को) मंदिर रखने दो, हम मूर्ति को अपने साथ ले जाएंगे.


इनपुट- भाषा