Jamanat Japt: आज कर्नाटक विधानसभा चुनाव (Karnataka Election Results 2023) के नतीजे सामने आ रहे हैं. चुनाव में जीत बस एक की होती है, बाकी सब हार जाते हैं लेकिन कुछ प्रत्याशी तो ऐसे भी होते हैं जिनकी जमानत जब्त हो जाती है. आज मतगणना के दिन एक बार फिर से ये 'जमानत जब्त' नाम का शब्द जमकर सुनने और पढ़ने को मिलेगा. तो आइये आपको जमानत जब्त होने के बारीकियों के बारे में बताते हैं.


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क्या होता जमानत जब्त होने का मतलब?


सबसे पहले आपको बताते हैं कि आखिर 'जमानत जब्त' होना क्या होता है? दरअसल चुनाव लड़ने के लिए हर उम्मीदवार को एक तयशुदा धनराशि बतौर सिक्योरिटी डिपॉजिट (Security Deposit) चुनाव आयोग (EC) के पास में जमा करानी होती है. उसी जमा की गई रकम को ही जमानत राशि कहा जाता है. पंचायत से लेकर विधानसभा और लोकसभा तक, हर चुनाव की जमानत राशि अलग होती है. चुनाव आयोग समय-समय पर इसे तय करता है. जब किसी उम्मीदवार को अपने निर्वाचन क्षेत्र में पड़े कुल वोटों के 1/6 से कम वोट मिलते हैं तो उसकी जमानत राशि को चुनाव आयोग वापस नहीं करता है. यानी उसके द्वारा जमा कराई गई धनराशि जब्त कर ली जाती है. इसी स्थिति में उस उम्मीदवार की 'जमानत जब्त' मानी जाती है.


इसे एक उदाहरण से समझते हैं. मान लीजिए कर्नाटक की बेंगलुरू दक्षिण सीट पर कुल 1 लाख वोट पड़े, ऐसे में जिस-जिस उम्मीदवार को 16,666 से कम वोट मिलेंगे, उनकी जमानत राशि जब्त कर ली जाएगी.


जमानत जब्त होना यानी साख का सवाल


सियासी परिवेश में जमानत जब्त होने को किसी उम्मीदवार की साख न बचा पाने से जोड़ा जाता है. यहां ये जानना जरूरी है कि देश में होने वाले हर तरह के चुनाव में जमानत राशि अलग-अलग होती है और पंचायत चुनाव से लेकर राष्ट्रपति तक के चुनाव में इसका इस्तेमाल होता है. तो आइये जानते हैं किस चुनाव में कितनी होती है जमानत राशि.


इन 4 स्थितियों में जमानत राशि वापस कर दी जाती है


1.अगर उम्मीदवार को उसके निर्वाचन क्षेत्र में पड़े कुल वोटों के 1/6 से ज्यादा वोट मिल जाएं. भले ही वो चुनाव हार जाए.
2.किसी उम्मीदवार को 1/6 से कम वोट मिले हों, लेकिन वह फिर भी चुनाव जीत गया हो.
3.वोटिंग शुरू होने से पहले ही उम्मीदवार की मौत होती है तो उसके कानूनी वारिस को जमानत राशि लौटा दी जाती है.
4. प्रत्याशी का नामांकन रद्द होने या किसी कैंडिडेट की ओर से तय समयसीमा के भीतर अपना नाम वापस लेने पर.