Udhampur-Srinagar-Baramulla Rail link: उत्तर रेलवे ने इतिहास रच दिया है, हिमालय पर्वतमाला को चीरते हुए कश्मीर घाटी को देश के दूसरे हिस्सों से रेल के जरिए जोड़ दिया है. भारतीय रेलवे को इस परियोजना को पूरा करने में 20 साल का लंबा समय लगा और इस पर 37000 करोड़ रुपये खर्च हुए. इस ऐतिहासिक घोषणा खुद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने की.


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मंत्री ने अपने विभाग की उपलब्धि गिनाते हुए सोशल मीडिया मंच 'X' पर लिखा, 'ऐतिहासिक मील का पत्थर; उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक पर प्रारंभिक ट्रैक का काम पूरा हो गया है. 3.2 किलोमीटर लंबी सुरंग के लिए गिट्टी रहित ट्रैक का काम पूरा हो गया है. श्री माता वैष्णो देवी मंदिर की तलहटी में स्थित और कटरा को रियासी से जोड़ने वाली टी-33 सुरंग का काम आज दोपहर 02:00 बजे सफलतापूर्वक पूरा हो गया.' 


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देशभर के सैलानियों के खिले चेहरे


इस खबर से कश्मीर के लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई. पर्यटन स्थल होने के कारण कश्मीर हर साल लाखों पर्यटकों का स्वागत करता है, लेकिन लाखों ऐसे भी हैं जो कश्मीर घूमने की इच्छा रखते हैं, लेकिन नहीं जा पाते क्योंकि वे हवाई किराया और सड़क यात्रा वहन नहीं कर सकते, उन्हें लगता है कि यह असुरक्षित और थकाऊ है. लेकिन अब जब ट्रेन कश्मीर को देश से जोड़ती है तो वे बिना किसी परेशानी के आ सकते हैं. इसके अलावा, कश्मीर एक वीकेंड डेस्टिनेशन भी हो सकता है.


कश्मीर बन गया वीकेंड एन्ज्वायमेंट वाला डेस्टिनेशन !


नवदीप सिंह ने कहा, 'हमें यहां आने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. पहले हमें पंजाब से जम्मू के लिए ट्रेन लेनी पड़ी, फिर मुझे पता चला कि कोई सीधी ट्रेन नहीं है, इसलिए बनिहाल तक कैब ली और फिर यहां के लिए ट्रेन पकड़ी. यह उन पर्यटकों के लिए बहुत बड़ा लाभ होगा जो दिल्ली से कश्मीर आते हैं और यहां अपना वीकेंड एन्जॉय कर सकते हैं.'


अमनदीप सिंह ने कहा, 'बहुत सारे लाभ होगा, सरकार का सपना देश का सपना है. कश्मीर एक खूबसूरत शहर है जिसे हर कोई देखना चाहता है, इसलिए अब हर कोई सीधे कश्मीर आ सकता है, पूरा देश इसका इंतजार कर रहा था.'


कश्मीर के व्यापारिक समुदाय ने भी इस कदम का स्वागत किया है. उनका मानना है कि यह कश्मीर के लिए बड़ा बदलाव है और इससे कश्मीर के व्यापार और पर्यटन उद्योग को नई ऊंचाइयां मिलेंगी.


कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स के सदस्य और हाउसबोट एसोसिएशन प्रेसिडेंट मंज़ूर पख्तून ने कहा, 'यह एक स्वागत योग्य कदम और ऐतिहासिक विकास है, यह हमारी लंबे समय से लंबित मांग थी कि हमें सभी मेट्रो शहरों से ट्रेन कनेक्टिविटी मिलनी चाहिए. यह अच्छी बात है कि ट्रैक पूरा हो गया है और हमें उम्मीद है कि ट्रेन जल्द ही यहां पहुंच जाएगी, इससे हमें फायदा होगा क्योंकि मिडिल क्लास महंगी फ्लाइट के कारण यहां नहीं आ पाते थे और अब हर तबके के सैलानी यहां आएंगे. लोग यहां आना चाहते हैं, जीवन में कभी न कभी यहां एक बार आना सबका सपना होता है.


टूरिज्म को मिलेगा बढ़ावा


स्थानीय लोगों ने कहा इस फैसले से पूरी टूरिज्म इंडस्ट्री को फायदा होगा. इसे विकास की संभावनाएं और रोजगार के मौके बढ़ेंगे. वहीं यहां पर अन्य उद्योग भी बढ़ेंगे, क्योंकि ठंड में हाईवे बंद हो जाते हैं, अब उन्हें कनेक्टिविटी मिलेगी और यहां काम बढ़ेगा.'


यह कश्मीरी आम लोगों की लंबे समय से लंबित मांग थी कि देश के बाकी हिस्सों के साथ सस्ती और तेज़ कनेक्टिविटी हो. कश्मीर के आम लोगों को लगता है कि इससे कश्मीरी लोगों के जीवन में 360 डिग्री का बदलाव आएगा.


स्थानीय लोगों के चेहरे खिले 


स्थानीय निवासी आशिक हुसैन ने कहा, 'मुझे लगता है कि यह बहुत अच्छी बात है. जब हमें जम्मू जाना होता था तो हमें बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था. अब ट्रेन सीधी जाएगी. इससे बहुत राहत मिलेगी और इससे मदद मिलेगी. व्यापार के लिए भी ट्रेन से यात्रा बहुत आसान हो जाएगी. हमें इसका स्वागत करना चाहिए. यह हमारे लिए बहुत अच्छी बात है. यह सबके लिए अच्छा है, छात्रों के लिए, आम आदमी के लिए. हमने इसका स्वागत किया, हम इसका इंतजार कर रहे थे'.


एक अन्य स्थानीय निवासी मुदासिर ने कहा, 'बहुत सारे बदलाव हुए हैं और आएंगे भी. इसके फायदे और नुकसान हैं. अगर कश्मीरी पढ़ाई के लिए बाहर जाते हैं तो उन्हें लाभ मिलेगा. अगर वे टैक्सी से जम्मू जाते हैं तो 12-15 सौ रुपये लगते हैं और ट्रेन सस्ती होगी, कुल मिलाकर लाभ होगा.


कश्मीर से बाहर पढ़ने वाले हजारों कश्मीरी छात्र हैं. उन्हें या तो हवाई जहाज से या सड़क मार्ग से यात्रा करनी पड़ती है और यह उनके लिए महंगा और समय लेने वाला होता है, अब जब ट्रेन कनेक्टिविटी शुरू हो जाएगी तो वे न केवल पैसे बचाएंगे बल्कि समय भी बचाएंगे और तेज और आरामदायक यात्रा कर पाएंगे.


जुनैद नामक एक छात्र ने कहा, 'इससे हमें बहुत फायदा होगा, जो मुश्किलें हम झेल रहे थे, वो नहीं होंगी, इससे हमें बहुत फ़ायदा होगा. यात्रा आसान होगी. कम समय लगेगा. हम इसी का इंतज़ार कर रहे थे.'


रोमाना नामक एक अन्य छात्रा ने कहा, 'इससे हमें बहुत फायदा होगा. अगर ट्रेन सीधे वहां जाएगी तो हमारे लिए यह आसान हो जाएगा. यह हम छात्रों के लिए फायदेमंद होगा और हमारे लिए यह बहुत आसान होगा.'


कश्मीर वो डेस्टिनेशन है जहां गर्मियों में बिहार, यूपी, पंजाब से लाखों मजदूर काम के लिए आते हैं और वे भी बहुत खुश हैं कि अब ट्रेन सेवा सीधी हो जाएगी.


कन्हैया नामक एक श्रमिक ने कहा, 'मैं पिछले 20 वर्षों से यहां आ रहा हूं, श्रमिकों को बड़ा लाभ मिलेगा, समय कम लगेगा और हम पैसे भी बचा सकेंगे, हम पहले ट्रेन से बनिहाल आते थे, अब हम सीधे जाएंगे.'


सुरक्षा व्यवस्था


बारामुला से कटरा तक 272 किलोमीटर लंबे रेलवे ट्रैक को पूरी तरह से सुरक्षित बनाया गया है. इन 272 किलोमीटर में से बारामुला से संगलदान तक 193 किलोमीटर पर पहले से ही सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. सुरक्षा के दो विंग, रेलवे पुलिस सुरक्षा {आरपीएफ} और सामान्य रेलवे पुलिस {GRP} रेलवे स्टेशनों और ट्रैक की सुरक्षा के लिए पूरी तरह से समर्पित हैं. 


बारामुला से कटरा तक हर रेलवे स्टेशन पर आरपीएफ तैनात है और स्टेशनों की सुरक्षा का जिम्मा संभाला है. हर स्टेशन पर एक्स-रे मशीनें रखी गई है जो लोगों की तलाशी के साथ-साथ उनकी भाषा की भी जांच करती हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई अप्रिय घटना न हो. 


ट्रैक की सुरक्षा की जिम्मेदारी जीआरपी की है. ट्रैक पर हर 5 किलोमीटर पर 5-7 जीआरपी के जवान निगरानी रखने के लिए ट्रैक पर चक्कर लगा रहे हैं. उन्होंने भी छोटे-छोटे गार्ड रूम बनाए हैं और उनकी पेट्रोल शिफ्ट बदलती रहती है. ये जवान जम्मू कश्मीर पुलिस से हैं और सामान्य रेलवे पुलिस में ट्रांसफर किए गए हैं.



हिमालय की सबसे कठिन रेल लाइन से होकर गुजरने वाले इस ट्रैक पर देश के किसी भी अन्य रेलवे ट्रैक से अधिक पुल और सुरंगें हैं. इसमें 931 पुल और 38 सुरंगें हैं, जिनमें सबसे लंबी सुरंग 12.5 किलोमीटर की है और चिनाब नदी पर दुनिया का सबसे ऊंचा पुल है, जिसकी ऊंचाई 359 मीटर है, जो चिनाब नदी से सबसे ऊंचा है. पेरिस का एफिल टावर भी ऊंचा है. 


हर पुल और सुरंग के प्रवेश और निकास बिंदु पर सुरक्षा गार्ड रूम है, इसके अलावा हर स्टेशन और हर सुरंग और पुल पर CCTV कनेक्टिविटी होगी और यह चौबीसों घंटे रेलवे और सुरक्षा अधिकारियों द्वारा कई उप-नियंत्रण कक्षों में नियंत्रित किया जाएगा और उप-नियंत्रण कक्ष श्रीनगर और उधमपुर में मुख्य नियंत्रण कक्ष से जुड़े होंगे. यह भी कहा जा रहा है कि कटरा में एक सर्च प्लाइंट बनाया जा सकता है, जहां यात्रियों और उनकी भाषा की जांच की जाएगी. 


कटरा से श्रीनगर तक ट्रेन का संचालन शुरू होने के बाद CRPF और SSB की अतिरिक्त तैनाती भी की जाएगी, जो क्षेत्र की सफाई करेंगे और छोटे और बड़े रेलवे स्टेशनों और संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा भी करेंगे.


परियोजना की डिटेल: - 2004 में इस रेल परियोजना की शुरुआत हुई थी और इसे पूरा करने में 20 साल लग गए थे. यह सबसे कठिन रेल ट्रैक है जो हिमालय और चिनाब नदी से होकर गुजरता है. इस परियोजना की लागत लगभग 37000 करोड़ रुपये रही. इस ट्रैक पर 931 छोटे-बड़े पुल हैं. सबसे ऊंचा चिनाब पुल दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल है. इसके अलावा इसमें 38 सुरंगें भी हैं. इनमें से 12.5 किलोमीटर लंबी विद्युतीकृत सुरंग भारत की सबसे लंबी सुरंग है. इस परियोजना को उत्तरी रेलवे, कोंकण रेलवे और इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड ने शुरू किया था. बारामुला से कटरा तक ट्रैक पूरी तरह से विद्युतीकृत है, जिससे यात्रा करना और भी सुरक्षित हो गया है. सुरंगों को बहुत ही उच्च गुणवत्ता और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार डिजाइन किया गया है. किसी भी दुर्घटना की स्थिति में यात्रियों को सुरक्षित निकालने के लिए चलने योग्य सुरंगें प्रदान की गई हैं. इससे यह साबित होता है कि यह देश की सबसे कठिन रेलगाड़ी हो सकती है, लेकिन साथ ही यह सबसे सुरक्षित यात्रा भी है.