नई दिल्ली : भाजपा ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन के दौरान हालात पटरी पर लौटने का दावा करते हुए शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के तहत ही कश्मीर जन्नत बना रहेगा. राज्य में राष्ट्रपति शासन छह महीने के लिए बढ़ाने के प्रस्ताव और जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक-2019 पर लोकसभा में चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा सांसद पूनम महाजन ने सवाल किया कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जम्मू-कश्मीर का विषय लेकर संयुक्त राष्ट्र क्यों गए थे? उन्होंने यह भी कहा कि मोदी सरकार में जम्मू-कश्मीर के युवा देश के साथ जुड़े हैं और कांग्रेस के इस दावे में कोई दम नहीं है कि राज्य के लोग अलग-थलग महसूस कर रहे हैं.


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पूनम ने सवाल किया कि लंबे समय तक कश्मीर में जाने के लिए परमिट क्यों लेना पड़ता था? दो झंडा और दो निशान (राजकीय चिह्न) की बात क्यों हुई? श्यामा प्रसाद मुखर्जी को बलिदान क्यों देना पड़ा? कश्मीरी पंडितों को घाटी से विस्थापित क्यों होना पड़ा? लोगों को पहले लाल चौक पर तिरंगा फहराने से क्यों रोका जाता था? भाजपा सदस्य ने कहा कि मोदी सरकार ने आतंकवादियों के खिलाफ सख्ती दिखाई और ‘इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत’ की भावना के साथ राज्य के लोगों को दिल से अपने साथ जोड़ा है.


उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह के हालिया कश्मीर दौरे का उल्लेख करते हुए कहा कि सरदार वल्लभ भाई पटेल के बाद शाह देश के ऐसे दूसरे गृह मंत्री हैं, जिनके वहां जाने पर कोई विरोध और बंद नहीं हुआ तथा उनका स्वागत किया गया. मोदी सरकार में कश्मीर जन्नत बना हुआ है और जन्नत बना रहेगा.


उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे इलाकों में गोलाबारी का सामना करने वालों को लंबे समय तक आरक्षण से उपेक्षित रखा गया था लेकिन मोदी सरकार ने उनके हितों के बारे में सोचा है. भाजपा नेता ने कहा कि उनकी पार्टी की यह सोच है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, है और आगे भी बना रहेगा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को सोचना चाहिए कि जम्मू-कश्मीर और देश के दूसरे हिस्सों में उसकी स्थिति क्यों कमजोर हुई? तृणमूल कांग्रेस की प्रतिमा मंडल ने सवाल किया कि आखिर लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव क्यों नहीं कराए गए? नेशनल कांफ्रेस के हसनैन मसूदी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के साथ लंबे समय से नाइंसाफी होती आ रही है.


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उन्होंने कहा कि पहली नाइंसाफी यह की गई कि राज्य के विशेष दर्जे को कमजोर करने की कोशिश की गई. दूसरी नाइंसाफी यह की गई कि राज्य में लोकतंत्र को पटरी से उतारने की कोशिश की गई.