श्रीनगर: श्रीनगर में एक ऐतिहासिक मस्जिद के बाहर भीड़ ने गुरुवार देर रात एक पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) मोहम्मद अयूब पंडित की पत्थर मार-मारकर हत्या कर दी. इस घटना की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती तथा अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक सहित कई लोगों ने निंदा की है. मुख्यमंत्री मुफ्ती ने इस घटना को 'शर्मनाक' करार दिया और कहा कि अगर पुलिस के सब्र का बांध टूट गया तो गंभीर प्रतिक्रिया हो सकती है. 


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सीएम महबूबा मुफ्ती ने इसे 'भरोसे का कत्ल' बताया. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर पुलिस बड़े संयम से और रियासत के लोगों के हित में काम कर रही है. ऐसी घटनाओं से अगर पुलिस का सब्र जवाब दे गया, तो डर है कि पुलिस की सख्ती से फिर वही पुराना वक्त न लौट आए, जब सड़क पर पुलिस की जिप्सी देखकर लोग डर से भाग जाते थे.


सीएम डीएसपी पंडित के जनाजे में भी शामिल हुईं. उप मुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने भी कहा कि कानून को हाथ में लेने वालों के साथ राज्य सरकार सख्ती से पेश आएगी. वहीं, अलगाववादी नेता मीरवाइज ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि यह हमारे मूल्यों और मजहब के मापदंडों से बाहर है.


प्रदेश के राज्यपाल एन एन वोहरा ने इस घटना पर गहरी चिंता जतायी. एक आधिकारिक प्रवक्ता के अनुसार सुबह इस घटना की जानकारी मिलने पर राज्यपाल ने पुलिस महानिदेशक एस पी वैद से बात की और दिवंगत पुलिस अधिकारी के परिवार के प्रति संवेदना जतायी.


केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह रमजान के पवित्र महीने में 'अपवित्र कृत्य' है. उन्होंने कहा कि यह घटना कश्मीर के मासूम लोगों के लिए आंखें खोलने वाली है जिन्हें दशकों से स्वयंभू नेताओं ने बंधक बना रखा है. उन्होंने कहा कि अगर यह धर्म के नाम पर युद्ध है तो इससे बड़ा अधार्मिक कृत्य क्या हो सकता है. उन्होंने इस घटना में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की.


इस घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा ने कहा कि विपक्षी पार्टियां श्रीनगर में एक पुलिस अधिकारी की हत्या पर सिर्फ बयानबाजी कर रही हैं. पार्टी प्रवक्ता जी वी एल नरसिंह राव ने कहा कि कांग्रेस तथा वाम दलों ने थलसेना प्रमुख पर हमला बोला लेकिन, वे सुरक्षा बलों के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा देने के लिए अलगाववादियों की निंदा नहीं करेंगे.


कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने भी इस घटना की निंदा की और कहा कि यह इस्लाम तथा मानवता के खिलाफ है. कांग्रेस प्रवक्ता आर पी एन सिंह ने कहा कि जहां तक आंतरिक सुरक्षा का सवाल है, कानून व्यवस्था का सवाल है, वह पूरी तरह ठप हो गयी है. ऐसा लगता है कि सरकार के पास कोई नीति नहीं है.


(इनपुट एजेंसी से भी)