जानिए कौन हैं सज्जन कुमार, 1984 दंगों के बाद कांग्रेस में कैसे बढ़ा इनका कद | 10 बातें
न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने कुमार को आपराधिक षड्यंत्र रचने, शत्रुता को बढ़ावा देने, सांप्रदायिक सद्भावना के खिलाफ कृत्य करने का दोषी ठहराया.
नई दिल्लीः 1984 में हुए सिख विरोधी दंगा मामले में सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई है. न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने कुमार को आपराधिक षड्यंत्र रचने, शत्रुता को बढ़ावा देने, सांप्रदायिक सद्भावना के खिलाफ कृत्य करने का दोषी ठहराया. हाईकोर्ट ने कहा कि कुमार को ताउम्र जेल में रहना होगा.
1- सज्जन कुमार का जन्म 23 सितंबर 1945 में दिल्ली में हुआ था. कुछ राजनीतिज्ञों की मानें तो सज्जन कुमार के परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी, जिसके चलते वह शुरुआती दौर में चाय बेचने का काम करते थे, लेकिन राजनीति की तरफ झुकाव होने के कारण कभी चाय की दुकान चलाने वाले सज्जन कुमार ने काफी कोशिशों के बाद राजनीति का दामन थाम लिया.
2- इस दौरान काफी समय तक राजनीति में एक्टिव रहने के बाद 1970 के आस-पास वह संजय गांधी की नजरों में आए. जिसके बाद सज्जन कुमार ने बाहरी दिल्ली के इलाके मादीपुर से म्युनिसिपल चुनाव लड़ा और जीत गए. वहीं 1977 में सोशल एक्टिविस्ट रहे गुरू राधा किशन ने उन्हें काउंसलर पद की शपथ दिलाई थी.
3- करीब तीन दशक के राजनीतिक करियर में उन्होंने 1980 में 35 साल की उम्र में चौधरी ब्रह्म प्रकाश को हराते हुए लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की. बता दें चौधरी ब्रम्ह प्रकाश यादव दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री थे. 1980 में चौधरी ब्रम्ह प्रकाश यादव को हराने के बाद उन्होंने 1991 में BJP के साहब सिंह वर्मा को शिकस्त देते हुए बाहरी दिल्ली लोकसभा में जीत हासिल की. जिसके साथ वह 14वीं लोकसभा में बाहरी दिल्ली से सांसद चुने गए.
4- बता दें 31 अक्टूबर 1984 में इंदिरा गांधी की उनके सिख बॉडी गार्ड्स द्वारा गोली मारकर हत्या करने के बाद भड़के सिख विरोधी दंगों में सज्जन कुमार का नाम मुख्य है.
5- 1984 में भड़के सिख विरोधी दंगों में सज्जन कुमार पर मर्डर, डकैती और लूट जैसे आपराधिक मामलों की साजिश का आरोप था.
6- इन दंगों में दिल्ली कैंट के राजनगर इलाके में पांच सिखों केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुविंदर सिंह, नरेंद्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह की हत्या कर दी गई थी. इस मामले में शिकायतकर्ता और प्रत्यक्षदर्शी जगदीश कौर केहर सिंह की पत्नी और गुरप्रीत सिंह की मां थीं. रघुविंदर, नरेंदर और कुलदीप उनके और मामले के एक अन्य गवाह जगशेर सिंह के भाई थे.
7- जिसके बाद में नानावटी कमीशन की सिफारिश के बाद 2005 में सज्जन के खिलाफ CBI ने दो चार्जशीट फ़ाइल की. सिखों के विरुद्ध दंगे भड़काने के मामले में सज्जन कुमार के साथ ही कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर और अन्य बड़े नेताओं का नाम शामिल था.
8- साल 2005 में केस की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई के हाथ आई और उसने कोर्ट को बताया कि दंगों में सज्जन और पुलिस के बीच खतरनाक संबंध था. इससे पहले दिल्ली पुलिस ने दंगों की जांच की थी. जिसके बाद भड़काने में नाम आने के कारण 2009 में कांग्रेस ने सज्जन कुमार को लोक सभा चुनाव लड़ने से मना कर दिया था.
9- अप्रैल 2013 में दिल्ली की एक निचली अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान दिल्ली छावनी में पांच सिखों की हत्या के मामले में सज्जन कुमार को सभी आरोपों से बरी कर दिया था. अदालत का आदेश के आने के तुरंत बाद सिख संगठनों ने इस फैसले के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिए थे. सिखों ने दिल्ली में पहली बार मेट्रो का परिचालन रोक दिया था. इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ केंद्रीय जाँच ब्यूरो यानी सीबीआई ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की थी. 27 अक्टूबर 2018 को दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
10- 17 दिसंबर 2018 को दिल्ली हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई. इसके अलावा, कैप्टन भागमल, पूर्व पार्षद बलवान यादव और गिरधारी लाल को भी उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई गई है. हाईकोर्ट ने कहा कि सज्जन कुमार की मौत होने तक उन्हें जेल में बंद रखा जाए.