नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पिछले 8 महीने से गतिरोध जारी है और इस दौरान दोनों देशों के बीच अब तक कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल पाया है. अब नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) ने भारत और चीन के बीच मध्यस्थता करने की बात की है. उन्होंने कहा कि हम दोनों पड़ोसियों के बीच तटस्थ रहेंगे और वार्ता नहीं हो रही है तो हम वार्ता शुरु कराने का कोशिश करेंगे.


Zee News के एडिटर इन चीफ सुधीर चौधरी ने लिया इंटरव्यू


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Zee News के एडिटर इन चीफ सुधीर चौधरी (Sudhir Chaudhary) ने काठमांडू में नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) का इंटरव्यू लिया. इस दौरान उन्होंने सवाल किया, 'चीन के साथ हमारा गलवान के ऊपर विवाद हुआ, लद्दाख के ऊपर विवाद हुआ. फिर बातचीत बंद हो गई, लगातार वो चल रहा है. जैसे ही वो हुआ अचानक आपने कालापानी पर स्टेटमेंट दे दिया और नक्शा बदल दिया. लोगों को ये लगने लगा कि ये सबकुछ एकसाथ क्यों हो रहा है, अचानक क्यों हो रहा है? भारत के लोगों को लगा कि नेपाल को तो चीन के खिलाफ कोई स्टेटमेंट देना चाहिए था, जैसा कि अमेरिका, फ्रांस से समर्थन मिला, लेकिन नेपाल ने नहीं दिया. बल्कि नेपाल ने कहा कि अब मुझे भी मेरी टेरिटरी चाहिए.'


'गलवान से हमारा कुछ लेना-देना नहीं'


सवाल के जवाब में केपी शर्मा ओली (KP Sharma Oli) ने कहा, 'आपकी बात जरा भटकाने वाली है. बुरा मत मानिएगा, क्योंकि गलवान से हमारा कुछ लेना-देना नहीं है. आपको मैं समझाऊं. दिल्ली ने 8वां एडिशन पब्लिश करवाया. कश्मीर और लद्दाख की बात थी, वहीं तक सीमित रहती. फिर नेपाल की टेरिटरी उसमें शामिल करने की कोई जरूरत नहीं थी. हमने उस नक्शे के ऊपर डिप्लोमैटिक नोट भेजा और वार्ता के लिए प्रस्ताव रखा. इसका समाधान होना चाहिए, लेकिन उसका कोई पॉजिटिव रिस्पांस नहीं मिला.' उन्होंने आगे कहा, 'आप नक्शा छपवाते हैं और उसी वक्त हमने लिखा कि ये नहीं करना चाहिए था. फिर हमारी टेरिटरी पर रास्ता बनवाया और उद्घाटन किया. हमने फिर डिप्लोमैटिक नोट लिखा, रिक्वेस्ट किया, बातचीत किया जाए. ये ठीक नहीं हुआ.'


'भारत-चीन के बीच वार्ता शुरु कराने का कोशिश करेंगे'


केपी शर्मा ओली ने कहा, 'गलवान में जब विरोध हुआ, उसी वक्त सड़क का उद्घाटन क्यों किया गया. उसी वक्त उदघाटन करना क्या जरूरी था. अब बताइए गलवान से हमको क्यों जोड़ते हैं. किसी का साइड लेने की पॉलिटिक्स हमारी नहीं है. हमारी पॉलिटिक्स तटस्थता और तटस्थता हमारी नीति है. हम दोनों पड़ोसियों के बीच तटस्थ रहेंगे, वार्ता नहीं हो रही है तो हम वार्ता शुरु कराने का कोशिश करेंगे.' उन्होंने आगे कहा, 'दोनों मित्र हैं, हम प्रेसिडेंसी से भी बात कर सकते हैं और ली केकियांग के साथ प्राइम मिनिस्टर से भी बात कर सकते हैं. वैसे ही मोदी जी से भी बात कर सकते हैं, दोनों तरफ हमारे मित्र हैं. हम दोनों मित्र के बीच में जो गलतफहमी है, उसको हटाने में और संबंधों को ठीक करने में मदद कर सकते हैं.'



शी जिनपिंग और नरेंद्र मोदी के बीच करेंगे मध्यस्थता?


इसके बाद Zee News के एडिटर इन चीफ सुधीर चौधरी ने जब केपी शर्मा ओली से सवाल किया, 'आपको ऐसा लगता है, आप शी जिनपिंग और नरेंद्र मोदी के बीच कुछ इस तरीके की मध्यस्थता कर सकते हैं या बातचीत कर सकते हैं. जिसमें आप कोई रोल निभा सकते हैं एक तटस्थ अंपायर के रूप में? इस पर नेपाल के पीएम ने कहा, 'हां. बेशक.'


भारत-नेपाल के बीच कैसे होगी बातचीत?


जब Zee News के एडिटर इन चीफ सुधीर चौधरी ने उनसे पूछा, 'पर ये कैसे होगा?' केपी शर्मा ओली ने कहा, 'हम दोनों ओर बात करेंगे, आपलोग बातचीत पर बैठ जाइए. क्योंकि हम सभी लगभग समव्यस्क साथी हैं. एक डेढ़ साल कोई बड़ा होगा और कोई छोटा होगा. लंबे समय से हम सब पॉलिटिक्स में हैं, इसलिए हम साथी जैसे ही हैं और ही नहीं, हम साथी ही हैं.'


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