AAP में कुमार विश्वास को लेकर फिर बगावत, राज्यसभा सीट की मांग पर समर्थकों का हंगामा
कुमार विश्वास के समर्थकों ने कुमार को राज्यसभा भेजने के लिए पार्टी मुख्यालय पर धरना दिया. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पार्टी अरविंद केजरीवाल के हाथों की कठपुतली बन गई है.
नई दिल्ली : आम आदमी पार्टी के बागी नेता कुमार विश्वास को लेकर पार्टी में चल रहा गतिरोध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. इस बार कुमार के समर्थकों ने उन्हें राज्यसभा भेजे जाने की मांग को लेकर पार्टी कार्यालय पर धरना दिया. कुमार विश्वास के समझाने पर समर्थकों ने धरना समाप्त किया. इस पर कुमार ने फिर कहा कि वह हमेशा पार्टी के साथ हैं.
बता दें कि दिल्ली से राज्यसभा की तीन सीटों का चुनाव होना है. इसके लिए चुनाव आयोग ने 16 जनवरी को चुनाव होने की भी घोषणा कर दी है. नामांकन 5 जनवरी तक किए जाएंगे. चूंकि दिल्ली में आम आदमी पार्टी का पूरी तरह से कब्जा है, इसलिए तीनों सीटों पर आप उम्मीदवार ही राज्यसभा जाएंगे, लेकिन पार्टी ने अभी तक उम्मीदवारों का ऐलान नहीं किया है. पार्टी सूत्र बताते हैं कि पार्टी बाहरी लोगों को ही राज्यसभा भेजेगी.
इसी बात ने नाराज कुमार विश्वास के समर्थकों ने गुरुवार को कुमार को राज्यसभा भेजे जाने की मांग करते हुए पार्टी मुख्यालय में कब्जा जमा लिया. समर्थक वहीं डेरा जमा कर बैठ गए और कुमार के समर्थन में नारेबाजी करने लगे. इन समर्थकों का कहना था कि पार्टी ‘स्वराज’ या शक्तियों के विकेंद्रीकरण के आधार पर बनी थी, लेकिन अब पूरी शक्ति अरविंद केजरीवाल के हाथों में सिमट कर रह गई है.
उधर, पार्टी ने इस विरोध-प्रदर्शन को बीजेपी प्रायोजित बताते हुए इसकी शिकायत पुलिस को की. सूचना मिलने पर बड़ी संख्या में पुलिसबल पार्टी कार्यालय पहुंच गया. लेकिन यह ड्रामा सारा दिन चलता रहा. समर्थकों ने कार्यालय के अंदर ही टैंट लगावा लिया और रजाई-गद्दे मंगवा लिए. उनका कहना था कि जब तक पार्टी कोई फैसला नहीं लेती वे प्रदर्शन जारी रखेंगे. अंत में कुमार विश्वास के समझाने पर उनके समर्थकों ने धरना खत्म किया.
उधर, आप में मचे इस घमासान पर विरोधी दलों ने भी चुटकी ली है. जनता दल (यूनाइटेड) के पूर्व अध्यक्ष तथा पूर्व राज्यसभा सांसद शरद यादव ने ट्वीट करके कहा, 'दिल्ली के LG के पास दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल के लिए समय नहीं है और दिल्ली के CM और आम आदमी पार्टी के संयोजक के पास कार्यालय पर मौजूद कार्यकर्ताओं से मिलने का समय नहीं है. जैसी करनी, वैसी भरनी!'