Kurla Building Collapse: अब हम आपको महाराष्ट्र (Maharashtra) की एक बड़ी दुर्घटना के बारे में बताएंगे, जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई. लेकिन दुर्भाग्य ये है कि इस समय महाराष्ट्र के नेताओं और विधायकों को इस दुर्घटना की कोई चिंता नहीं है. बल्कि महाराष्ट्र के सभी विधायक इस समय सरकार गिराने और सरकार बचाने की कोशिश में जुटे हुए हैं और यही लोकतंत्र का सबसे कड़वा सच है. जिसमें लोगों की जान से ज्यादा नेताओं को सरकार बचाने की चिंता है.


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मुंबई के कुर्ला में चार मंजिला रिहायशी इमारत गिरी


मुंबई (Mumbai) के कुर्ला (Kurla) में कल देर रात एक चार मंजिला रिहायशी इमारत बारिश के दौरान नीचे गिर गई और इस दौरान बिल्डिंग के मलबे में दबने से 11 लोग मर गए. जबकि 13 लोग इस हादसे में गंभीर रूप से घायल हुए हैं और अब भी इस बिल्डिंग के मलबे में कुछ लोगों के दबे होने की आशंका है.


सरकार बचाने में जुटे नेता


बड़ी बात ये है कि कुर्ला से शिवसेना के जो विधायक हैं, वो इस समय अपने विधानसभा क्षेत्र में नहीं हैं. बल्कि वो उद्धव सरकार को गिराने के लिए गुवाहाटी के एक Five Star Hotel में ठहरे हुए हैं और जो विधायक मुंबई में हैं भी, वो भी सरकार बचाने के लिए सिर्फ बैठकें कर रहे हैं.


बीएमसी की तरफ से जारी किए गए थे कई नोटिस


इस दुर्घटना में जो बिल्डिंग गिरी है, वो 70 साल से ज्यादा पुरानी थी और इसमें कुछ मजदूर अपने परिवारों के साथ रहते थे. BMC ने बताया है कि वो वर्ष 2016 से इस इमारत को खाली करने के लिए नोटिस दे रही थी और इस दुर्घटना से तीन दिन पहले भी उसकी तरफ से एक नोटिस जारी हुआ था, जिसमें मजदूरों से कहा गया था कि वो तुरंत इस बिल्डिंग को खाली कर दें क्योंकि ये बिल्डिंग बारिश के दौरान गिर सकती है.


लेकिन इन लोगों ने इस नोटिस को गंभीरता से नहीं लिया और इसमें कहीं ना कहीं प्रशासन की भी गलती है. सोचिए, जब बड़े-बड़े अधिकारियों को पता था कि ये बिल्डिंग गिरने वाली है, तब भी उन्होंने इन लोगों का वहां कैसे रहने दिया?


मुंबई को भारत की Financial Capital कहा जाता है. लेकिन सच ये है कि मुंबई में हर साल बारिश के दौरान बड़ी-बड़ी इमारतें ताश के पत्तों की तरह ढह जाती हैं. वर्ष 2013 से 2019 के बीच मुंबई में लगभग चार हजार इमारतें ऐसे ही हादसों में नीचे गिर गई थीं, जिनमें 300 से ज्यादा लोग मारे गए थे. इसके अलावा पिछले साल मुंबई में मॉनसून के दौरान ऐसी 200 से ज्यादा घटनाएं हुईं, जिनमें 436 लोग मारे गए.


यानी जिस शहर को भारत की Financial Capital कहा जाता है, वो शहर इतना खोखला हो चुका है कि यहां हर साल सैकड़ों इमारतें गिर जाती हैं. लेकिन इसके बावजूद नेताओं को लोगों की जान बचाने से सरकार बचाने की चिंता लगी रहती है.


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