DNA: विपक्षी दल के नेता आरोप लगाते रहते हैं कि LAC पर चीन ने गांव बसा लिया है. चीन अपने हथियारों को सीमा पर जुटा रहा है और भारत को आंखें दिखा रहा है. नेता सवाल करते हैं कि चीन के खिलाफ भारत की क्या तैयारी है. चीन LAC के करीब कोई भी हरकत करता है, तो इसकी जानकारी भारत को रहती है. इसलिए भारत LAC पर अपने Infrastructure को मजबूत करने के साथ साथ सैन्य क्षमताओं पर भी काम कर रहा है.


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LAC तक पहुंचाना पहले के मुकाबले अब ज्यादा आसान


एक समय था, जब अरुणाचल प्रदेश में LAC के पास किबिथू तक पहुंचने के लिए हफ्तों का पैदल सफर करना पड़ा था. LAC तक हथियार पहुंचाना बेहद मुश्किल काम होता था. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में भारत सरकार ने यहां सड़कों का जाल बिछा दिया है, 400 किलोमीटर से ज्यादा सड़कें बनाई जा चुकी हैं. पहले नदियों पर कम क्षमता वाले पुल बने हुए थे, जिनसे भारी सैन्य वाहन और हथियारों को लेकर जाना मुश्किल होता था. अब इनके स्थान पर अब 18 पक्के और मजबूत पुल बनकर तैयार हैं. बाकी पुलों का काम चल रहा है. इससे LAC तक पहुंचने में जहां हफ्तों का समय लगता था, अब वो घटकर कुछ घंटों का रह गया है. साथ ही सैन्य साजोसामान भी LAC तक पहुंचाना पहले के मुकाबले ज्यादा आसान हो गया है.


चीन का जवाब देने के लिए भारत तैयार


चीन से सटी भारत की इस सीमा पर फिलहाल शांति बनी हुई है. चीन की किसी भी हरकत का जवाब देने के लिए भारत की तैयारी पुख्ता है. जिसका जायजा लेने के लिए Zee News संवाददाता कृष्ण मोहन मिश्रा अरुणाचल प्रदेश की वलोंग घाटी पहुंचे. क्योंकि, वर्ष 1962 में इसी क्षेत्र में भारत-चीन के बीच युद्ध हुआ था.


- 21 अक्टूबर 1962 को चीनी सैनिकों ने किबिथू पर हमला शुरु किया था.
- तब किबिथू में 6 कुमाऊं रेजिमेंट तैनात थी, जिनके लिए चीनी सैनिकों को रोकना संभव नहीं था
- किबिथू तक पहुंचने के लिए ना पक्के रास्ते थे, ना ही नदियों पर मजबूत पुल बने हुए थे.
- भारतीय सेना ने मजबूरी में किबिथू से 40 किलोमीटर पीछे हटकर वलोंग में मोर्चा लेने का फैसला किया
- हथियारों और रसद की कमी, बारिश और सर्दी से जूझते हुए, भारतीय सैनिकों ने अपने से 6 गुना बड़ी चीनी सेना को रोक कर रखा.
- 22 दिन की लड़ाई के बाद हताहत भारतीय सैनिकों की संख्या 642 थी, जिसमें 404 सैनिक तो 6 कुमाऊं रेजिमेंट के थे.


LAC पर भारत ने हथियारों की पहुंच बढ़ाई


तब Infrastructure की कमी महसूस की गई थी. जिसे समय के साथ अब पूरा किया गया है. किस तरह LAC पर भारत ने अपना Infrastructure मजबूत किया है और हथियारों की पहुंच बढ़ाई है. इसपर Zee News संवाददाता कृष्ण मोहन मिश्रा ने LAC से Exclusive Report भेजी है, जिसे आपको जरूर देखना चाहिए.


1962 में बुरे थे हालात


ज़ी न्यूज़ की टीम बिना किसी दिक्कत के अरूणाचल प्रदेश में LAC के पास किबिथू तक पहुंच गई. लेकिन वर्ष 1962 में किबिथू तक पहुंचने में भारतीय सैनिकों को 16 दिन का पैदल सफर करना पड़ा था. और मुठ्ठीभर भारतीय सैनिकों ने युद्ध में चीनी सैनिकों को 22 दिन रोके रखा. तब इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी बहुत खली थी, लेकिन अब तस्वीर पूरी तरह बदल गई है.


असम-अरुणाचल सीमा तक 18 नए पुल


LAC के पास पहाड़ी क्षेत्र में पुल, सुरंग और सड़कों पर तेजी से काम चल रहा है. अब सड़क किबिथू तक पहुंच गई है. वर्ष 2020 में चीन के साथ लद्दाख में तनाव बढ़ने के बाद इस इलाक़े में इंफ्रास्ट्रक्चर मज़बूत करने का काम बहुत तेज़ किया गया है. असम-अरुणाचल सीमा तक 18 नए पुल बनाए जा चुके हैं, जबकि 3 पुलों को बनाने का काम चल रहा है. वर्ष 2023 तक कुल 411 किलोमीटर की 4 महत्वपूर्ण सड़कें बना दी गई हैं. जबकि कई सड़कों के निर्माण का काम चल रहा है.


सैनिकों के रहने के विशेष प्रबंध


किबिथू के इलाक़े में भारी बारिश और शून्य से कम तापमान में सैनिकों के रहने के विशेष प्रबंध किये गये हैं, जिनमें एक समय में 1600 सैनिक रह सकते हैं. वर्ष 1962 में वलोंग की लड़ाई में हमारे सैनिकों के पास द्वितीय विश्वयुद्ध में इस्तेमाल होने वाली राइफलें थीं और तोपखाने की मदद ना के बराबर थी. लेकिन अब आधुनिक हथियारों से भारतीय सेना लैस है. बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, आधुनिकर हथियार और सुविधाओं से सैनिकों का मनोबल बढ़ता है. अब हमारे सैनिकों के पास मशीनगन से लेकर तोप तक आसानी से पहुंच रही हैं.


भारतीय सेना 24 घंटे तैयार


पिछले 62 वर्षों में यहां दोनों तरफ से गोली नहीं चली है, लेकिन हालात संवेदनशील होने की वजह से भारतीय सेना 24 घंटे तैयार है. LAC से हमारी Ground Report देखने के बाद आपको अंदाजा हो गया होगा, कि LAC पर आज भारत कितनी मजबूत स्थिति में है. क्योंकि, चीन एक ऐसा देश है जिसपर भरोसा नहीं किया जा सकता है. लद्दाख में चीन ने पीठ पीछे वार किया था, लेकिन अरुणाचल में ऐसी किसी भी स्थिति से निपटने के लिए भारत तैयार है.


भारत की पहले वार ना करने की नीति


भारत की पहले वार ना करने की नीति रही है, लेकिन सरहद पर दुश्मन कोई गड़बडी़ फैलाने की कोशिश करता है, तो भारत चुप बैठने वालों में भी नहीं है. और इसी की तैयारी भारत ने अरुणाचल प्रदेश में LAC पर की हुई है.