लखीमपुर हिंसा का `वीडियो गेम`! किसानों को कुचला या उपद्रवियों से जान बचाई?
लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर को हुई हिंसा के 4 नए वीडियो आज हमें मिले हैं. हम एक-एक करके इन सभी वीडियोज के बारे में आपको बताएंगे. लेकिन उससे पहले ये बता दें कि Zee News इन वीडियोज की पुष्टि नहीं करता.
नई दिल्ली: कल तक लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा की आधी तस्वीर आपके सामने आई थी. लेकिन आज हम आपको नई गवाही और नए तथ्यों के साथ इसकी पूरी तस्वीर दिखाएंगे. बड़ा सवाल ये है कि गाड़ी से प्रदर्शनकारी किसानों को जानबूझकर कुचला गया या फिर ये दुर्घटना उपद्रवियों से जान बचाने की कोशिश के दौरान हुई. आज हम इन सभी सवालों का जवाब आपको देंगे.
Zee News को मिले 4 नए वीडियो
लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर को हुई हिंसा के 4 नए वीडियो आज हमें मिले हैं. हम एक-एक करके इन सभी वीडियोज के बारे में आपको बताएंगे. लेकिन उससे पहले ये बता दें कि Zee News इन वीडियोज की पुष्टि नहीं करता. सबसे पहले वीडियो में दो गाड़ियां किसानों को रौंदती हुई दिख रही हैं. इसमें साफ दिख रहा है कि ये गाड़ियां तेज स्पीड में थीं और जो किसान सड़कों पर खड़े थे, ये उन्हें कुचलते हुए आगे निकल गईं. इनमें जिस गाड़ी ने किसानों को कुचला, वो काले रंग की थार जीप है. किसानों को कुचलने वाली इस गाड़ी का आगे का शीशा टूटा हुआ दिख रहा है. दावा है कि किसानों के पथराव में इस गाड़ी का ये शीशा टूटा, जिसके बाद ये घटना हुई. यानी दावा ये है कि किसानों ने हमला किया और फिर उनसे बचने की कोशिश में ये गाड़ियां तेज स्पीड में वहां से निकलीं.
दूसरी और तीसरी वीडियो में क्या है?
इस घटना के दूसरे वीडियो में इसी गाड़ी से कुछ लोगों को उतरते हुए देखा गया. दावा है कि इनमें एक अजय मिश्रा टेनी (Ajay Kumar Mishra) के बेटे आशीष मिश्रा (Ashish Mishra) हैं और दूसरे सुमित जायसवाल हैं. जबकि घटना के तीसरे वीडियो में दिख रहा है कि किसान इन गाड़ियों को रोकने के लिए सड़क पर आकर खड़े हो गए थे और उन्हें काले झंडे दिखा रहे थे. इससे ऐसा भी लगता है कि किसानों के विरोध से बचने के लिए वहां से तेज रफ्तार में गाड़ियां भगाई गईं. यानी ये हो सकता है कि ये दुर्घटना उपद्रवियों से जान बचाने की कोशिश के दौरान हुई.
गाड़ियों में बज रहा था सायरन
इसके अलावा एक और वीडियो है, जिसमें किसान एक गाड़ी को घेर कर खड़े हैं और काले झंडे दिखा रहे हैं. दावा है कि इस गाड़ी में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी खुद बैठे थे. हालांकि ये अपुष्ट जानकारी है और पुलिस ने भी अब तक इस पर कुछ नहीं कहा है. इस घटना के दौरान इन गाड़ियों में सायरन (Siren) भी बज रहा था. मोटर व्हीकल एक्ट के तहत सिर्फ ऐम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड, पुलिस और संवैधानिक पदों पर बैठे लोग जैसे प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति और लोक सभा स्पीकर की गाड़ी में सायरन बज सकता है. लेकिन इस मामले में इस नियम का भी उल्लंघन हुआ.
हिंसा में कुल 8 लोगों की हुई मौत
इस हिंसा के कुछ वीडियोज सोमवार को भी सामने आए थे, जिनमें किसान इन गाड़ियों में तोड़फोड़ और आगजनी करते हुए नजर आ रहे थे. इनमें प्रदर्शन कर रहे किसानों ने बीजेपी (BJP) के कुछ कार्यकर्ताओं की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. 3 अक्टूबर को हुई इस हिंसा में कुल 8 लोग मारे गए है, जिनमें 4 किसान हैं, 2 बीजेपी के कार्यकर्ता हैं, एक आशीष मिश्रा का ड्राइवर है और एक वहां के स्थानीय पत्रकार रमन कश्यप हैं. अब तक इस मामले में दो FIR दर्ज हो चुकी हैं, जिनमें एक एफआईआर अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा के खिलाफ दर्ज हुई है. उन पर हत्या और गैर इरादन हत्या दोनों ही धारा लगाई गई हैं.
FIR में क्या लिखा हुआ है?
FIR की कॉपी में लिखा है कि 3 अक्टूबर को किसान अजय मिश्रा टेनी और उप मुख्य मंत्री केशव प्रसाद मौर्य को काले झंडे दिखाने के लिए शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे थे. लेकिन इसी दौरान आशीष मिश्रा हथियारों से लैस 15 से 20 लोगों के साथ वहां पहुंचे और किसानों को कुचलते हुए निकल गए. इसमें ये भी दावा है कि आशीष मिश्रा ने फायरिंग की थी, जिससे गुरविंदर सिंह नाम के एक किसान की मौत हो गई. हालांकि, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दावा है कि जो लोग इस हिंसा में मारे गए, उनमें से किसी की भी मौत गोली लगने से नहीं हुई है. जो चार किसान मारे भी गए, उनके शरीर पर चोट के निशान मिले हैं. इसमें ये भी दावा है कि गुरविंदर सिंह पर किसी धारदार हथियार से हमला किया गया, न कि उनकी हत्या गोली मार कर की गई.
SIT करेगी मामले की जांच
बीजेपी के दो कार्यकर्ता और आशीष मिश्रा के ड्राइवर हरिओम मिश्रा की मौत लाठी डंडों से पीटने से हुई है. इन लोगों के शरीर पर चोट के गहरे निशान मिले हैं. इसके अलावा पोस्टमार्टम में ये भी पता चला कि पत्रकार रमन कश्यप की हत्या पीट पीट कर की गई. यहां ये भी सवाल उठ रहे हैं कि जब बीजेपी के कार्यकर्ता वहां से भाग गए थे तो रमन कश्यप को किसने मारा. रमन कश्यप तो किसानों के प्रदर्शन की कवरेज करने गए थे. इस हिंसा की जांच के लिए आज ही 6 सदस्यों की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) का गठन किया गया. इसके अलावा उत्तर प्रदेश पुलिस (UP Police) ने हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज से भी मामले की जांच कराने के लिए कहा है.
अजय मिश्रा ने आरोपों का बताया गलत
अजय मिश्रा टेनी और उनके बेटे आशीष टेनी ने Zee Media से बात की है, जिसमें उन्होंने ये कहा है कि उन्हें पडयंत्र के तहत फंसाया जा रहा है. उनका ये भी दावा है कि वो हिंसा वाली जगह से 4-5 दिनों से नहीं गुजरे थे. इसलिए ये आरोप झूठा है कि वो भी वहां मौजूद थे.
प्रियंका गांधी को किया गिरफ्तार
इस बीच आज प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) को भी उत्तर प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. प्रियंका गांधी कल सीतापुर जिले के रास्ते लखीमपुर खीरी जाने की कोशिश कर रही थीं, जिसके बाद उन्हें हिरासत में लेकर सीतापुर के गेस्ट हाउस भेज दिया गया था. लेकिन आज उन्हें वहीं से गिरफ्तार भी कर लिया गया. फिलहाल इस गेस्ट हाउस को उनके लिए एक अस्थाई जेल में बदला गया है. उनकी गिरफ्तारी CRPC की धारा 151, 107 और 116 के तहत हुई है. इन धाराओं में किसी भी व्यक्ति को तब गिरफ्तार किया जाता है, जब पुलिस और प्रशासन को ऐसा लगता है कि वो व्यक्ति कोई अपराध कर सकता है या किसी इलाके की शांति भंग कर सकता है. पुलिस का कहना है कि प्रियंका गांधी ये जानते हुए लखीमपुर खीरी जा रही थीं कि वहां धारा 144 लागू है और उनके जाने से इलाके में तनाव बढ़ सकता है.
'जिसे जेल में रखा वो डरती नहीं है'
हालांकि इस गिरफ्तारी पर मंगलवार को सीतापुर में खूब हंगामा हुआ, और प्रियंका गांधी को रिहा करने की मांग कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने की. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने भी इस पर ट्वीट करके लिखा, 'जिसे हिरासत में रखा है, वो डरती नहीं है. सच्ची कांग्रेसी है, हार नहीं मानेगी! सत्याग्रह रुकेगा नहीं.' इस वक्त का एक बड़ा अपडेट ये है कि राहुल गांधी विपक्ष के नेताओं के साथ बुधवार को लखीमपुर खीरी जा सकते हैं. इसके लिए शिवसेना के सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) ने भी उनसे मुलाकात की. हमें पता चला है कि राहुल गांधी के साथ विपक्ष के नेताओं का प्रतिनिधिमंडल लखीमपुर खीरी जा सकता है.
एयरपोर्ट के अंदर धरने पर बैठे सीएम बघेल
लखीमपुर खीरी पहुंचने के लिए विपक्षी नेताओं के बीच प्रतियोगिता अब भी जारी है. मंगलवार को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) को पुलिस ने लखनऊ एयरपोर्ट से बाहर जाने की इजाजत नहीं दी, तो वो एयरपोर्ट के अन्दर ही धरने पर बैठ गए. पुलिस का कहना है कि वो लखनऊ एयरपोर्ट (Lucknow Airport) से बाहर निकल कर लखीमपुर जाने की कोशिश कर सकते थे, इसलिए उन्हें रोका गया. सोचने वाली बात ये है कि भूपेश बघेल अपने राज्य को छोड़ कर उत्तर प्रदेश में राजनीति कर रहे हैं, जबकि 15 दिन पहले आई नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट कहती है कि अपराध के मामलों में छत्तीसगढ़ बिहार से भी आगे निकल गया है.
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