BIhar Deputy CM Tejashwi Yadav: बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से प्रवर्तन निदेशालय ने कथित नौकरी के बदले जमीन घोटाले से जुड़े धन शोधन के मामले की जांच के सिलसिले में मंगलवार को नौ घंटे तक पूछताछ की.राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख एवं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी (33) करीब 10.45 बजे मध्य दिल्ली में संघीय एजेंसी के कार्यालय पहुंचे.


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सूत्रों ने बताया कि जांच एजेंसी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत यादव का बयान दर्ज किया और वह रात नौ बजे ईडी कार्यालय से बाहर आये. इसके बीच में तेजस्वी दोपहर में एक घंटे के भोजनावकाश पर भी रहे.
तेजस्वी से पिछले महीने केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने भी पूछताछ की थी.


सूत्रों ने बताया कि ईडी ने सीबीआई की प्राथमिकी के आधार पर धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की आपराधिक धाराओं के तहत एक अलग मामला दर्ज किया है. तेजस्वी यादव की बहन एवं सांसद मीसा भारती से भी ईडी ने 25 मार्च को इस मामले में पूछताछ की थी, उसी दिन तेजस्वी सीबीआई के समक्ष पेश हुए थे.


दोनों केंद्रीय एजेंसियों ने हाल ही में मामले में कार्रवाई शुरू की. सीबीआई ने लालू प्रसाद और उनकी पत्नी एवं बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से पूछताछ की थी जबकि ईडी ने राजद प्रमुख के परिवार के खिलाफ जांच के सिलसिले में कई स्थानों पर छापेमारी की. इसके बाद ईडी ने कहा कि उसने एक करोड़ रुपये की बेहिसाब नकदी जब्त की और 600 करोड़ रुपये की अपराध से अर्जित आय का पता लगाया.


एजेंसी ने कहा कि प्रसाद के परिवार और उनके सहयोगियों की ओर से विभिन्न स्थानों पर रियल एस्टेट सहित विभिन्न क्षेत्रों में किए गए और निवेश का पता लगाने के लिए जांच चल रही है. यह मामला लालू प्रसाद के 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री रहने के दौरान उनके परिवार को कथित तौर पर उपहार में दी गई या बेची गई जमीन के बदले रेलवे में की गई नियुक्तियों से जुड़ा है. उस समय केंद्र में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग-1) की सरकार थी.


तेजस्वी यादव के बारे में विशेष उल्लेख करते हुए ईडी ने कहा था कि दक्षिण दिल्ली में न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में डी-1088 स्थित एक संपत्ति एबी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर पंजीकृत एक स्वतंत्र चार मंजिला बंगला है. इस कंपनी को इस मामले में ‘लाभार्थी फर्म’ कहा गया है.


ईडी ने कहा था कि यह कंपनी तेजस्वी यादव और उनके परिवार के स्वामित्व और नियंत्रण में है और यह घर केवल 4 लाख रुपये के मूल्य पर अधिग्रहीत किया गया था, जबकि इसका वर्तमान बाजार मूल्य लगभग 150 करोड़ रुपये है. ईडी ने आरोप लगाया था, ऐसा संदेह है कि इस संपत्ति को खरीदने के लिए भारी मात्रा में नकदी डाली गई है और रत्न एवं आभूषण क्षेत्र में कारोबार करने वाली मुंबई की कुछ इकाइयों का इस्तेमाल अपराध को अंजाम देने के लिए किया गया. 


जांच एजेंसी के अनुसार, कागज पर हालांकि इस संपत्ति को एबी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड और एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड का कार्यालय घोषित किया गया है, लेकिन लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी प्रसाद यादव द्वारा इसे विशेष रूप से आवासीय परिसर के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है.


ईडी ने कहा, तलाशी के दौरान तेजस्वी प्रसाद यादव इस घर में रह रहे थे और पाया गया कि वह इस घर का इस्तेमाल अपनी आवासीय संपत्ति के रूप में कर रहे थे.  यह आरोप लगाया गया है कि 2004-09 की अवधि के दौरान, विभिन्न व्यक्तियों को भारतीय रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों में ग्रुप डी के पदों पर नियुक्त किया गया था, और बदले में, संबंधित व्यक्तियों ने अपनी जमीन तत्कालीन रेल मंत्री प्रसाद और एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के परिवार के सदस्यों को हस्तांतरित कर दी थी.


सीबीआई ने आरोप लगाया है कि नियुक्ति के लिए कोई विज्ञापन या सार्वजनिक नोटिस जारी नहीं किया गया था, लेकिन पटना के कुछ निवासियों को मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में स्थित विभिन्न जोनल रेलवे में विकल्प के रूप में नियुक्त किया गया था.


सीबीआई ने आरोप लगाया था कि बदले में उम्मीदवारों ने सीधे तौर पर या अपने परिवार के सदस्यों के माध्यम से प्रसाद के परिवार के सदस्यों को कथित तौर पर अत्यधिक रियायती दरों पर जमीन बेची, वह भी बाजार दरों के मुकाबले बहुत कम कीमत में. आरोपों से इनकार करते हुए तेजस्वी यादव ने, सीबीआई द्वारा अपने माता-पिता से पूछताछ किए जाने के बाद संवाददाताओं से कहा था कि तत्कालीन रेल मंत्री प्रसाद के पास लाभ के बदले रोजगार देने की कोई शक्ति नहीं थी.


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