Nuh Violence News: नूंह हिंसा के बाद हुए दंडात्मक एक्शन पर हरियाणा सरकार का HC में जवाब, `कार्रवाई जातीय सफाये का मामला नहीं`
Nuh Violence Update: नूंह हिंसा के बाद हुए सरकार के एक्शन क्या जातीय सफाये के मामले थे, इस पर हरियाणा सरकार ने हाई कोर्ट में अपना जवाब दिया है. सरकार ने अपने जवाब में जातीय सफाये की आशंका निर्मूल बताई थी.
Latest Updates on Nuh Violence in Haryana Punjab High Court: हरियाणा सरकार ने नूंह हिंसा के बाद दंगाईयों पर हुई दंडात्मक कार्रवाई के बारे में पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में अपना जवाब दिया है. सरकार ने नूंह में अपने विध्वंस अभियान का बचाव करते हुए कहा है कि कोई भी ढांचा गैरकानूनी तरीके से नहीं ढहाया गया. सरकार ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई किसी भी तरह के जातीय सफाए का मामला नहीं था. इस जवाब को सरकार पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री को सौंपेगी.
'क्या जातीय सफाये की कार्रवाई थी'
राज्य सरकार ने कहा है कि नूंह (Nuh Violence Update) में मुस्लिम-हिंदू जनसंख्या का अनुपात 80:20 है जबकि विध्वंस कार्रवाई का अनुपात 70:30 था. नूंह में जारी विध्वंस अभियान पर 7 अगस्त को जस्टिस जी.एस. संधावालिया और जस्टिस हरप्रीत कौर जीवन की कोर्ट ने स्वत संज्ञान लेते हुए रोक लगा दी थी. इस अभियान का जिक्र करते हुए उच्च न्यायालय ने पूछा था कि क्या यह ‘जातीय सफाए की कार्रवाई’ थी.
हाईकोर्ट में शुक्रवार को हुई सुनवाई
पिछले सप्ताह सुनवाई के दौरान जस्टिस अरुण पल्ली और जस्टिस जगमोहन बंसल की बेंच ने मामले को शुक्रवार के लिए स्थगित करने से पहले इसे मुख्य न्यायाधीश के पास भेज दिया था. यह मामला शुक्रवार को चीफ जस्टिस रविशंकर झा और जस्टिस अरुण पल्ली की बेंच के सामने आया. हरियाणा के अतिरिक्त महाधिवक्ता दीपक सभरवाल ने शुक्रवार को सुनवाई के बाद उच्च मीडिया को बताया, ‘अदालत ने कहा है कि सरकार का जवाब अदालत की रजिस्ट्री में दाखिल किया जाना चाहिए, जो हम करेंगे.’
बिना भेदभाव लिया गया सख्त एक्शन
सभरवाल ने बताया कि कोर्ट में पेश करने के लिए सरकार ने 400 पन्नों का जवाब तैयार किया है. उन्होंने कहा, ‘हमने अपने जवाब में यह भी कहा है कि गुरुग्राम में जो विध्वंस अभियान (Nuh Violence Update) चलाया गया था, इसमें शामिल संरचनाएं पूरी तरह से एक समुदाय (हिंदू समुदाय) की थीं.’ सभरवाल ने कहा, ‘नूंह के मद्देनजर हमने अपने जवाब में कहा है कि वहां पर मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या का अनुपात 80:20 है. इसके बावजूद जो विध्वंस किया गया है, उसका अनुपात 70:30 है. इसलिए, यह बिल्कुल भी नहीं कहा जा सकता कि यह जातीय सफाए का मामला है. यह अदालत द्वारा केवल एक आशंका थी जिसे राज्य ने अपने जवाब में पूरी तरह से प्रदर्शित किया है कि पूरी प्रक्रिया का पालन किया गया है.’
आज दाखिल किया जाएगा जवाब
उन्होंने कहा कि एनजीटी के आदेश पर नूंह में कुछ ढांचों को ढहाया गया क्योंकि वे पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन कर रहे थे. सभरवाल ने दावा किया, ‘राज्य के लिए सभी समान हैं और यह किसी भी तरह जातीय सफाए का मामला नहीं है. राज्य इस बारे में बहुत स्पष्ट है. हम शनिवार को रजिस्ट्री के समक्ष जवाब दाखिल करेंगे.’
31 जुलाई को शोभायात्रा पर किया था हमला
बता दें कि विश्व हिंदू परिषद की शोभायात्रा पर पथराव के बाद 31 जुलाई को नूंह (Nuh Violence Update) में सांप्रदायिक झड़प हो गई थी. जिसमें दंगाइयों ने शोभायात्रा में शामिल हुए लोगों पर जबरदस्त पथराव कर उनकी 130 से ज्यादा गाड़ियां जला दी थी. साथ ही 5 लोगों की हत्या कर दी थी. इस घटना के बाद सरकार ने दंगाइयों के खिलाफ सख्त दंडात्मक अभियान शुरू किया. बाद में यह हिंसा पड़ोसी जिले गुरुग्राम में भी फैल गई, जिसमें भीड़ ने बदला लेने के लिए एक मस्जिद के इमाम को मार डाला था.
(एजेंसी भाषा)