DNA Analysis: क्या हिंदू देवी-देवताओं का अपमान करना ही है अभिव्यक्ति की आजादी? लीना मणि-मेकलई पर कब होगा एक्शन
Leena-Manimekalai Maa Kali Controversy: क्या संविधान में दी गई अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब केवल हिंदू देवी-देवताओं का मजाक उड़ाना ही रह गया है. क्यों नहीं मां काली का मजाक उड़ाने वाली फिल्म मेकर लीना मणि-मेकलई (Leena-Manimekalai) पर सख्त कार्रवाई की जाती.
Leena-Manimekalai Maa Kali Controversy: आज हमारे देश के सामने Two and A Half Front War की चुनौती है. यानी एक तरफ़ पाकिस्तान है, दूसरी तरफ़ चीन है और Half Front उन लोगों का है, जो इसी देश में रह कर भारत को अस्थिर करने की साजिश रचते हैं. हकीकत ये है कि अब आधुनिक युद्ध सीमाओं पर नहीं होगा. अब युद्ध का मतलब यही है कि देश के अंदर मतभेद पैदा कर दो. सिविल सोसाइटी को विभाजित कर दो. राजनीतिक विचारधारा के आधार पर लोगों को लड़वा दो. धर्म, जाति, भाषा और क्षेत्र के आधार पर लोगों में नफरत पैदा कर दो और राष्ट्रवाद की मानसिकता पर ही हमला कर दो, जिसे मनोवैज्ञानिक युद्ध कहा जाता है.
आधुनिक युद्ध यानी मॉडर्न वॉरफ़ेयर का सबसे घातक हथियार यही है, जिसे विपक्षी दल मानने के लिए ही तैयार नहीं हैं. उनके लिए सरकार भी एक राजनीतिक पार्टी है और सरकार का विरोध करना ही राजनीति है. उसी राजनीति में देश का सम्मान ठुकराने की गलत परंपरा भी शुरू हो गई है.
भारत का संविधान खतरे में?
इस सबके बीच जो बड़ा सवाल है, वो ये कि क्या अब भारत का संविधान ख़तरे में नहीं है? हमें लगता है कि बिल्कुल आज भारत का संविधान खतरे में हैं. क्योंकि अगर पैगम्बर मोहम्मद साहब के अपमान पर हमारे देश में हंगामा होता है और हिन्दू देवी देवताओं के अपमान पर सन्नाटा छा जाता है तो ये कहना गलत नहीं होगा कि भारत का संविधान खतरे में है. अगर अभिव्यक्ति की आजादी के संवैधानिक अधिकार को धर्म के आधार पर विभाजित कर दिया जाता है तो ये स्पष्ट रूप से दिखाता है कि आज भारत का संविधान गम्भीर चुनौतियों का सामना कर रहा है.
लीना मणि-मेकलई उड़ा रही भारतीय संस्कृति का मजाक
फिल्ममेकर लीना मणि-मेकलई (Leena-Manimekalai) ने हाल ही में अपनी एक Documentary का पोस्टर रिलीज़ किया था, जिसमें हिन्दू देवी काली (Maa Kali) को सिगरेट पीते हुए दिखाया गया था. इस मामले में उनके खिलाफ कई राज्यों में FIR दर्ज हुई. लेकिन हमारे देश के बुद्धीजीवियों, लिबरल और विपक्षी दलों के बहुत सारे नेताओं ने जिस तरह से पैगम्बर मोहम्मद साहब के अपमान पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई. उस तरह से हिन्दू देवी देवताओं के अपमान पर कुछ नहीं कहा. ये विरोधाभास दुर्भाग्य तो है ही. साथ ही इससे ये भी पता चलता है कि हमारे देश में अभिव्यक्ति की आजादी को भी धर्म के आधार पर बांट दिया गया है, जिसमें हिन्दू देवी देवताओं के अपमान पर तो डिस्काउंट मिल जाता है लेकिन इस्लाम धर्म के नाम पर गला काट दिया जाता है.
फिल्म मेकर ने फिर किया विवादित ट्वीट
इस बात को आप फिल्म-मेकर लीना-मणिमेकलई (Leena-Manimekalai) के इस नए ट्वीट से भी समझ सकते हैं, जिसमें उन्होंने भगवान शंकर और पार्वती का किरदार निभाने वाले लोगों की एक तस्वीर ट्वीट की है, जिसमें वो धूम्रपान करते हुए दिख रहे हैं.
लीना मणि-मेकलई अपने Tweets में लिखती हैं कि भारत सबसे बड़े लोकतंत्र से सबसे बड़ी नफरत की मशीन बन गया है. वो ये भी लिखती हैं कि उन्हें इस देश में सेंसर करने की कोशिश हो रही हैं और वो इस समय देश में कहीं भी खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करती. लीन मणि-मेकलई भारतीय होकर ही भारत का अपमान करती हैं, हिन्दू देवी देवताओं का अपमान करती हैं. देश को नफरत की मशीन बताती हैं. लेकिन इसके बावजूद उन्हें इसी देश में डर लगता है.
आगा खान म्यूजियम ने किया खेद व्यक्त
बड़ी बात ये है कि लीना-मणिमेकलई (Leena-Manimekalai) की ये Documentary कनाडा के जिस Aga Khan Museum में दिखाई जानी थी, उस Museum ने इसे अपनी प्रस्तुति से हटा दिया है और इस पर खेद भी व्यक्त किया है. लेकिन जिस फिल्म-मेकर ने ये Documentary बनाई है, उसने अब तक इस पर कोई अफसोस नहीं जताया. इससे ऐसा लगता है कि लीना-मणिमेकलई जानती हैं कि भारत जैसे देश में उन पर धार्मिक भावनाएं भड़काने के लिए कुछ नहीं होगा और वो अभिव्यक्ति का सहारा लेकर आसानी से बच जाएंगी.
हालांकि भारत के विदेश मंत्रालय ने आज इस पर बयान जारी किया है और बताया है कि उसने कनाडा के Aga Khan Museum को अपनी शिकायत दी थी, जिस पर इस Museum की तरफ से संज्ञान लेते हुए इस Documentary को प्रस्तुति हटा दिया गया.
मुनव्वर फारुकी और कन्हैया लाल से समझें माजरा
अभिव्यक्ति के धार्मिक बंटवारे को समझाने के लिए आज हम आपको उदाहरण देना चाहते हैं. इसमें एक तरफ़ Comedian मुनव्वर फारूकी हैं और दूसरी तरफ़ कन्हैया लाल हैं. दोनों ही लोगों को धार्मिक अपमान के मामले में IPC की धारा 295A के तहत गिरफ़्तार किया गया था. लेकिन मुनव्वर फारूकी की गिरफ्तारी के बाद वो जेल से बाहर आ गए और उन्होंने एक रिएलिटी शो जीत लिया. लेकिन उदयपुर में कन्हैया लाल की जेल से बाहर आते ही निर्ममता से हत्या कर दी गई. इससे आप समझ सकते हैं कि हमारे देश में हिन्दू देवी देवताओं का अपमान करना फैशन क्यों बन गया है?
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