नई दिल्ली: सिद्धार्थ शुक्ला (Sidharth Shukla) की मृत्यु ने आज पूरे देश को सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की मौत की भी याद दिला दी थी, जिन्होंने पिछले वर्ष जून के महीने में आत्महत्या कर ली थी. हालांकि सुशांत के बहुत सारे फैन्स आज भी ये मानते हैं कि उन्होंने आत्महत्या नहीं की थी, बल्कि उनकी हत्या की गई थी.


सिद्धार्थ-सुशांत में समानताएं


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सिद्धार्थ और सुशांत की कहानी में कुछ और समानताएं भी है. जैसे दोनों ने ही अपने दम पर टेलीविजन और फिल्म इंडस्ट्री में पहचान बनाई थी. दोनों मध्यर्गीय परिवारों से आते थे. सुशांत के परिवार में उनके पिता और बहने थीं, जबकि सिद्धार्थ के परिवार में मां और दो बहनें हैं. सबसे बड़ा इत्तेफाक है कि सुशांत सिंह राजपूत को मुंबई के जिस अस्पताल में ले जाया गया था, सिद्धार्थ शुक्ला को भी उसी अस्पताल में ले जाया गया, जिसका नाम है कूपर अस्पताल (Cooper Hospital).


शुक्रवार को होगा अंतिम संस्कार


फिलहाल इसी अस्पताल में सिद्धार्थ शुक्ला के शव का पोस्टमार्टम किया गया है जिसकी रिपोर्ट आने के बाद ही सिद्धार्थ शुक्ला की मृत्यु के असली कारण का पता चल पाएगा और ये भी कि उन्होंने सोने से पहले क्या कोई ऐसी दवाई खाई थी, जिसकी वजह से उनकी तबीयत बिगड़ गई. हालांकि सिद्धार्थ शुक्ला के परिवार ने स्पष्ट किया है उन्हें सिद्धार्थ की मृत्यु को लेकर किसी तरह की गड़बड़ी की आशंका नहीं है. उनके परिवार का ये भी कहना है कि सिद्धार्थ को डिप्रेशन जैसी कोई समस्या नहीं थी. सिद्धार्थ का शव उनके घर वालों को कल सुबह सौंपा जाएगा और कल मुंबई में ही उनका अंतिम संस्कार होगा. 


सिद्धार्थ ने हर पल का आनंद लिया


लेकिन कुल मिलाकर सिद्धार्थ शुक्ला की मृत्यु हमें बताती है कि जीवन का सबसे बड़ा सच सिर्फ मृत्यु ही है, और ये कभी भी किसी को अपना शिकार बना सकती है. जिस दिन आप जन्म लेते हैं, उसी दिन से आप अपनी मृत्यु की तरफ चलने लगते हैं. मृत्यु धर्म निरपेक्ष होती है और वो सबके साथ बराबर न्याय करती है. मृत्यु को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई व्यक्ति कितना बड़ा स्टार है, कितना गरीब है, कितना लोकप्रिय है, उसका धर्म और जाति क्या है. महात्मा बुद्ध, ज्ञान प्राप्ति के बाद सिद्धार्थ गौतम से बुद्ध बने थे. वो कहते थे कि जिस व्यक्ति ने अपना जीवन संपूर्णता के साथ जिया है, यानी जिसने जीवन के हर पल का आनंद लिया है, मृत्यु भी उसे डरा नहीं सकती. सिद्धार्थ शुक्ला भी अपने जीवन को उसकी गहराइयों में समझते थे.


बिग बॉस से घर-घर में मिली पहचान


वर्ष 2017 में उन्होंने एक Tweet किया था, जिसमें उन्होंने लिखा था कि मृत्यु सबसे बड़ी क्षति नहीं है. सबसे बड़ी क्षति तब होती है जब आपके भीतर कुछ मर जाता है. सिद्धार्थ शुक्ला सिर्फ 40 वर्ष के थे और उन्होंने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत वर्ष 2008 में की थी. 2005 में उनका मॉडलिंग करियर शुरू हुआ था और इसी दौरान उनके पिता की मृत्यु हो गई थी. सिद्धार्थ ने पहले टीवी सीरियल में काम किया और फिर उन्हें बॉलीवुड में मौके मिलने लगे. वो बिग बॉस (Big Boss) नाम के एक रियलटी शो के विजेता भी रह चुके हैं और इसी के बाद उन्हें भारत के घर-घर में पहचान मिली थी. 


मृत्यु सभी के लिए अंजान होती है


पिछले कुछ समय में भारत के लाखों युवा उनके फैन्स बन गए और उनका करियर नई ऊंचाइयों पर जा रहा था. इस दौरान उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में कई दोस्त बनाए और फिल्म इंडस्ट्री के कई बड़े लोगों से उनकी जान पहचान भी थी. वो जल्दी ही बड़े फिल्म स्टार्स के साथ एक वेब सीरिज में नजर आने वाले थे. यानी सिद्धार्थ शुक्ला की मृत्यु किसी अंजान व्यक्ति की मृत्यु नहीं है. इसलिए आज उनके लाखों करोड़ों फैन्स उनके इस तरह चले जाने से दुखी हैं. लेकिन जीवन का सच ये है कि आप चाहे कितने भी मशहूर हो, लेकिन मृत्यु सबके लिए अंजान होती है और हर किसी को एक न एक दिन इसका सामना करना ही पड़ता है.


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