दिल्ली सरकार ने आशा किरण आश्रय गृह प्रशासक की नियुक्ति पर उठाए सवाल, तो उपराज्यपाल की तरफ से आया जवाब
Delhi News: दिल्ली सरकार ने रोहिणी स्थित आशा किरण आश्रय गृह में पिछले महीने 14 बच्चों की मौत की मजिस्ट्रेट जांच के शुक्रवार को आदेश दिए. उपराज्यपाल ने भी आशा किरण में हुई मौतों सहित दिल्ली सरकार के आश्रय गृहों के संचालन की जांच के निर्देश दिए हैं.
LG Delhi: आम आदमी पार्टी (आप) ने शनिवार को उपराज्यपाल वी के सक्सेना से सवाल किया कि रिश्वत लेने के आरोप में पूर्व में निलंबित किये गये एक अधिकारी को आशा किरण आश्रय गृह का प्रशासक क्यों नियुक्त किया गया है, जहां जुलाई में 14 लोगों की मौत हो गयी. राज निवास के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि प्रशासक की नियुक्ति समाज कल्याण विभाग द्वारा ‘आंतरिक रूप से’ की गई थी, जो पूर्ण रूप से मुख्यमंत्री और संबंधित मंत्री के नियंत्रण वाला विषय है.
असल में अधिकारियों ने दावा किया कि प्रशासक को उपराज्यपाल द्वारा नियुक्त नहीं किया गया था. आप के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने संवाददाता सम्मेलन में दावा किया कि आश्रय गृह के प्रशासक राहुल अग्रवाल को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 2016 में रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था और वह पांच साल तक निलंबित रहे थे.
उन्होंने कहा कि मैं जानना चाहता हूं कि किस आधार पर उपराज्यपाल ने राहुल अग्रवाल को आश्रय गृह का प्रशासक नियुक्त किया, जहां मानसिक रूप से कमजोर लोगों की असाधारण रूप से बड़ी संख्या में मौतों के बाद विभिन्न अनियमितताएं और कमियां सामने आई हैं.’’ अग्रवाल की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गयी. राज निवास के अधिकारियों ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि दानिक्स अधिकारी होने के नाते प्रशासक को तत्कालीन उपराज्यपाल की मंजूरी के बाद 15 फरवरी, 2021 को समाज कल्याण विभाग में तैनात किया गया था.
एक अधिकारी ने बताया कि इसके बाद संबंधित मंत्री ने उन्हें आशा किरण होम के प्रशासक के रूप में तैनात किया. उन्होंने बताया कि ‘आप’ के दावे पूरी तरह से गलत और भ्रामक हैं. राज निवास के अधिकारी ने सत्तारूढ़ पार्टी की आलोचना करते हुए कहा, ‘‘आप’ और उसके नेताओं व मंत्रियों का यह आम तौर-तरीका है.” भारद्वाज ने उपराज्यपाल से यह भी सवाल किया कि इस मामले में आश्रय गृह प्रशासक और समाज कल्याण विभाग के सचिव के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई.
आप नेता ने कहा कि अधिकारियों के तबादले और नियुक्ति का अधिकार उपराज्यपाल ने सेवा विभाग के माध्यम से अपने पास रखा है और इसकी जिम्मेदारी भी उन्हीं के पास है. भारद्वाज ने यह भी दावा किया कि ओल्ड राजेंद्र नगर और पूर्वी दिल्ली में हुई मौतों के अन्य मामलों में दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) या दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के किसी भी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. उन्होंने सवाल किया कि नालों की सफाई के लिए ‘थर्ड पार्टी’ ऑडिट की रिपोर्ट न देने के लिए मुख्य सचिव के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई.
भाजपा की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने आरोप लगाया कि ‘आप’ सरकार की राजस्व मंत्री अपनी जिम्मेदारी से भाग रही हैं क्योंकि 14 अगस्त 2023 के राजपत्र अधिसूचना के अनुसार, मंत्री को आवंटित न किए जाने वाले सभी विभाग उनके अधीन आते हैं. राज कुमार आनंद के विभाग के प्रभारी मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद समाज कल्याण विभाग का कोई मुखिया नहीं है. आनंद ने भी इस वर्ष अप्रैल में आप छोड़ दी थी. सचदेवा ने कहा, “(राजस्व मंत्री) आतिशी को आशा किरण होम में हुई मौतों की नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए और दिल्ली की जनता से माफी मांगनी चाहिए.”
मामले में आप विधायक दुर्गेश पाठक ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि किसी भी समाज के लिए इससे बड़ा कलंक नहीं हो सकता. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘हमें दो-तीन दिन पहले सूचना मिली कि वहां 14 लोगों की मौत हो गई है, क्योंकि उन्हें उचित पानी, भोजन और चिकित्सा सुविधाएं नहीं दी गईं.’’ उन्होंने यह भी दावा किया कि अग्रवाल को पहले भी भ्रष्टाचार के एक मामले में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था. पाठक ने मांग की, ‘‘यहां सवाल उठता है कि यह जानने के बाद भी उपराज्यपाल ने अग्रवाल को आश्रय गृह का प्रभार क्यों दिया. दो दिन हो गए हैं, इन लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई. अग्रवाल पर सतर्कता रिपोर्ट भी सार्वजनिक की जानी चाहिए. agency input