Bihar Liquor Survey: नीतीश कुमार (Nitish Kumar) बिहार के मुख्यमंत्री होने के साथ वहां की सियासत की नस-नस से वाकिफ हैं. इसीलिए उन्हें बिहार की राजनीति का मंझा हुआ खिलाड़ी माना जाता है. नीतीश हर फैसला बड़ी दूर-दूर तक सोच विचार करने के बाद लेते हैं. फिलहाल तो नीतीश के बीजेपी के साथ जुड़ने की खबरें आ रही हैं. अगर इन खबरों में सच्चाई है तो भी आपको बताते चलें कि जब वो उधर यानी महागठबंधन के साथ थे तब बीजेपी को बैकफुट में रखने के लिए जाति आधारित जनगणना का दांव चले थे. इस बार उनके दिमाग में कुछ और चल रहा है. इस बीच खबर है कि सुशासन बाबू के नाम से मशहूर नीतीश ने अपने ड्रीम ड्रीम प्रोजेक्ट शराबबंदी के प्रभाव का असर जानने के लिए सर्वे कराने का फैसला किया है.


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जल्द होगाा सर्वे, सरकार ने बनाया प्लान


आपको बताते चलें कि शराबबंदी कानून के प्रभाव जानने के लिए बिहार में जल्द सर्वे होने जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस सर्वे को कराने का जिम्मा आईआईएम रांची को दिया गया है. इसी संस्थान की अगुवाई में गहन सर्वेक्षण का काम पूरा होने के बाद रिपोर्ट शासन को सौंपी जाएगी. राज्य सरकार और आईआईएम के बीच जल्द ही एक एग्रीमेंट होने जा रहा है, इससे जुड़ी रिसर्च और रेकी हो गई है. अब तो बस एक सर्वे टीम को धरातल पर उतारकर काम पर लगा देना है.


26 नवंबर को नीतीश कुमार ने किया था ऐलान


आपको बताते चलें कि पिछले साल 26 नवंबर को 'लिकर बैन डे' के मौके पर सीएम नीतीश कुमार ने इस तरह के सर्वे कराने की बात पहली बार सार्वजनिक मंच से कही थी. इसके बाद ही बिहार के आबकारी विभाग ने इस सर्वे को कराने की कवायद के लिए पेपर वर्क की शुरुआत की थी. एजेंसी का नाम फाइनल हो चुका है. बस बस एमओयू साइन होना रह गया है.  


शराबबंदी के गुजरात मॉडल की हो चुकी है चर्चा


गौरतलब है कि बिहार के मद्य निषेध मंत्री ने कुछ दिन पहले कहा था कि बिहार सरकार के विपक्षी दलों की ओर से  गंभीर आरोप लगाए जाते हैं. कहा जाता है कि राज्य में शराबबंदी फेल है और जहरीली शराब पीकर गरीब जनता मर रही है. सरकार के फैसले की समीक्षा की मांग उठ चुकी है. ऐसे में सर्वेक्षण कराने में कोई बुराई नहीं है. आपको बताते चलें कि पूर्व सीएम जीतन राम मांझी तो शराबबंदी पर गुजरात मॉडल लागू करने की मांग कर चुके हैं.