देश की राजनीति का दिल कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश में वैसे तो राजनीतिक हलचल, उठा पटक और गरमा गर्मी का माहौल बारह महीने चलता ही रहता है, पर इन दिनों 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में जिन दो नामों की बहुत चर्चा है वो हैं कन्नौज के बीजेपी (BJP) सांसद सुब्रत पाठक और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव. अपने बेबाक अंदाज और फायर ब्रांड नेता होने के कारण अपने बयानों से सुब्रत पाठक कई बार चर्चा में रहते हैं. साथ ही अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को समाजवादी पार्टी की पारंपरिक सीट कन्नौज से हराने के बाद सुब्रत पाठक, अखिलेश यादव की हिटलिस्ट में लगातार रहे हैं. 


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फिर वो चाहे 2020 में तहसीलदार के साथ मारपीट का मामला हो या फिर हाल ही में घटित कन्नौज के मंडी समिति थाने में पुलिस के साथ मारपीट का मामला हो, जिसमें पुलिस ने खुद आरोप लगाये हैं कि कन्नौज सांसद ने आधी रात थाने में आकर अपहरण के मामले में आरोपी लडकों को छुपाया. न केवल छुडाया बल्कि पुलिस के रोकने पर दस बारह पुलिस वालों को बुरी तरह से पीटा, उनकी वर्दी फाड दी और थाने को आग के हवाले करने की धमकी भी दी जिसके बाद पुलिस वालों ने सांसद और अन्य 52 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कराई है. जिसकी जांच सरकार द्वारा गठित SIT टीम कर रही है. 


जिसके बाद से लगातार अखिलेश यादव बीजेपी और कन्नौज सांसद सुब्रत पाठक पर हमलावर हैं. घटना के बाद 3 जून को अखिलेश यादव ने ट्वीट किया था कि आज की ताज़ा ख़बर: पुलिसवालों ने की कन्नौज के भाजपा सासंद सुब्रत पाठक के ऊपर एफ़आईआर… जनता पूछ रही है कब होंगे गिरफ़्तार? इन भाजपाइयों से बचने के लिए पुलिस क्या बुलडोज़र के पीछे छुपकर अपनी जान बचाए. जिसके एक दिन बाद 4 जून को अखिलेश ने फिर ट्वीट किया कि कन्नौज के भाजपा सासंद सुब्रत पाठक के ख़िलाफ़ पुलिस ने ही एफ़आइआर करवाई है और पुलिस ही कह रही है कि पुलिस की सुरक्षा में रहनेवाले सासंद जी ही लापता हैं. इसे कहते हैं… अंधेर नगरी चौपट राजा,  नामज़द फिर रहा भागा-भागा.  


जिसके बाद से ही पूरी समाजवादी पार्टी और उनकी साइबर सेल टीम के निशाने पर उत्तर प्रदेश में एक ही शख्स हैं वो हैं सुब्रत पाठक.  अखिलेश के जबाव में सुब्रत पाठक ने प्रेस कांफ्रेंस की और कहा कि घटनास्थल पर लगे सीसीटीवी की निष्पक्ष जांच हो जिसमें दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा. उन्होनें ट्वीट के द्वारा लगातार अखिलेश को उनके कार्यकाल में हुए पुलिस पर हमलों और बदहाली का ब्यौरा भी दिया.


उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि एडीजी कानपुर द्वारा मंडी समिति विवाद मामले की जांच SIT को सौंपे जाने का स्वागत करता हूं. CCTV सहित हर मुद्दे की सघनता से और निष्पक्ष जांच हो, ये मेरी शुरू से ही मांग रही है. साथ ही, जो लोग मेरे ऊपर रात ११ बजे चौकी जाने पर सवाल उठा रहे हैं वो इतना समझ लें मैं आज जो हूँ अपने कन्नौज की महान जनता और भाजपा के हजारों समर्पित कार्यकर्ताओं के कारण से हूँ , कन्नौज की जनता का प्रतिनिधि होने के कारण से यदि किसी कार्यकर्ता अथवा आम जन के साथ अन्याय होगा मैं आधी रात भी अपने कार्यकर्ता और जनता  के साथ १ बार नहीं बार बार खड़ा रहूंगा.


इसी बीच समाजवादी पार्टी के मीडिया सेल ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पर 2 जून की रात को हुई घटना का सीसीटीवी (CCTV) जारी किया. अब पुलिस संग हुई घटना का वीडियो वायरल होने के बाद मामला फिर से तूल पकड़ रहा है. कन्नौज लोकसभा के अलावा यहां की तीनों विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा है. यहां की खोई सियासी विरासत को फिर से पाने के लिए समाजवादी पार्टी का हर खेमा कन्नौज मामले पर सक्रिय है. फिर जब पुलिस ने सांसद सहित 52 लोगों पर रिपोर्ट दर्ज की तो भी सपा ने सरकार से गिरफ्तारी को लेकर सवाल किया था. सपा के हर सवाल पर बीजेपी की ओर से खासकर, सांसद की ओर से खूब पलटवार किया गया. समाजवादी पार्टी के शासन के दौरान कन्नौज की घटनाओं की याद दिलाई जा रही है. 


कन्नौज सांसद सुब्रत पाठक ने अपने ट्विटर पर लिखा कि गुंडों की पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अपना मानसिक संतुलन बुरी तरह से खो चुके हैं , कन्नौज लोकसभा अपनी पत्नी की हार की पीड़ा अब इनके चेहरे से टपकने लगी है , थाना तालग्राम मंदिर में माँस रखवाने का आरोपी इनकी सरकार में इनका बड़ा प्रिय रहा है और सदैव उसके घर पर गुंडों का चिह्न (सपा का झंडा ) लगा रहा है और इनके ही इशारे पर क्षेत्र का माहोल ख़राब करने के लिए उसने ऐसा किया होगा , ख़ैर हमारी सरकार ने बिना भेद भाव किए उसे जेल रासुका लगा कर भेज दिया है और रही बात जेल में मिलने की तो मैं जेल में निर्दोष बंद अपने लोधी राजपूत और कुर्मी समाज के कार्यकर्ताओं से मिलने गया था , आप जब गंभीर आरोपों में बंद कानपुर के विधायक इरफान सोलंकी से मिल सकते हो तो क्या मैं अपने हिंदू समाज के कार्यकर्ताओं से नहीं मिल सकता ? और अब ये हमको पकड़ कर पुलिस को देने की बात कर रहे हैं जबकि इनका नेता जो तहसील में दरोग़ा की हत्या कर देता है उसे सांसद और विधायक की टिकट देते हैं हमारे मामले में जिसमें जाँच हो रही है हमें ये पकड़ कर पुलिस को दे देंगे श्रीमान जी मर्यादा में रहिए कहीं ऐसा न हो पकड़ने हमें आओ और हम ख़ुद तुमको पकड़ कर नीरज मिश्रा की हत्या में बंद कर दें. 


आज उत्तर प्रदेश में विपक्ष के लिए खासकर समाजवादी पार्टी के लिए बीजेपी में विरोध का कोई चेहरा है तो वो सुब्रत पाठक ही हैं. जिनके कारण 2019 में लगभग 25 साल बाद सुब्रत पाठक की अगुवाई में समाजवादी पार्टी के घर में सेंध लगाने में बीजेपी पार्टी कामयाब रही थी. अब फिर से उत्तर प्रदेश की राजनीति में केवल दो धुर दिखाई दे रहे हैं जिसमें एक तरफ पूरी समाजवादी पार्टी है और दूसरी तरफ सु्ब्रत पाठक. 


समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव का 80 सीटों पर जीतने वादा केवल और केवल कन्नौज तक सिमटता हुआ दिख रहा है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार के लिए ये एक सकारात्मक पहलू है, जिसमें विपक्ष का ध्यान सरकार की नीतियों की आलोचना से हटकर व्यक्ति विशेष की आलोचना तक सीमित हो गया है. हाल में ही अखिलेश और सुब्रत ने एक दूसरे को असुर और न जाने क्या क्या बोला है.


लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी दलों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. सभी राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी बिसात बिछाना शुरू कर दिया है. जहां भाजपा ने 80 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. वहीं समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव  ने भी नारा दिया है कि '80 हराओ बीजेपी हटाओ.' इस नारे से साफ है कि सपा इस बार पूरी ताकत के साथ सत्ताधारी दल को टक्कर देने की तैयारी कर रही है. अभी उसका कम अंतर से हारी सीटों पर विशेष फोकस है.


कन्नौज से लगातार तीन बार सांसद रह चुके अखिलेश यादव अगले साल होने वाले 2024 लोकसभा चुनाव कन्नौज से ही लड़ने का इशारा कर चुके हैं. उन्होंने मैनपुरी में पिछले साल हुए उपचुनाव के दौरान एक कार्यक्रम में यह बात कही थी. उसके बाद से ही सपा और बीजेपी के बीच राजनीतिक टकराव तेज हो गया है. उस दौरान भी सांसद सुब्रत पाठक ने उन्हें कन्नौज से हराने की बात कही थी. साथ ही किसी भी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की चुनौती भी दी थी. सुब्रत पाठक ने कहा था कि मैं अपनी पार्टी से अनुरोध करूंगा कि वह मुझे उसी सीट से टिकट दे जहां से अखिलेश यादव चुनाव लड़ेंगे.


जब हमने इस बारे में समाजवादी पार्टी के सांसद एस टी हसन से फोन पर बात की तो उनका कहना है कि बीजेपी और उसके नेता बिना मतलब की बात करके जनता का ध्यान भटकाना चाहते हैं. किसी सीट पर हार जीत चलती रहती है पर बीजेपी के लोग जनहित का काम न करके हमेशा उलटी सीधी बात और जनता को उलझाने की बात करते हैं.


वहीं सुब्रत पाठक का कहना था कि हम लोग जनहित में और अपने कार्यकर्ताओं के साथ हर समय किसी भी परिस्थिति में खड़े रहेगें. साथ ही आगामी लोकसभा चुनाव में विपक्ष में कोई भी हो बीजेपी का झंड़ा कन्नौज में बुलंद करेगें क्योंकि केंद्र की पीएम मोदी जी की सरकार ने लगातार सबका साथ और सबका विकास ध्येय पर ही काम किया है. विपक्ष में कौन चुनाव लड़ता है इससे हमको मतलब नहीं है. हम केवल और केवल जनहित व सर्वजन हिताय - सर्वजन सुखाय के सिद्धांत पर अंतिम क्षण तक काम करते रहेंगे.


अब ये तो आने वाला वक्त ही बतायेगा कि कन्नौज में जनता किसको चुनती है. पर कन्नौज का मुकाबला सामान्य मुकाबला न होकर महामुकाबला होगा जिस पर सभी की निगाह रहेगीं. अगर अखिलेश यादव खुद आकर कन्नौज से चुनाव लड़ते हैं तो उत्तर प्रदेश के अंदर लोकसभा का चुनाव कन्नौज का महासंग्राम बनकर रह जायेगा, जिसमें पूरी बीजेपी एक तरफ और सुब्रत पाठक अखिलेश के सामने एक तरफ. 


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