नई दिल्ली: लोकसभा (Lok Sabha) ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक-2020 (Jammu and Kashmir Official Languages Bill) को मंजूरी दे दी. इसमें पांच भाषाओं हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, कश्मीरी और डोगरी को केंद्र शासित प्रदेश की आधिकारिक भाषा का दर्जा देने का प्रावधान है. गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) ने इस विधेयक के पारित होने पर खुशी व्यक्त की है. 


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निचले सदन में जब गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने विधेयक को पेश किया, तो नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद हसनैन मसूदी ने इसका विरोध किया. रेड्डी ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से कश्मीरी, डोंगरी, उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं को जम्मू-कश्मीर की आधिकारिक भाषा के तौर पर घोषित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग कश्मीरी, डोगरी और हिंदी को बड़ी संख्या में बोलते हैं और समझते हैं.


'हम गलतियों को सुधार रहे'
रेड्डी ने कहा कि 2011 की जनगणना के अनुसार देश में जितने लोग कश्मीरी बोलने वाले हैं, उनमें से 53.26 प्रतिशत जम्मू कश्मीर में हैं. लेकिन 70 साल तक वह आधिकारिक भाषा नहीं थी, जो एक ऐतिहासिक भूल थी. प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में ऐतिहासिक गलतियों को सुधारा जा रहा है और हम यह भी करेंगे. उन्होंने आगे कहा कि मोदी सरकार भाषा, धर्म, जाति के आधार पर भेदभाव में विश्वास नहीं रखती.


महज 0.16% बोलते हैं उर्दू
इसके बाद लोकसभा ने ध्वनिमत से जम्मू-कश्मीर आधिकारिक भाषा विधेयक-2020 को मंजूरी प्रदान कर दी. गृह राज्य मंत्री ने कहा कि 70 साल से उर्दू जम्मू कश्मीर की आधिकारिक भाषा है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में उर्दू भाषा बोलने वाले 0.16 प्रतिशत ही हैं. उन्होंने कहा कि उर्दू और अंग्रेजी दोनों को आधिकारिक भाषा के तौर पर जारी रखा जाएगा. डोगरी वहां दूसरे सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है.


विरोध में दिए तर्क
विधेयक का विरोध करते हुए हसनैन मसूदी ने कहा कि राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत यह सब किया जा रहा है, लेकिन उच्चतम न्यायालय में इस अधिनियम को चुनौती दी गई है. इस पर संविधान पीठ सुनवाई कर रही है. उन्होंने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में संवैधानित शुचिता का पालन होता है. जब उच्चतम न्यायालय का फैसला आना है कि तो इस तरह का विधेयक नहीं लाया जा सकता. मसूदी ने कहा कि अंग्रेजी और उर्दू दोनों का आधिकारिक भाषा के तौर पर पहले से इस्तेमाल हो रहा है. यहां असमंजस पैदा करने के लिए पांच भाषाओं को आधिकारिक सूची में शामिल किया गया है.


कश्मीरी का विरोध क्यों?
मसूदी के बयान पर कार्मिक, लोक शिकायत राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि नेशनल कांफ्रेंस के सांसद ने जो कहा वो सदन को गुमराह करने का प्रयास है. उन्होंने कहा कि हैरानी की बात है कि कश्मीरी भाषा का विरोध क्यों किया जा रहा है जबकि नेशनल कांफ्रेंस ने कश्मीरियत के नाम पर राजनीति की है. मसूदी ने अपनी पार्टी को अपने आवाम के सामने बेनकाब कर दिया है.


गृहमंत्री ने बताया महत्वपूर्ण दिन
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर आधिकारिक भाषा (संशोधन) विधेयक-2020 पारित होने को जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए महत्वपूर्ण बताया. शाह ने कहा कि इस विधेयक के तहत 'गोजरी', 'पहाड़ी' और 'पंजाबी' जैसी क्षेत्रीय भाषाओं के विकास के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे. उन्होंने अपने ट्वीट में कहा, ‘जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए आज एक महत्वपूर्ण दिन है जब लोकसभा में जम्मू-कश्मीर आधिकारिक भाषा(संशोधन) विधेयक पारित किया गया है. इस ऐतिहासिक विधेयक के साथ ही जम्मू-कश्मीर के लोगों का बहुप्रतीक्षित सपना सच हो गया’. गृहमंत्री ने कहा कि अब कश्मीरी, डोगरी, उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी जम्मू-कश्मीर की आधिकारिक भाषा होंगी.


PM मोदी को धन्यवाद 
गृह मंत्री शाह ने विधेयक के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद करते हुए ट्वीट किया ‘मैं इस विधेयक के माध्यम से जम्मू-कश्मीर की संस्कृति को संरक्षित करने की प्रतिबद्धता के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद देता हूं. मैं जम्मू-कश्मीर की अपनी बहनों और भाइयों को यह आश्वासन भी देना चाहता हूं कि मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर के गौरव को वापस लाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगी’. 


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