धक्कामुक्की कांड के बाद स्पीकर ओम बिरला का निर्देश, सांसदों के प्रोटेस्ट पर लिया बड़ा फैसला
Om Birla bans protests at Parliament gates: संसद भवन परिसर में हुए धक्कामुक्की मामले में के बाद स्पीकर ओम बिरला ने बड़ा सख्त कदम उठाया है. सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसदों के बीच धक्का-मुक्की में बीजेपी के दो सांसद प्रताप सांरगी और मुकेश राजपूत घायल हो गए. जिसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कड़ा निर्देश दिया है. जानें क्या लिया बड़ा फैसला.
Protests Bans at Parliament Gates: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने गुरुवार को सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसदों के बीच धक्का-मुक्की की घटना के बाद बड़ा कदम उठाया है. सूत्रों के मुताबिक, बिरला ने निर्देश दिया कि कोई भी राजनीतिक दल, सांसद और सांसदों का समूह संसद के किसी भी सांसद के गेट पर अब प्रदर्शन नहीं कर सकते. सूत्रों ने बताया, 'लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सख्त निर्देश जारी किए हैं कि कोई भी राजनीतिक दल, संसद सदस्य या सदस्यों का समूह संसद भवन के गेट पर कोई धरना और प्रदर्शन नहीं करेगा.'
क्यों लिया गया ये फैसला?
गृह मंत्री अमित शाह की बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर से संबंधित टिप्पणी को लेकर विरोध जताते हुए विपक्षी सदस्यों ने गुरुवार को मार्च निकाला तो भाजपा सांसदों ने कांग्रेस पर बाबासाहेब के अपमान का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया. संसद भवन के ‘मकर द्वार’ के निकट सत्तापक्ष और विपक्ष के सदस्य एक दूसरे के सामने आ गए और जमकर नारेबाजी की. भारतीय जनता पार्टी का आरोप है कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने धक्का-मुक्की की जिस वजह से उसके बुजुर्ग सांसद प्रताप सारंगी चोटिल हुए. भाजपा सासंद मुकेश राजपूत को भी चोट लगी है.
बीजेपी ने कराई राहुल गांधी पर एफआईआर
इसके बाद बीजेपी के अनुराग ठाकुर, बांसुरी स्वराज और हेमंग जोशी सहित भाजपा नेताओं ने संसद मार्ग पुलिस स्टेशन का दौरा किया और एनडीए नेताओं और कांग्रेस के बीच टकराव के बाद शिकायत दर्ज कराई. दिल्ली पुलिस ने एफआईआर में भाजपा की शिकायत में ये सभी धाराएं शामिल कीं, जिसमें धारा 115 (स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाना), 117, 125, 131 और 351 शामिल हैं. हालांकि, अधिकारियों के अनुसार, एफआईआर में बीएनएस की धारा 109 (हत्या का प्रयास) शामिल नहीं है.
इन धाराओं की क्या है सजा?
धारा 115 में आरोपी को जमानत मिल सकती है. कमसे कम एक साल की सजा हो सकती है. धारा 117 में तीन साल की सजा हो सकती है. धारा 125 में सात साल की सजा. धारा 131 की खतरनाक धारा राहुल गांधी पर लगी है. यह गैर जमानतीय है. इसमें आजीवन कारावास है. दस साल की कैद और जुर्माना दोनों हो सकता है. बीएनएस धारा 351 में चार उप-धाराएँ हैं. जिसकी अलग-अलग सजा का प्रावधान है. वहीं, BNS Section 3 (5) का मतलब है कि एक समूह (Group) में किए गए अपराध के लिए हर सदस्य को समान रूप से दोषी (Guilty) माना जाएगा चाहे उसने सीधे तौर पर अपराध किया हो या नहीं. सामूहिक आपराधिक कृत्य: अगर कई लोग मिलकर एक अपराध को अंजाम देते हैं, तो सभी लोगों को उस अपराध के लिए दोषी माना जाएगा. राहुल गांधी के खिलाफ हुई FIR की जांच दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच करेगी. क्राइम ब्रांच राहुल के खिलाफ FIR पर आगे जांच करेगी. इसमें सात साल की सजा तक प्रावधान है.
कांग्रेस का क्या है आरोप?
दूसरी तरफ, कांग्रेस का दावा है कि भाजपा के सांसदों ने उसके अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कई महिला सांसदों को संसद भवन में जाने से रोका और धक्का-मुक्की की. दूसरी तरफ कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों का आरोप है कि शाह ने ‘भारत के संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा’ विषय पर राज्यसभा में दो दिन तक चली चर्चा का जवाब देते हुए मंगलवार को अपने संबोधन के दौरान बाबासाहेब का अपमान किया. मुख्य विपक्षी दल ने शाह के संबोधन का एक वीडियो अंश भी जारी किया, जिसमें गृह मंत्री विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए यह कहते सुने जा सकते हैं, ‘‘अभी एक फैशन हो गया है- आंबेडकर, आंबेडकर.... इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता.’’ दूसरी तरफ, भारतीय जनता पार्टी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने हमेशा बाबासाहेब का अपमान किया और उन्हें चुनाव तक में हरवाया. इनपुट भाषा से भी