लगातार शिकायतें, जूनियर्स का अपमान, आराम को प्राथमिकता... जनरल पुरी ने महिला CO में गिनवाईं 36 कमियां
Lieutenant General Rajeev Puri: लेफ्टिनेंट जनरल पुरी ने हाल ही में महिला कमांडिंग अफसरों (CO) को लेकर बड़ा खत लिख दिया है. उन्होंने अपने तहत काम करने वाले महिला सीओ को लेकर कहा कि उनमें ट्रेनिंग की कमी समेत कई सवाल खड़े किए हैं.
Lieutenant General Rajeev Puri: फौज में महिलाओं की हिस्सेदारी को लेकर कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राजीव पुरी ने बड़ी बात कह दी है. सेना के ईस्टर्न आर्मी के कमांडर को भेजे गए फीडबैक में महिला अधिकारियों को लेकर गंभीर चिंताएं जाहिर की गई हैं. पुरी ने यह खत पूर्वी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राम चंद्र तिवारी को लिखा है. उन्होंने खत में लिखा कि कर्नल रैंक की महिला अफसरों के समझदारी व व्यवहार कुशलता की कमी की तरफ इशारा किया है. जनरल पुरी ने खत में 'अहंकार संबंधी मुद्दे', 'लगातार शिकायतें' और 'सहानुभूति की कमी' का भी जिक्र किया है.
लेफ्टिनेंट जनरल पुरी ने क्या लिखा?
1 अक्टूबर, 2024 को लिखे गए इस पत्र में पिछले एक साल में 17 कोर के अंदर महिला सीओ के नेतृत्व वाली इकाइयों में देखी गई चुनौतियों के बारे में बताया गया है. इस पत्र ने सेना के अंदर और रक्षा विश्लेषकों के बीच महिलाओं को नेतृत्व की भूमिकाओं में एकीकृत करने की सेना की कोशिशों बारे में चर्चाओं को जन्म दिया है. अपने पत्र में लेफ्टिनेंट जनरल पुरी ने लिखा,'पिछले एक साल के दौरान महिला अधिकारियों द्वारा चलाई जा रही इकाइयों में अधिकारी मैनेजमेंट के मुद्दों की संख्या में इजाफा हुआ है. अधिकांश मामले कर्मियों, विशेष रूप से अधिकारियों की व्यक्तिगत आवश्यकताओं की समझ और व्यवहारिकता की कमी से संबंधित हैं.
'जूनियर्स का किया जाता है अपमान'
उन्होंने लिखा कि आपसी सम्मान के माध्यम से समस्या का हल करने के बजाय ताकत के ज़रिए खत्म करने पर ज्यादा जोर दिया जाता है. उन्होंने आगे कहा,'इससे इकाइयों में तनाव का उच्च स्तर होता है. इस दृष्टिकोण से शो विंडो में बने रहने के लिए सैनिकों और इकाई संसाधनों का ज्यादा दोहन भी होता है. अपने तहत काम करने वालों को क्रेडिट देने और उनका उत्साह बढ़ाने के बजाय जूनियर अधिकारियों के बारे में अपमानजनक बयान देने जैसी चीजें आम हैं. पत्र में महिला सीओ के बीच शिकायत करने की प्रवृत्ति की तरफ भी इशारा किया गया, जहां छोटी-छोटी शिकायतों को आंतरिक रूप से हल करने के बजाय सीधे सीनियर कमांडरों के पास भेज दिया जाता था.
'आराम को दी जाती है प्राथमिकता'
रिपोर्ट में महिला सीओ द्वारा व्यक्तिगत विशेषाधिकारों की मांग करने और इकाइयों की जरूरतों पर आराम को प्राथमिकता देने जैसी बातें भी लिखी गई हैं. पत्र के मुताबिक यह व्यवहार पुरुष सीओ के बीच भी देखने को मिलता है लेकिन महिला अधिकारियों के नेतृत्व वाली इकाइयों में अक्सर ऐसा देखा गया. खत में यह भी कहा गया है कि फौजियों से दयालु अनुरोध के प्रति मुश्किल फैसले लेने और असंवेदनशीलता का भी रिपोर्ट में जिक्र किया गया है. उन्होंने कहा कि कुछ महिला सीओ ने पारंपरिक रूप से पुरुष-प्रधान माहौल में खुद को साबित करने के लिए बेहद मुश्किल तरीका अपनाया हुआ है. रिपोर्ट में महिला सीओ की तरफ से छोटी-छोटी उपलब्धियों का अति-उत्साह मनाने की आदत की भी आलोचना की गई है. जिसमें सुझाव दिया गया है कि इससे नेतृत्व की गतिशीलता प्रभावित हो सकती है.
हालांकि सेना के सूत्रों ने कहा कि लेफ्टिनेंट जनरल पुरी की टिप्पणियां 17 कोर में सात महिला सीओ के एक छोटे से ग्रुप पर आधारित हैं. जबकि सेना में इसके गठन में 100 से ज्यादा महिला सीओ हैं. सूत्रों ने कहा कि विचार लेफ्टिनेंट जनरल पुरी की व्यक्तिगत टिप्पणियों को दर्शा सकते हैं
2023 में लिया गया था फैसला
2023 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, सेना ने पहली बार मेडिकल स्ट्रीम के बाहर 108 महिला अधिकारियों को कमांड भूमिकाएं सौंपीं थीं. फरवरी 2023 में सेना ने 108 महिला अधिकारियों को सेलेक्ट-ग्रेड कर्नल के पद पर प्रमोट करने के लिए एक स्पेशल सलेक्शन बोर्ड का गठन किया था. यह कदम लैंगिक समानता लाने, उन्हें चुनिंदा शाखाओं में कमान सौंपने और उन्हें कड़ी मेहनत से अर्जित नई पहचान देने के मकसद से उठाया गया था. उस समय बोर्ड ने 108 खाली जगहों के लिए कुल 244 महिला लेफ्टिनेंट कर्नलों पर विचार किया था.