Madhya Pradesh Rape Case: मध्यप्रदेश सरकार में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सभाओं में नारी सशक्तिकरण की बात जरूर होती है. राज्य की लड़कियां और महिलाएं उनकी बहन हैं. बहनें उन्हें राखी भी बांधती हैं. इतना ही नहीं माननीय मुख्यमंत्री को मामा भी कहा जाता है. बहनों के लिए उन्होंने 'लाडली बहन योजना' भी चलाई है. ये सब सुनने में बहुत अच्छा लगता है.. लेकिन हकीकत इससे जुदा है. शिवराज सरकार में एक ऐसी भी बहन है जिसकी चीख शिवराज के कानों तक नहीं पहुंची. उसका चीरहरण हुआ, दरिंदों ने बीच बाजार निर्वस्त्र कर उसकी इज्जत तार-तार कर दी. लेकिन परिणाम वही.. ढाक के तीन पात! इस गंभीर विषय पर सीएम शिवराज बात तक नहीं करते.


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पहले आपको उस घटना के बारे में बताते हैं, जो मध्यप्रदेश सरकार में महिलाओं की सुरक्षा के दावों की पोल खोलती है. सागर जिले के बरोदिया नोनागिर गांव में दबंगों ने एक महिला के साथ अमानवीयता की हदें पार कर दीं. आठ आरोपियों ने पहले पीड़ित पक्ष को यौन उत्पीड़न के मुकदमे से पीछे हटने के लिए मजबूर किया. अत्याचार के खिलाफ जब पीड़ित पक्ष ने आवाज उठाने की कोशिश की तो दबंगों ने 20 वर्षीय दलित युवक को पीट-पीटकर मार डाला. बीच बाजार उसकी 49 वर्षीय मां के कपड़े उतार दिए.


अब आपको बताते हैं यह खबर लिखने की जरूरत क्यों पड़ी और क्यों मध्यप्रदेश सरकार बहनों की रक्षा के मामले में सवालों के घेर में आ गई. पीड़िता ने जब मामले की शिकायत की तो उसे न्याय देने के बजाय पुलिस ने सिर्फ खोखली कार्रवाई की रस्म अदायगी की. ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि पुलिस कार्रवाई का पैटर्न कह रहा है. जिस महिला को सरेआम निर्वस्त्र कर दिया गया उसकी शिकायती रिपोर्ट में निर्वस्त्र करने का जिक्र ही नहीं है. हम आपको ये भी बताएंगे कि पुलिस ने ऐसा क्यों किया?


इस गंभीर मामले में कार्रवाई के नाम पर जांच की लकीर इसलिए पीटी जा रही है क्योंकि आरोपियों के तार सियासी दिग्गजों से जुड़े बताए जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि आरोपियों का भाजपा नेताओं के साथ उठना-बैठना है. इतना ही नहीं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राज्य के मंत्री भूपेंद्र सिंह की आरोपियों के साथ कुछ तस्वीरें भी सामने आई हैं. 


शायद इसी राजनितिक रसूख का असर है कि आरोपियों पर दर्ज एफआईआर में महिला को निर्वस्त्र करने का जिक्र नहीं किया गया.