MP Chunav: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में मतदान की प्रक्रिया पूरी हो चुकी हैं. अब सबकी निगाहें नतीजों पर हैं. भोपाल जिले की एक सीट पर इस बार सबकी नजरें हैं, क्योंकि इस सीट का सत्ता से सीधा समीकरण जुड़ा है. क्योंकि इस सीट का सियासी इतिहास तो रोचक तथ्यों भरा पड़ा है. इस सीट पर जिस भी पार्टी की जीत होगी सरकार बनने के चांस उसी के ज्यादा होते हैं. क्योंकि इस सीट के समीकरण तो यही कहते हैं. 


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भोपाल दक्षिण-पश्चिम सीट का मिथक 


दरअसल, राजधानी भोपाल में आने वाली दक्षिण-पश्चिम विधानसभा सीट से एक गजब का मिथक जुड़ा हुआ है. क्योंकि यह सीट सीधे नतीजों से जुड़ी है. बता दें कि अब तक इस विधानसभा सीट से जो पार्टी चुनाव जीतती है प्रदेश में उसी की सरकार बनने के चांस ज्यादा होते हैं. केवल दो बार ऐसा हुआ है कि जब दक्षिण-पश्चिम विधानसभा सीट पर विधायक जिस पार्टी का जीता उसकी सरकार नहीं बनी इसके अलावा हर चुनाव में दक्षिण-पश्चिम सीट पर जीतने वाले विधायक को सत्ता का सुख मिला है. ऐसे में इस बार के नतीजों पर भी सबकी नजरे हैं. क्योंकि यहां मुकाबला दिलचस्प दिख रहा है. 


ऐसा रहा यहां का चुनावी इतिहास 


1998 में इस सीट पर कांग्रेस के पीसी शर्मा चुनाव जीते थे. उस दौरान सत्ता कांग्रेस ने संभाली थी. 1992 में इस सीट पर बीजेपी ने जीत हासिल की और सरकार भी बीजेपी की बनी. 2003 से 2013 तक बीजेपी यहां से लगातार जीती और सरकार बनाई. लेकिन 2018 में कांग्रेस के पीसी शर्मा जीते और सूबे में कांग्रेस की सरकार बनी. हालांकि बाद में कांग्रेस की सरकार गिर गई थी. इस बार यहां कांग्रेस के पीसी शर्मा और बीजेपी के भगवानदास सबनानी के बीच मुकाबला है. 


1985 में टूटा था मिथक


दरअसल, हसनात सिद्दीकी ने 1985 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीता था. लेकिन सूबे में सरकार कांग्रेस ने बनाई थी. हालांकि वह बीजेपी से नाराज हो गए और विधायकी से इस्तीफा दे दिया. जिससे इस सीट पर उपचुनाव हुआ और वह कांग्रेस की तरफ से उपचुनाव जीतकर फिर से कांग्रेस से विधायक बन गए, जहां अर्जुन सिंह की सरकार में उन्हें मंत्री भी बनाया गया था. 


कड़ा मुकाबला 


इस बार इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस में कड़ा मुकाबला दिख रहा है. बीजेपी ने यहां से पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता का टिकट काटकर भगवानदास सबनानी को टिकट दिया है. लेकिन कांग्रेस ने वर्तमान विधायक पीसी शर्मा को ही टिकट दिया था. हालांकि इस सीट पर इस बार वोटिंग ज्यादा नहीं हुई है. इसके अलावा दक्षिण-पश्चिम विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा सरकारी कर्मचारी वोटर्स हैं. ऐसे में भी यहां मुकाबला दिलचस्प दिख रहा है. 


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