MP Chunav 2023: मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव की मतगणना पूरी हो गई है. राज्य में फिर से बीजेपी ने जीत हासिल की है. वहीं भोपाल की दक्षिण-पश्चिम विधानसभा सीट पर भी बीजेपी ने अपना परचम लहराया है. ये राज्य की हाई प्रोफाइल सीटों में से एक है. यहां से कांग्रेस ने पीसी शर्मा पर ही भरेासा जताया था लेकिन जनता ने भगवान दास सबनानी को अपना विधायक चुना है.


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गौरतलब है कि  मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 17 नवंबर को मतदान होगा. भगवान दास सबनानी को टिकट देकर भाजपा ने भोपाल के सिंधी वोटरों को साधने का दांव चला है. जो ाकफी हद तक सफल हुई है.


2023 में कैसा रहा परिणाम
भोपाल दक्षिण पश्चिम
बीजेपी - भगवानदास सबनानी - 76689 
कांग्रेस - पीसी शर्मा - 60856
बीजेपी- 15833 से जीती


भाजपा में भीतरघात को भी रोका 
भगवान दास सबनानी भाजपा संगठन की पहली पसंद हैं. उन्हें संघ का भी काफी सपोर्ट हासिल है. हालांकि इस सीट से कई दावेदार थे. जिसमें पूर्व मंत्री उमा शंकर गुप्ता, प्रदेश मंत्री राहुल कोठारी और भोपाल भाजपा जिला अध्यक्ष सुमित पचौरी का नाम शामिल था. लेकिन सबनानी को प्रत्याशी बना कर भाजपा ने पार्टी में भीतरघात होने से रोक लिया है.


सबनानी एक बार लड़ चुके चुनाव 
खास बात ये कि भगवान दास सबनानी ने भाजपा से बागी होकर हुजूर विधानसभा से चुनाव लड़ा था, लेकिन उसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. हालांकि अब माना जा रहा है कि बीजेपी पीसी शर्मा को मात देने के लिए पार्टी नए चेहरे को मौका देना चाहती थी, इसलिए उन्हें मैदान में उतारा है.


पीसी शर्मा पर कांग्रेस ने  जताया भरोसा 
वहीं कांग्रेस ने इस सीट पर वर्तमान विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री पीसी शर्मा पर विश्वास जताया है. कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा ने 2018 के चुनाव में भाजपा के उमाशंकर गुप्ता को हराया था। जहां पीसी को यहां 63,323 वोट मिले थे जबकि उमाशंकर गुप्ता को 60736 लोगों ने मतदान किया था.


दक्षिण-पश्चिम सीट के सियासी समीकरण 
भोपाल दक्षिण पश्चिम विधानसभा सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही मुकाबला होता रहा है. 2013 में इस सीट पर बीजेपी के उमाशंकर गुप्ता ने जीत दर्ज की थी, जिसके बाद उन्हें शिवराज सरकार में मंत्री बनाया गया था, लेकिन 2018 में कांग्रेस के पीसी शर्मा ने उन्हें हरा दिया था, खास बात यह है कि पीसी शर्मा को भी कमलनाथ सरकार में मंत्री बनाया गया था, ऐसे में इस सीट पर यह अनोखा संयोग भी बना. 1990 से 2018 यहां पांच बार बीजेपी और दो बार कांग्रेस को जीत मिली थी.