MP Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश में बीजेपी ने पांचवीं लिस्ट में 29 विधायकों के टिकट काट दिए, जिसमें भिंड से विधायक संजीव कुशवाहा का नाम भी शामिल था. टिकट कटने के बाद संजीव कुशवाहा ने BSP ज्वाइन कर लिया. अब वह बहुजन समाज पार्टी से भिंड से भिंड से चुनाव लड़ेंगे. बता दें कि संजीव कुशवाहा 2018 के चुनाव में बसपा से जीत कर आये थे. लेकिन क़रीब एक साल पहले अचानक बाग़ी हुए और बीजेपी में पहुंच गए. तकनीकी बारीकियों के चलते दलबदल के बावजूद विधायकी भी बची रही. लेकिन जैसे ही 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए भिंड के बीजेपी प्रत्याशी का नाम घोषित हुआ तो कई चेहरे मुरझा गए.


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बसपा में शामिल होकर खुश हुए विधायक
विधायक संजीव समेत उनके कई कार्यकर्ता थे जो इस बात से आहत थे कि सिटिंग विधायक का नाम ही बीजेपी ने टिकट से बाहर कर दिया. ख़ुद को ठगा सा महसूस करते हुए विधायक संजीव सिंह ने भी बग़ावत कर दी और निर्दलीय चुनाव तक लड़ने को तैयार थे. लेकिन अचानक गुरुवार शाम उनकी घर वापसी हो गई.बीजेपी नहीं बल्कि एक बार फिर वे बसपा में शामिल होकर हाथी का टिकट ले ही आए. बीएसपी में वापसी की जानकारी मिलते ही समर्थक उनके बंगले पर पहुंच गए और ख़ुशी का इज़हार करते हुए आतिशबाजी की.


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मीडिया से बातचीत में उन्होंने बसपा से बीजेपी में शामिल होना और फिर बग़ावत करने के एक के बाद एक लिए फ़ैसलों के बारे में बताया. विधायक संजीव सिंह कुशवाहा ने बताया कि, बीजेपी ने तो उन्हें 2013 में ही परिवार से बाहर कर दिया था. इसके बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने उन्हें सहारा और विधानसभा का टिकट दोनों ही दिया. लेकिन वे कम अंतर से चुनाव हारे. इसके बाद पाँच वर्षों तक लगातार क्षेत्र में जनता के बीच मेहनत की. 2018 में एक बार फिर बसपा ने भरोसा किया उसका नतीजा भी मिला कि पहली बार भिंड विधानसभा में बहुजन समाजवादी पार्टी का विधायक चुना गया. 


बीजेपी ने विश्वासघात किया-संजीव कुशवाहा
संजीव सिंह ने बताया कि विधायक बनने के बाद भी वे भिंड विधानसभा क्षेत्र की जनता के लिए लड़ते रहे. चाहे कमलनाथ की सरकार रही या भारतीय जनता पार्टी की.साल भर पहले जब नगरीय निकाय चुनाव हुए तो भारतीय जनता पार्टी ने इस क्षेत्र में अव्यवस्थाओं को देखते हुए उन्हें बुलाया था कि वे भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन करें और क्षेत्र में उनका नगरपालिका अध्यक्ष बनवाए. विधायक ने बताया उन्होंने शर्त रखी थी कि उनका एकमात्र उद्देश्य चुनाव लड़ना था जिस पर उन्हें भरोसा भी दिलाया गया था. पार्टी में शामिल होने के साथ- साथ उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट भी दिया जाएगा. विधायक संजीव सिंह का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी की बात और विश्वास में आकर भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन की थी लेकिन उन लोगों ने अपना वादा पूरा न करते हुए विश्वासघात किया. क्योंकि वे बहुजन समाजवादी पार्टी से चुने गए थे.


BJP की वादा खिलाफी से हुए दुख
संजीव सिंह का कहना है कि BJP की वादा खिलाफी की वजह से न सिर्फ़ उन्हें दुख हुआ बल्कि उनके समर्थक 70, हज़ार वोटर और युवा साथ ही बुजुर्ग जो उन्हें अपना मानते थे उन्हें गहरा आघात पहुंचा है. उन्होंने सीधे तौर पर कहा कि "संजू तुम्हें चुनाव लड़ना है,चाहे निर्दलीय ही क्यों ना लड़ो." उनके इस विश्वास के चलते ही दोबारा चुनाव लड़ने का फ़ैसला लिया. इसके बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी उन्हें भारतीय जनता पार्टी में जाने की गलती को माफ़ कर दिया और एक बार फिर उन पर विश्वास जताया.


रिपोर्ट- प्रदीप शर्मा