MP Chunav 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए आज नामांकन का आखिरी दिन है. विदिशा में बीजेपी ने नामांकन से एक दिन पहले मुकेश टंडन को प्रत्याशी बनाया है. लेकिन कभी बीजेपी का सबसे मजबूत गढ़ माने जाने वाली विदिशा विधानसभा सीट पर बीजेपी को आखिरी वक्त तक इंतजार क्यों करना पड़ा इसके पीछे की बड़ी वजह इस सीट से जुड़ा सियासी इतिहास और 2018 विधानसभा चुनाव का रिजल्ट रहा है. 


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चुनाव नया चेहरे वही


दरअसल, विदिशा विधानसभा सीट पर बीजेपी और कांग्रेस ने पुराने चेहरों पर ही दांव लगाया है. कांग्रेस ने अपनी ही पहली लिस्ट में यहां से वर्तमान विधायक शशांक भार्गव को ही टिकट दिया है. जबकि बीजेपी ने पिछले चुनाव में हारे हुए प्रत्याशी मुकेश टंडन पर भरोसा जताया है. 2018 में भी इन दोनों प्रत्याशियों के बीच ही चुनावी मुकाबला हुआ था. ऐसे में एक बार फिर से शशांक भार्गव और मुकेश टंडन के बीच ही चुनावी मुकाबला होगा. 


क्यों प्रतिष्ठा का सवाल बन गई विदिशा सीट 


विदिशा विधानसभा सीट मध्य प्रदेश में बीजेपी का सबसे मजबूत गढ़ मानी जाती थी. खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान यहां से पांच बार सांसद और विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं. लेकिन 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी के इस गढ़ में सेंधमारी कर दी थी. ऐसे में 2023 में एक बार फिर इस सीट पर सबकी निगाहें हैं. बीजेपी अपने गढ़ को फिर से बचाना चाहती है तो कांग्रेस यहां दबदबा बनाए रखना चाहती है. क्योंकि कांग्रेस को 2018 में 46 साल बाद जीत मिली थी. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस के लिए यह सीट नाक का सवाल बन चुकी है. मुकेश टंडन सीएम शिवराज के करीबी माने जाते हैं, जबकि शशांक भार्गव कमलनाथ के करीबी है, ऐसे में इस सीट पर एक तरह से सीएम शिवराज वर्सेस कमलनाथ के बीच भी मुकाबला माना जा रहा है. 


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बीजेपी के दिग्गजों का गृह क्षेत्र 


विदिशा विधानसभा सीट बीजेपी के दिग्गज नेताओं का गृहक्षेत्र रहा है, देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी इस सीट से लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं, जबकि उन्होंने अपने उत्तराधिकारी के रूप में यहां से सीएम शिवराज को चुनाव लड़ाया था. इसी तरह सीएम शिवराज के बाद इस सीट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी की कद्दावर नेता स्वर्गीय सुषमा स्वराज दो बार सांसद रही. ऐसे में यह सीट बीजेपी के लिए सेफ मानी जाती थी. लेकिन 2018 के बाद यहां के हालात बदले थे. 


ऐसा रहा चुनावी इतिहास 


विदिशा विधानसभा सीट के चुनावी इतिहास की बात की जाए तो यहां अब तक कुल 14 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं, जिनमें से 9 बार बीजेपी ने जीत हासिल की है, जबकि तीन बार कांग्रेस को जीत मिली है. इसके अलावा 1 बार हिंदू महासभा 1 बार जनसंघ और 1 बार ये सीट जनता पार्टी के खाते में गई है. 1980 से लगातार 2018 तक इस सीट पर बीजेपी का कब्जा था, लेकिन अब यह सीट कांग्रेस के पास है. 


कांग्रेस के शशांक भार्गव  विदिशा सीट से एक उपचुनाव समेत लगातार पांच विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं, उन्हें चार चुनाव हारने के बाद पांचवें चुनाव में सफलता मिली थी. जबकि बीजेपी के मुकेश टंडन यहां से दूसरा चुनाव लड़ने जा रहे हैं, उन्हें अपने पहले चुनाव में हार मिली थी. ऐसे में दोनों के बीच मुकाबला दिलचस्प होता दिख रहा है. 


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