भोपाल/प्रमोद शर्माः महिला सशक्तिकरण के लिए सीएम शिवराज ने बड़ा ऐलान किया है. दरअसल उन्होंने शैक्षणिक पाठ्यक्रम में महिलाओं को कमतर बताने वाले अंशों को हटाने का निर्देश दिया है. कैबिनेट मीटिंग के दौरान सीएम शिवराज ने यह बात कही. 


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प्रदेश की आधी आबादी को सशक्त करने पर जोर
सीएम शिवराज ने कहा कि पाठ्यक्रमों का ऑडिट कर उन्हें लैंगिक तौर पर तटस्थ (Gender Neutral) बनाने का काम प्राथमिकता से किया जाए. साथ ही मुख्यमंत्री ने महिला अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए समानता वाले पदनाम का इस्तेमाल करने की बात कही है जैसे शिक्षिका, प्राचार्या आदि की जगह शिक्षक, प्राचार्य आदि पदनाम का उपयोग किया जाए. बता दें कि आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश के अंतर्गत महिला सशक्तिकरण और बाल कल्याण के मुद्दे पर यह कैबिनेट मीटिंग हुई, जिसमें सीएम ने उक्त निर्देश दिए हैं. 


मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य केंद्रों और वन स्टाप सेंटर्स पर हिंसा से प्रभावित महिलाओं की स्क्रीनिंग के लिए स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जाए. साथ ही प्रदेश के सबी जिलों में सेफ सिटी कार्यक्रम का विस्तार किया जाए. उन्होंने कहा कि मोबाइल से विकृति पैदा करने वाली सामग्री को नियंत्रित करना भी जरूरी है. इस दिशा में भी जरूरी कदम उठाए जाएं. शिवराज सिंह ने कहा कि प्रदेश में महिला सम्मान के लिए वातावरण निर्मित किया जाए. 


राजनीतिक तौर पर बढ़ी महिलाओं की ताकत
पहले देश की राजनीति में महिलाओं पर ज्यादा फोकस नहीं किया जाता था लेकिन बीते कुछ सालों में यह तस्वीर बदली है. अगर एमपी की ही बात करें तो 2018 के विधानसभा चुनाव में राज्य में महिला मतदाताओं की संख्या में 4 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई थी. वहीं प्रदेश की कुल 230 विधानसभा सीटों में से 51 सीटों पर महिला मतदाताओं को वोटिंग प्रतिशत पुरुष मतदाताओं की तुलना में ज्यादा रहा था. 


रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में प्रत्येक 1000 पुरुषों पर 917 महिलाएं हैं. चुनाव आयोग भी महिलाओं को मतदान के प्रति जागरुक करने के लिए कई तरह के अभियान चला रहा है. 2018 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रदेश भर में 3034 पॉलिंग बूथ सिर्फ महिला मतदाताओं के लिए बनाए गए थे. ऐसे में बीजेपी सरकार की कोशिश है कि प्रदेश की आधी आबादी को अपने पाले में किया जाए. केंद्र सरकार भी ऐसे कई कानून ला चुकी है, जिन्हें महिला सशक्तिकरण से जोड़कर देखा जा रहा है.