भोपाल: छत्तीसगढ़ की तर्ज पर अब मध्य प्रदेश सरकार भी शराब की होम डिलीवरी पर विचार कर रही है. आबकारी विभाग ने शराब की होम डिलीवरी का प्रस्ताव कैबिनेट में मंजूरी के लिए भेजा है. इसे भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर से शुरू करने की तैयारी है. हालांकि इस प्रस्ताव को सीएम ने पुनर्विचार के लिए कैबिनेट के पास वापस भेज दिया है.


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हालांकि छत्तीसगढ़ में जब भूपेश बघेल सरकार शराब की होम डिलीवरी का फैसला लिया था तो शिवराज सरकार ने इसकी खूब आलोचना की थी. मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक वर्ष 2020-21 के लिए आबकारी नीति में विदेशी शराब की ऑनलाइन बिक्री का प्रस्ताव बनाया गया है. नई नीति एक अप्रैल से लागू होने वाली थी, लेकिन सरकार ने कोरोना महामारी के चलते मौजूदा ठेकों को दो माह के लिए 5% लाइसेंस फीस बढ़ाकर जारी रखा है. नीति के तहत शराब की दुकानें बढ़ाने का प्रस्ताव भी था, लेकिन विपक्ष के विरोध के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि नई शराब दुकानें नहीं खोली जाएंगी.


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इन चार शहरों से होगी शुरुआत
आबकारी सूत्रों की मानें तो प्रस्तावित नीति से नई शराब दुकानें खोलने का बिंदु हटा लिया गया है, जबकि विदेशी शराब की ऑनलाइन बिक्री बिंदु है. इसे कैबिनेट में स्वीकृति के लिए भेजा गया है. इसमें कहा गया है कि पहले चरण में प्रदेश चारों बड़े शहरों में ऑनलाइन शराब बेचेगी. भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में इस व्यवस्था को शुरू किया जाएगा. इसमें दुकानदार को ऑर्डर मिलेगा और डिलीवरी ऑनलाइन सर्विस प्रोवाइडर द्वारा की जाएगी. हालांकि मुख्यमंत्री ने पूरे प्रस्ताव को पुनर्विचार के लिए लौटा दिया है.


क्या-क्या है प्रस्ताव
ऑनलाइन शराब बेचने के लिए विभाग ने खास प्लान तैयार किया है. प्रस्ताव में छत्तीसगढ़ की तरह ही नए सिस्टम को संचालित करने के लिए मोबाइल ऐप बनाने का उल्लेख भी किया गया है. इसी के जरिए दुकान संचालक को ऑर्डर होगा. खरीदने वाले को मतदाता परिचय पत्र, आधार कार्ड आदि पहचान पत्र के माध्यम से सत्यापन करने के बाद ऐप पर रजिस्टर्ड किया जाएगा. 21 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा. ऐप पर उपभोक्ता के निवास स्थान से पास की दुकानों में शराब के स्टॉक और दर की सूची प्रदर्शित होगी.


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क्या है तर्क है इसके पीछे विभाग का
नई आबकारी नीति के पीछे आबकारी विभाग का तर्क है कि इससे न सिर्फ खपत में वृद्धि होगी बल्कि वैध शराब की उपलब्धता सुनिश्चित होगी. हालांकि इस नीति पर शिवराज कैबिनेट ने कोई विचार नहीं किया है. मंगलवार को हुई बैठक में अगले 10 माह के लिए लाइसेंस फीस 5% बढ़ाकर ठेका रिन्यू करने का प्रस्ताव भी फिलहाल टाल दिया गया है.


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