AAP की एंट्री मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ चुनाव में किसका बिगाड़ेगी खेल! Gujarat में दिख चुका है ट्रेलर,समझिए गणित
Assembly Elections AAP Entry: एमपी और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव (Assembly Elections 2023) में आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) की एंट्री ने सियासत में खलबली मचा दी है. आप के सभी सीटों पर चुनाव लड़ने के एलान के बाद सबसे ज्यादा कांग्रेस पार्टी (Congress Party) की टेंशन बढ़ी है. गुजरात विधानसभा में इसकी झलक दिख चुकी है. देखिए AAP की एंट्री से किसका बिगड़ेगा चुनावी खेल!
Assembly Election 2023: आम आदमी पार्टी (AAP) मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्य की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान कर चुकी है. उसके इस एलान के बाद से विपक्षी खेमों में खलबली मच गई है. अगर हम AAP के चुनाव लड़ने के बाद वोट बैंक (vote bank)के समीकरण देखें तो इसका खामियाजा कांग्रेस पार्टी (Congress Party) को भुगतना पड़ सकता है. गुजरात चुनाव इसी का ट्रेलर दिखा चुका है. हमेशा की तरह आम आदमी पार्टी ने अभी से घोषणा कर दी है कि उसकी सरकार बनी तो दिल्ली और पंजाब राज्य जैसी सुविधाएं इन राज्यों में भी देगी. हालांकि दिल्ली और पंजाब राज्य से तुलना करना सही नहीं है. कारण कि यहां की परिस्थियां विपरीत हैं. ऐसे में क्या हो सकता है चुनावी गणित आइए जानते हैं.
आप का सियासी समीकरण
अगर हम आम आदमी पार्टी की बात करें तो उसने हमेशा से ही कांग्रेस को नुकसान पंहुचाया है. जिन दो राज्यों में आप की सरकार है वहां की गद्दी पर पार्टी ने कांग्रेस को हराकर ही सिंघासन पर कब्जा किया है. ऐसे में आप पार्टी अब दो नए राज्यों एमपी और छत्तीसगढ़ की जनता से लुभावने वादे देना शुरू कर दिए हैं. आप मुखिया अरविंद केजरीवाल का कहना है कि अगर आप की सरकार बनी तो जनता को बिल्कुल वैसी ही फ्री सुविधा मिलेगी जैसी दिल्ली और पंजाब में मिलती है. पर मेट्रो टाउन नहीं होने के चलते इन राज्यों में पार्टी का ये रोडमैप कठिनाइयों से भरा हो सकता है और शायद कारगर ना भी हो.
लगभग छ: गुनी अधिक जनसंख्या
आम आदमी पार्टी के वादों के मुताबिक दिल्ली पंजाब जैसी सुविधांए एमपी और छत्तीसगढ़ राज्य में देगी. पर अगर हम दिल्ली और पंजाब राज्य की जनसंख्या को मिला दें तो दोनों राज्यों की संख्या की दुगनी अकेले एमपी राज्य में ही है. अगर हम दिल्ली से एमपी की तुलना करें तो एमपी की जनसंख्या छ: गुनी अधिक है जबकि पंजाब से ज्यादा आबादी छत्तीसगढ़ में रहती है ऐसे में आप के वादे पर थोड़ा संशय होना लाजमी है. ये मात्र चुनावी लॉलीपॉप नजर आ रही है.
गुजरात चुनाव में कांग्रेस को नुकसान
हाल में ही हुए गुजरात चुनाव परिणामों के बाद आम आदमी पार्टी ने सभी राजनीतिक पार्टियों का ध्यान अपनी ओर खींचा है. यहां कुल 156 सीटों पर पार्टी ने चुनाव लड़ा था लेकिन उसे महज पांच ही सीटों पर जीत मिली थी पर आप 35 सीटों पर रनरअप रही थी. अगर हम वोट प्रतिशत की बात करें तो यहां पर आप का वोट प्रतिशत 12.9 था जबकि कांग्रेस का वोट प्रतिशत 27 फीसदी था जो 2017 के मुकाबले 16 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. जबकि कांग्रेस को 2017 के चुनाव में 77 सीटों पर जीत मिली थी और 2022 में उसे महज 16 ही सीटें में मिली. इसके बाद कांग्रेस नेताओं ने बयान दिया था कि इतनी कम सीटें आने की वजह आम आदमी पार्टी है. राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना था कि कांग्रेस के जो वोट विघटित हुए वो कांग्रेस में गए इससे कांग्रेस को नुकसान हुआ जबकि भाजपा को इसका फायदा हुआ.
बिगड़ न जाए एमपी में कांग्रेस का समीकरण
आप के एलान के बाद कांग्रेस पार्टी को काफी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. क्योंकि गुजरात राज्य में ये देखा गया है. अगर आम आदमी पार्टी एमपी में भी कांग्रेस के वोट बैंको में नुकसान पहुंचा पाने में कामयाब हुई तो ये भाजपा के लिए लाभदायक हो जाएगा. ये सिर्फ एमपी विधानसभा चुनाव के नजरिए से आंकड़े नहीं लगाए जा रहे हैं बल्कि आने वाले 2024 के लोकसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी कांग्रेस पार्टी के लिए मुसीबत का सबब बन सकती है. अगर अभी की बात करें तो एमपी में सिर्फ एक विधायक आप का है और नगर पालिका के चुनाव में एक महापौर भी बना लिया था. लेकिन अब ये देखने वाली बात होगी कि इस बार के विधानसभा चुनावों में कितनी सीटें आम आदमी पाती है.
जीत कर हारी थी कांग्रेस
एमपी विधानसभा चुनाव 2018 की बात करें तो कांग्रेस पार्टी 114 सीटें हासिल करके एमपी में सरकार बनाई थी लेकिन महज 15 माह में ही कांग्रेस की सरकार गिर गई और भाजपा ने फिर से अपनी सरकार बनाई. ऐसे में इस बार की लड़ाई कांग्रेस पार्टी के लिए कई मायने में कठिन होगी. क्योंकि जोतिरादित्य सिंधिया पार्टी के कई विधायकों को अपने साथ लेकर गए थे. इसके अलावा आप की बढ़ती हुई सक्रियता भी कांग्रेस के मंसूबों पर पानी फेर सकती है.
क्या आप तैयार कर रही कांग्रेस का विकल्प
अगर हम वर्तमान सियासी समीकरण देखें तो आम आदमी पार्टी देश के भीतर खुद को कांग्रेस के विकल्प के तौर पर देख रही है. पार्टी के अगर जीते हुए राज्यों की बात करें तो वहां पर उसने कांग्रेस को हराकर जीत हासिल की. जबकि जितने अन्य राज्यों में पार्टी ने चुनाव लड़ा वहां पर विपक्षी पार्टी के तौर पर कांग्रेस थी और इस बार के चुनाव में नुकसान कांग्रेस को ही हुआ. ऐसे में कहा जा रहा है कि आम आदमी पार्टी कांग्रेस को खत्म करने की कोशिश में लगी है पर ये काम आसान नहीं है. अब ये आने वाले समय में ही तय हो पाएगा कि कितना फायदा आप के चुनाव लड़ने से भाजपा को होता है जबकि कितना नुकसान कांग्रेस को होता है.