इस विधि से करें धान की खेती, कम लागत और कम मेहनत में दोगुनी होगी पैदावार
Cultivation Of Paddy: आज हम आपको धान की खेती के ऐसे विधि के बारे में बता रहे हैं, जिसे करने से आपको कम लागत और कम मेहनत में अधिक पैदावार होगी. आइए जानते हैं दोगुनी पैदावार के लिए कैसे करें धान की खेती.
शुभम शांडिल्य/नई दिल्लीः खरीफ के फसल में सबसे प्रमुख फसल धान की है. मानसून आने के बाद से जून और जुलाई के महीने में धान के फसल की जाती है. ज्यादात्तर हिस्सों में मानसून ने दस्तक दे दी है, जिसके बाद से किसान धान की खेती करना शुरू कर दिए हैं. धान की खेती के लिए किसानों को बहुत मेहनत करनी पड़ती है. ऐसे में आज हम आपको धान की खेती करने की ऐसी विधि के बारे में बता रहे हैं, जिस विधि से धान की खेती करने पर लागत भी कम लगती है और पैदावार भी दोगुनी होती है. इतना नहीं इस विधि से खेती करने पर किसानों को मेहनत भी कम करनी पड़ती है. आइए जानते हैं इस विधि के बारे में.
छींटा या सीड ड्रील विधि से करें धान की खेती
सीड ड्रील या छींटा विधि से धान की खेती करने के लिए सबसे पहले खेत जुताई कराकर दो तीन दिन तक छोड़ दें, उसके बाद खेत को पानी से भरकर एक सप्ताह के लिए छोड़ दें. ऐसा करने से खेत में उगने वाले खरपतवार पहले ही उग जाते हैं. अब आप खेत जुताई की कराकर सीड ड्रील मशीन से या छींटा विधि से खेत में उत्तम किस्म की प्रजाति के धान के बीज से बुवाई करा दें. साथ ही पानी के सिचाई के सुविधा के लिए खेत में जगह-जगह मेड़बंदी कर लें.
. धान के बुवाई के 21 दिन बाद खेत को पानी से भर दें. अब आप धान के फसल की बैलों से एक बार हल्की जुताई (लेव) करवा दें. ऐसा करने से धान के पौधों के साथ उगने वाले खरपतवार नष्ट हो जाते हैं और धान के पौधे की जड़ मजबूत हो जाती है. इतना ही नहीं इस विधि से धान की खेती करने के बाद से उसकी हल्की जुताई कराने से धान के पौधों की कलियों की संख्या में वृद्धि होती है, जिससे पैदावार दोगुनी होती है.
. सीड ड्रील या छींटा विधि से धान की खेती करने के बाद उसमें यदि खरपतवार जमते हैं तो उसके लिए दवाओं का छिड़काव करें या यदि संभव हो तो अपने या मजदूरों से खेत में जमें खरपतवार को निकलवा दें. इसके बाद से आप उसमें समय-समय पर आवश्यकता अनुसार उर्वरक का प्रयोग करते रहें.
जानिए क्या है फायदा
. सीड ड्रील या छींटा विधि से धान की खेती करने में समय की बचत होती है.
. रोपण विधि की तुलना में इस विधि से खेती करने पर इसमें मजदूरों की आवश्यकता कम पड़ती है.
. रोपण विधि की में सीड ड्रील या छींटा विधि से खेती करने पर लागत भी कम लगती है और पैदावार भी ज्यादा होती है.
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