UT कांगरी के बाद एवरेस्ट फतह की तैयारी, छत्तीसगढ़ की बेटी ने कहा- जिंदा लौट सके वही असल पर्वतारोही
जांजगीर-चांपा की बेटी अमिता श्रीवास्तव 6 हजार 70 मीटर ऊंची यूटी कांगरी चोटी फतह करने के बाद अब एवरेस्ट फतह की तैयारी में हैं.
प्रकाश चंद्र शर्मा/जांजगीर: इरादे मजबूत हों तो सफलता कदम चूमती है. इसे सच कर दिखाया है छत्तीसगढ़ की बेटी अमिता श्रीवास्तव ने. अमिता मूल रूप से जांजगीर-चांपा जिले की रहने वाली हैं. पेशे से वो एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं. उन्होंने अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो फतह की. उसके बाद उन्होंने लद्दाख श्रेणी की 6 हजार 70 मीटर ऊंची बर्फीली यूटी कांगरी चोटी पर चढ़ाई की है. अब अमिता माउंट एवरेस्ट को फतह करने की तैयारी में हैं.
अब तक की चौथी बड़ी चढ़ाई
यूटी कांगरी पर चढ़ाई अमिता की चौथी बड़ी चढ़ाई थी. विवेकानंद माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट माउंट आबू से साल 2018 में प्रशिक्षण लेने के बाद सबसे पहले उन्होंने सिक्किम के बड़े शिखरों पर विजय हासिल की. इसके बाद 8 मार्च 2021 को उन्होंने अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो पर चढ़ने का रिकार्ड बनाया. यहां उन्होंने 'गढ़बो नवा छत्तीसगढ़' का भी संदेश भी दिया.
मिशन में 11 साथियों ने थामा हाथ
पर्वतारोही अमिता श्रीवास्तव ने बताया कि यूटी कांगरी पर सफलता उनके एवरेस्ट मिशन की तैयारी का एक पायदान था. इस चढ़ाई के दौरान उनके साथ दिल्ली सहित तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, गुजरात, उत्तरप्रदेश, कर्नाटक राज्यों के 11 सदस्य थे. उन्होंने 14 जनवरी को रात 11 बजे चढ़ाई शुरू की और 19 जनवरी को यूटी कांगरी के शिखर पर पहुंच गए.
एक वक्त टूटने लगा था हौसला
4 हजार 700 मीटर ऊंचाई पर स्थित उनके बेस कैंप में माइनस 20 डिग्री सेल्शियस तापमान था. अंतिम चढ़ाई के समय यह माइनस 31.4 डिग्री तक कम हो गया था. अमिता ने बताया कि चढ़ाई पूरी होने के 50 कदम पहले ही एवलांच (वर्फ का टुकड़ा टूटकर गिरना) आ गया. जीवन में पहली बार उन्होंने यह दृश्य देखा था. एवलांच के बाद आगे की चढ़ाई का फैसला लेना मुश्किल था, लेकिन मजबूत इरादों से उन्होंने जीत हासिल की.
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परिवार और प्रशासन ने दिया साथ
परिवार की आर्थिक स्थिती के कारण पर्वतारोहण का सपना आसान नहीं था. लेकिन अमिता के हौसले और प्रतिभा को देखते हुए परिवार ने उनका पूरा साथ दिया. यूटी कांगरी पर चढ़ाई के लिए जिला प्रसाशन ने उन्हें 80 हजार रुपए की मदद की. इसके साथ ही अटल बिहारी वाजपेयी ताप विद्युत संयंत्र मड़वा ने सीएसआर मद से उन्हें 2 लाख 70 हजार रुपए दिए.
सीएसआर से मिली मदद
अमिता आज जिस मुकाम पर है उसका पूरा श्रेय वे अपने परिवार को देती हैं. उनका कहना है कि उनके परिवार ने उनका पूरा सपोर्ट किया है. वहीं उन्होंने जिला प्रशासन और अटल बिहारी वाजपेयी ताप विद्युत संयंत्र का भी आभार जताया है. अमिता ने कहा इन्हीं के कारण वो आज एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से पर्वतारोही तक के मुकाम को हासिल कर पाई हैं.
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